पंकज चौधरी को यूपी चीफ बनाकर भाजपा ने बढ़ाई अनुप्रिया पटेल की टेंशन! 'कुर्मी दाव' का अपना दल मुखिया कैसे देंगी जवाब?
पंकज चौधरी बीजेपी के नए यूपी अध्यक्ष बन गए हैं. भाजपा के इस फैसले से क्या अपना दल (एस) चीफ अनुप्रिया पटेल असहज हैं? इस सवाल के जवाब के साथ खबर में आगे जानें सीएम योगी और पंकज चौधरी के बीच कैसे हैं रिश्ते.
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यूपी Tak के खास शो 'आज का यूपी' से उत्तर प्रदेश की तीन बड़ी खबरें सामने आई हैं. पहली और सबसे बड़ी खबर है सत्ताधारी बीजेपी द्वारा केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाना. पंकज चौधरी कुर्मी बिरादरी से आते हैं और सात बार के सांसद हैं. दूसरी खबर इस नियुक्ति के बाद अनुप्रिया पटेल की पार्टी 'अपना दल (एस)' पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव से जुड़ी है. जबकि तीसरी चर्चा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नए प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी के बीच के जटिल सियासी और मठ से जुड़े रिश्तों को लेकर है.
पंकज चौधरी को नया प्रदेश अध्यक्ष क्यों बनाया गया है?
पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के पीछे बीजेपी की एक सोची-समझी रणनीति दिखती है. 2024 में हुए नुकसान के बाद बीजेपी अब बिरादरीवार अपने कद्दावर नेताओं को आगे कर रही है ताकि यह संदेश दिया जा सके कि पार्टी में हर जाति का प्रतिनिधित्व मौजूद है. पंकज चौधरी (कुर्मी) को चुनकर पार्टी ने एक ऐसे नेता को आगे बढ़ाया है जो लगातार सात बार सांसद रहा है. यानी उसका क्षेत्र में बड़ा कद है. यह कदम न केवल अनुप्रिया पटेल की पार्टी को असहज कर सकता है, बल्कि आने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी को अपने दम पर ओबीसी वोटरों को साधने में मदद कर सकता है. भले ही इसके लिए पार्टी के भीतर कुछ नेताओं (जैसे केशव मौर्य) को साइडलाइन करने की चर्चा हो.
पंकज चौधरी की नियुक्ति अनुप्रिया पटेल के लिए खतरे की घंटी?
बीजेपी ने कुर्मी बिरादरी से आने वाले पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर ओबीसी वोट बैंक में अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिश की है. यह नियुक्ति इस मायने में महत्वपूर्ण है क्योंकि 2024 के चुनावों में कुर्मी, कुशवाहा, मल्लाह समेत ओबीसी की बड़ी जातियां बीजेपी से दूर हो गई थीं. हालांकि अपना दल (एस) के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि पंकज चौधरी की नियुक्ति से उनकी पार्टी पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा. उनका तर्क है कि पहले भी कुर्मी नेता प्रदेश अध्यक्ष (जैसे स्वतंत्र देव सिंह) रह चुके हैं. लेकिन यह एक संकेत जरूर है कि बीजेपी अब गठबंधन की बैसाखी पर निर्भर रहने के बजाय अपनी बिरादरी से होमग्रोन नेताओं को खड़ा करना चाहती है.
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कैसे हैं योगी आदित्यनाथ और पंकज चौधरी के रिश्ते?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (गोरखपुर) और नए प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी (महाराजगंज) दोनों ही एक ही मंडल के सटे हुए जिलों से आते हैं जिससे दोनों के रिश्तों पर सियासी अटकलें तेज हो गई हैं. पंकज चौधरी की नियुक्ति के बाद मुख्यमंत्री के पांव छूने की तस्वीर सामने आई थी. मठ के पीठाधीश्वर होने के नाते योगी आदित्यनाथ से आशीर्वाद लेना संस्कार माना गया. हालांकि, राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि दोनों के बीच हमेशा से डोमिनेंस (वर्चस्व) को लेकर एक अनकही प्रतिस्पर्धा रही है, क्योंकि पंकज चौधरी (1991 में सांसद) योगी आदित्यनाथ (1998 में सांसद) से सीनियर हैं. बीजेपी की रणनीति दोनों नेताओं को एक ही मंडल से लाकर क्षेत्रीय वर्चस्व को संतुलित करने की हो सकती है.











