Ram Mandir: चंपत राय बोले- ‘प्राण प्रतिष्ठा के लिए अरुण योगी राज की मूर्ति का हुआ चयन’

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चंपत राय ने बताया कि लगभग सभी प्रकार की तैयारियां पूर्ण हो गई है. प्राण प्रतिष्ठा 12 बजकर 20 मिनट पर आरम्भ होगा.

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अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले सोमवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि लगभग सभी प्रकार की तैयारियां पूर्ण हो गई है. प्राण प्रतिष्ठा 12 बजकर 20 मिनट पर आरम्भ होगा. कर्मकांड की सभी विधि वाराणसी के लक्ष्मीकांत दीक्षित जी के द्वारा संपन्न होगी. प्राण प्रतिष्ठा की विधि 16 जनवरी से प्रारंभ हो जाएगी.पूजन विधि का कार्य 21 जनवरी तक चलेगा. मूर्ति का वजन 120 से 200 किलो तक होंगी.

चंपत राय ने बताया कि अरुण योगी राज की मूर्ति का चयन प्राण प्रतिष्ठा के लिए हुआ है. खड़ी प्रतिमा 5 वर्ष के बालक का स्वरुप है. 18 जनवरी को प्रतिमा आसन पर खड़ी कर दी जाएगी.

चंपत राय ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में 121 आचार्य शामिल होंगे. इस अनुष्ठान के संयोजक गणश्वेवर शास्त्री द्राविड़ एवं प्रमुख आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित काशी के होंगे. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक पूज्य मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गरिमामयी उपस्थिति में संम्पन्न होगा.

उन्होंने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के साक्षी बनने के लिए देश की सभी आध्यात्मिक धार्मिक मत, पंथ, संप्रदाय, उपासना पद्धतियों के सभी अखाड़ों के आचार्य, सभी पंरपराओं के आचार्य, सभी सम्प्रदार्यों के आचार्य, 150 से अधिक परम्पराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्री महंत, महंत, नागा साथ ही 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तटवासी, द्वीपवासी जनजाती परंपराओं की उपस्थिति भारत वर्ष के निकटवर्ती इतिहास में पहली बार हो रही है.

चंपत राय ने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र भारत के सभी बंधु भगनियों से आह्ववान करता है कि 22 को जिस समय अयोध्या में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा हो रही हो, उस समय अपने आसपास के मंदिरों की सजावट करें. मंदिर के देवता की उपासना के अनुरूप भजन, पूजन, कीर्ति और आरती आदि करें. 22 जनवरी को शाम को अपने-अपने घर राम ज्योति से प्रकाशित करें.

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उन्होंने बताया कि अयोध्या रामानन्द परंपरा की है. यहां दो परम्परा है. एक रामानन्द दूसरा रामानुज परम्परा लेकिन आयोध्या रामानन्द परंपरा की है.

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