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'ऑपरेशन सिंदूर तो सिर्फ ट्रेलर...' लखनऊ में बनी ब्रह्मोस मिसाइल के पहले बैच को रवाना करते हुए राजनाथ सिंह का बड़ा बयान

संतोष शर्मा

लखनऊ की ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट ने मई 2025 में उत्पादन शुरू होने के पांच महीने के अंदर पहली खेप तैयार कर ली है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली खेप को हरी झंडी दिखाई.

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UP News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बनी ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप तैयार है और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप को हरी झंडी भी दिखा दी है. इसी के साथ लखनऊ में बनी ब्रह्मोस मिसाइल की खेप सेना को दे दी गई है. आपको बता दें कि मई 2025 में ही ब्रह्मोस मिसाइल का यहां उत्पादन शुरू हुआ था. अब इसकी पहली खेप तैयार हो गई है और इसे देश को समर्पित कर दिया गया है.

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कही ये बात 

इस दौरान गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को भी चेतावनी दी. गृह मंत्री ने कहा कि ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत ऑपरेशन सिंदूर में साबित हो चुकी है. उन्होंने साफ कहा कि हमारा विरोधी भी ब्रह्मोस की ताकत से बच नहीं पाएंगे. उन्होंने आगे कहा कि यहां 5 महीने के अंदर ब्रह्मोस मिसाइल का उत्पादन हुआ है. ये मिसाइल भारत की शक्ति और विश्वसनीयता का प्रतीक है. ये हमारी वायुसेना, नेवी और थल सेना की रीढ़ है. 

उन्होंने आगे कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर तो सिर्फ ट्रेलर था, पाकिस्तान की पूरी जमीन ब्रह्मोस की रेंज में है. अब जीत भारत के लिए कोई घटना नहीं, बल्कि एक आदत बन चुकी है, जिसे हमें और मजबूत बनाना है. 

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सीएम योगी ने ये कहा

इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ब्रह्मोस भारत की रक्षा में आत्मनिर्भरता की मिसाइल है. ये भारत और मित्र देशों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है. लखनऊ में बनी ब्रह्मोस मिसाइल देश की सुरक्षा का भरोसा है और इससे सैकड़ों युवाओं को रोजगार मिला है.
ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत

ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत

ब्रह्मोस मिसाइल को दुनिया की सबसे ताकतवर सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में गिना जाता है. यह ध्वनि की गति से लगभग 2.8 से 3 गुना तेज (Mach 2.8-3) है. इसकी खासियत यह है कि इसे जमीन, पानी और हवा जैसे सभी प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है.

यह मिसाइल गतिशील लक्ष्यों को भी सटीकता से भेद सकती है और रास्ते में अपने मार्ग को बदलने की क्षमता रखती है. ब्रह्मोस “Fire and Forget” तकनीक पर आधारित है, यानी एक बार लॉन्च होने के बाद यह बिना किसी अतिरिक्त इनपुट के अपने लक्ष्य को भेदती है.

इसकी शुरुआती रेंज 290 किलोमीटर है, जबकि अपग्रेडेड संस्करण 400-500 किलोमीटर तक दूरी तय कर सकता है. नवीनतम संस्करणों में इसकी सीमा 800 किलोमीटर तक पहुंच सकती है.

ब्रह्मोस की ताकत और रणनीतिक महत्व

ब्रह्मोस में स्टेल्थ तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जो इसे दुश्मनों के रडार से बचने में मदद करती है और रोकना आसान नहीं होता. इसके अलावा इसे Su-30 MKI फाइटर प्लेन से भी दागा जा सकता है. यह मिसाइल 200-300 किलोग्राम के पारंपरिक या न्यूक्लियर वारहेड भी ले जाने में सक्षम है जो इसे युद्ध की विभिन्न परिस्थितियों में प्रभावी बनाती है.

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