अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने न लड़ने के बीच जानिए कन्नौज सीट का पूरा इतिहास, यहां का जातीय समीकरण

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Kannauj Loksabha Seat News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कन्नौज लोकसभा सीट सूबे की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. मशहूर समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया से लेकर सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव तक ने संसद में इस लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है. इस सीट पर अब तक भाजपा दो बार जीती है, जबकि बसपा को यहां जीत नसीब नहीं हुई है. इस बीच कन्नौज लोकसभा सीट काफी सुर्खियों में है, इसकी वजह खुद सपा चीफ अखिलेश यादव हैं. दरअसल, ऐसी चर्चा है कि तेज प्रताप सिंह यादव की जगह अब खुद अखिलेश कन्नौज से चुनाव लड़ सकते हैं. ऐसे में आइए आपको बताते हैं कन्नौज का सियासी इतिहास और यहां का जातीय समीकरण.

ये है कन्नौज का सियासी इतिहास:

कन्नौज लोकसभा सीट साल 1967 आम चुनाव में अस्तित्व में आई. इस चुनाव में राम मनोहर लोहिया ने जीत हासिल की. लोहिया संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे. लेकिन साल 1971 आम चुनाव में कांग्रेस ने ये सीट छीन ली. कांग्रेस के उम्मीदवार सत्य नारायण मिश्र ने जीत हासिल की. इसके बाद दो चुनाव में जनता पार्टी को जीत मिली. साल 1977 में बीजेपी के राम प्रकाश त्रिपाठी और साल 1980 में बीजेपी के ही छोटे सिंह यादव ने जीत हासिल की. 

 

 

शीला दीक्षित भी रही हैं कन्नौज से सांसद

साल 1984 आम चुनाव में कांग्रेस की लहर में शीला दीक्षित सांसद चुनी गईं. मगर साल 1989 आम चुनाव में जनता दल के उम्मीदवार छोटे सिंह यादव ने जीत हासिल की. साल 1991 चुनाव में भी छोटे सिंह यादव ही सांसद बने. लेकिन इस बार वो जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे. 

1996 में पहली बार भाजपा को मिली कन्नौज से जीत

साल 1996 आम चुनाव में पहली बार कन्नौज लोकसभा सीट पर भाजपा को जीत मिली. भाजपा के उम्मीदवार चंद्र भूषण सिंह ने जीत हासिल की. लेकिन साल 1998 चुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी का खाता खुला. समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार प्रदीप यादव को जीत मिली. साल 1999 चुनाव में मुलायम सिंह यादव इस सीट से सांसद चुने गए. लेकिन उन्होंने ये सीट छोड़ दी. 

 

 

साल 2000 में अखिलेश चुने गए कन्नौज से सांसद

साल 2000 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ. इसमें अखिलेश यादव ने भारी मतों से जीत दर्ज की. उन्होंने बसपा उम्मीदवार अकबर अहमद डम्पी को हराया था. साल 2004 आम चुनाव में अखिलेश यादव एक बार फिर कन्नौज सीट से मैदान में उतरे और उन्होंने बसपा उम्मीदवार ठाकुर राजेश सिंह को हराया. साल 2009 आम चुनाव में अखिलेश यादव ने फिर से जीत दर्ज की. 

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2012 में डिंपल कन्नौज से चुनी गई थीं निर्विरोध सांसद

साल 2012 में विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की जीत के बाद अखिलेश यादव ने इस सीट को छोड़ दिया. इसी साल इस सीट पर उपचुनाव हुए, जिसमें डिंपल यादव निर्विरोध सांसद चुनी गईं. साल 2014 आम चुनाव में मोदी लहर में भी समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार डिंपल यादव ने इस सीट को जीत लिया. हालांकि जीत का अंतर काफी कम था. 

 

 

2019 में भाजपा ने फिर किस कन्नौज पर कब्जा

मालूम हो कि साल 2019 आम चुनाव में समाजवादी पार्टी और बसपा का गठबंधन था. मगर इसके बावजूद भाजपा ने डिंपल यादव को हरा दिया. तब भाजपा के सुब्रत पाठक को 5 लाख 63 हजार 87 वोट, जबकि डिंपल यादव को 5 लाख 50 हजार 734 वोट मिले थे. इस तरह से भाजपा ने सालों बाद इस सीट पर जीत हासिल की थी.

क्या है कन्नौज का जातीय समीकरण?

आपको बता दें कि कन्नौज लोकसभा क्षेत्र में कुल वोटर्स की संख्या करीब 18 लाख हैं. इनमें 10 लाख पुरुष और 8 लाख महिला मतदाता हैं. इस लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम और यादव मतदाता हैं. मुस्लिम वोटर्स की संख्या 2.50 लाख है, जबकि यादव वोटर्स की संख्या भी इतनी ही है. इसके अलावा 2.5 लाख दलित वोटर भी हैं. जबकि इस क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाता 15% और राजपूत मतदाता 10% हैं. 

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