न देख सकती, न सुन सकती...फिर भी लखनऊ की सारा ने 10वीं में लाए 95% अंक, मार्कशीट देख चौंक जाएंगे
Lucknow News : जब इच्छा शक्ति हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है राजधानी लखनऊ के रहने वाले एक होनहार छात्रा ने.
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Lucknow News : जब इच्छा शक्ति हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है राजधानी लखनऊ के रहने वाले एक होनहार छात्रा ने. बता दें कि लखनऊ की सारा मोइन के जन्म से ही देख नहीं सकती थी और तीसरी कक्षा के बाद धीरे-धीरे उनके सुनने की क्षमता चली गयी. मगर उसने अपनी इस कमजोरी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. सारा ने इस साल दसवीं की परीक्षा में 95 प्रतिशत अंक हासिल कर माता-पिता का का मान बढ़ाया.
बता दें कि हाल में ही ICSE बोर्ड का रिजल्ट आया, जिसमें सारा मोईन ने ICSE की 10वी कक्षा में 95% अंक हासिल किया. सारा ने 95% अंक लाकर सभी के लिया एक उदहारण बन गयी है.
मिसाल बनीं लखनऊ की सारा मोइन
सारा जन्म से ही देख नहीं सकती हैं और तीसरी कक्षा के बाद धीरे-धीरे उनके सुनने की क्षमता चली गयी. इन चुनौतियों के बावजूद, उनके दृढ़ संकल्प और कुछ बड़ा करने की इच्छा ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. उनके माता पिता जूली हामिद और मोइन अहमद इदरीसी ने यूपी तक को बताया कि, 'सारा की ये यात्रा संघर्षों से भरी है. वे उसे विशेष उपचार के लिए ले गए और घर पर ही ब्रेल लिपि का उपयोग करके उसकी पढ़ई जारी रखी. उनके पिता ने आगे बताया की सारा की क्षमता को क्राइस्ट चर्च कॉलेज ने पहचाना, जिसने उन्हें समर्पित शिक्षक सलमान अली काज़ी के नेतृत्व में एक विशेष कक्षा में प्रवेश की पेशकश की. जहां सराह अन्य दिव्यांग छात्रों के साथ आगे की पढ़ाई की.' सराह के पिता ने ऑर्बिट रीडर के बारे में भी बताया.
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क्या है ऑर्बिट रीडर
एक पुस्तक रीडर, नोट-टेकर और ब्रेल डिस्प्ले को संयोजित करने वाला एक अनूठा उपकरण है. ऑर्बिट रीडर जिसके सहायता से सारा ने अपनी पाठ्यपुस्तकों तक पहुंच बनाई. ऑर्बिट रीडर से सारा की पुस्तकें स्कैन कर उन्हें डिजिटल फाइल में बदला जाता है. सारा ने अपने आपको आगे बढ़ने के लिए प्रौद्योगिकी और नए तरीकों का उपयोग किया. सराह की मां जूली, जो स्वयं एक शिक्षिका हैं उन्होंने अक्षर बनाकर सारा के पढ़या. जिन्हें सारा समझती हैं और वाक्यों में परवर्तित करती हैं.
सारा को मिले इतने नंबर
सारा को भूगोल में 99, रसायन विज्ञान में 97, जीव विज्ञान में 92 और भौतिकी में 89 अंक प्राप्त हुए. यह उसके समर्पण और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है. सारा की यात्रा विकलांग व्यक्तियों को उनके सपनों को प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाता हैं. सारा विज्ञान में अपना करियर बनाना चाहती हैं और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करने का सपना देखती है. ऐसी कहानियां हमें याद दिलाती है कि ज्ञान की राह में कोई भी बाधा बड़ी नहीं है.
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