आगरा: जिस कॉलोनी में रहते हैं क्रिकेटर दीपक चाहर, उसका नाम लोगों ने क्यों रखा ‘नरकपुरी’?

अरविंद शर्मा

Agra News: उत्तर प्रदेश में आगरा की अवधपुरी कॉलोनी में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर दीपक चाहर का मकान है. यहां के लोगों ने अवधपुरी का नाम बदलकर…

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Agra News: उत्तर प्रदेश में आगरा की अवधपुरी कॉलोनी में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर दीपक चाहर का मकान है. यहां के लोगों ने अवधपुरी का नाम बदलकर नरक पुरी कॉलोनी रख दिया है. इतना ही नहीं अगल बगल की कॉलोनियों के नाम भी बदल दिए हैं. मसलन नाला सरोवर कॉलोनी, बदबू विहार कॉलोनी. इसकी वजह है, सरकारी विकास के तमाम दावों ने यहां पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ दिया है और यहां के तमाम रहने वालों ने ‘मकान बिकाऊ है’ का बोर्ड अपने मकानों पर लगा दिया है. स्थानीय लोग अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की बेरुखी से क्षुब्ध और परेशान हैं.

लोगों की परेशानियां दूर न होने के बाद उन्होंने कॉलोनी का नाम बदलने का फैसला कर लिया है. स्थानीय लोगों ने एक कॉलोनी का नाम बदबू विहार कर दिया है, क्योंकि इस कॉलोनी में हर वक्त बदबू आती है. पास ही दूसरी कॉलोनी का नाम नरक पूरी रख दिया है. कारण यह है कि यहां पर हर समय जलभराव रहता है. चारों तरफ कीचड़ ही कीचड़ नजर आती है. स्कूल बस तक लोगों के घर तक नहीं पहुंच पाती. घर आने जाने में लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है.

स्थानीय लोगों में इलाकाई भाजपा विधायक और योगी सरकार में मंत्री बेबी रानी मौर्य और भाजापा सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर को लेकर खासी नाराजगी है. महिलाओं का कहना है कि बेबी रानी मौर्य जब वोट मांगने उनके घर पर आई थीं तो बड़े-बड़े वायदे करके गई थीं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उन्होंने कभी कॉलोनी का रुख नहीं किया है. हालातों से स्थानीय लोग बेहद परेशान हैं. 

स्थानीय लोगों ने बताया कि कुछ समय पहले इलाके का सर्वे कराया गया था. एस्टीमेट भी बनाया गया था, लेकिन तत्कालीन एडीए उपाध्यक्ष का तबादला होने के बाद सारी कवायद ठंडे बस्ते में पड़ गई. स्थानीय लोगों ने बताया कि गंदगी के कारण अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर राहुल चाहर (दीपक चाहर के चचेरे भाई) ने तो अपना मकान तक बेच दिया है. दीपक चाहर भी कभी कॉलोनी में नहीं आते हैं.

स्थानीय लोग जिसकी वजह चारों तरफ फैली गंदगी बदहाली और बदबूदार अव्यवस्था मानते हैं. पुराना मकान होने के नाते केवल दीपक चाहत की मां यहां निवास करती हैं. दीपक चाहर के आगरा आने पर वह खुद दीपक चाहर से मिलने जाती हैं. नारकीय जीवन जी रहे तमाम लोगों को उम्मीद है कि व्यवस्थाएं दूर होंगे लेकिन तमाम लोगों को यह भी उम्मीद है कुछ नहीं हो सकता है इसी वजह से लोगों ने अपने मकानों को बेचने के पोस्टर चिपका दिए हैं।

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