प्रदुम्न यादव ने बीवी से संबंध बनाने का वीडियो फेसबुक पर कर दिया अपलोड! इस पूरे केस में आया गजब का फैसला

यूपी तक

मिर्जापुर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है.यहां एक पति ने अपनी पत्नी का प्राइवेट वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक पर पोस्ट कर दिया था. अब इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केस रद्द करने से इनकार कर दिया है.

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AI Generated Image: सांकेतिक तस्वीर
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति द्वारा अपनी पत्नी का अंतरंग वीडियो फेसबुक पर अपलोड करने के मामले में दर्ज आपराधिक केस को खारिज करने से इनकार कर दिया है. अदालत ने कहा कि शादी पति को पत्नी का मालिकाना हक नहीं देती, न ही उसकी निजता और स्वायत्तता को खत्म करती है.

क्या है मामला?

मिर्जापुर जिले की एक महिला ने अपने पति प्रदुम्न यादव के खिलाफ केस दर्ज कराया था. महिला का आरोप था कि पति ने बिना सहमति के उनके निजी पलों का वीडियो बनाया और फिर उसे फेसबुक पर अपलोड कर दिया. इतना ही नहीं, यह वीडियो उसके कज़िन और अन्य ग्रामीणों को भी भेजा गया.

इसके बाद महिला ने आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत शिकायत दर्ज कराई, जिसमें अश्लील सामग्री को डिजिटल माध्यम से प्रसारित करने पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है.

 

 

हाईकोर्ट ने क्या कहा?

न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पति और पत्नी के बीच विश्वास, सम्मान और गोपनीयता का रिश्ता होता है. कोर्ट ने कहा कि, "पति द्वारा अंतरंग वीडियो साझा करना शादी के पवित्र रिश्ते का गंभीर उल्लंघन है. पति को अपनी पत्नी के विश्वास, सम्मान और निजता की रक्षा करनी चाहिए."

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इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि, "पत्नी पति का विस्तार मात्र नहीं है, बल्कि उसकी अपनी इच्छाएं, अधिकार और स्वतंत्र अस्तित्व है. उसकी निजता और शारीरिक स्वायत्तता का सम्मान करना सिर्फ कानूनी जिम्मेदारी ही नहीं, बल्कि एक नैतिक कर्तव्य भी है."

 

 

पति के बचाव में क्या कहा गया?

अभियुक्त प्रदुम्न यादव के वकील ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता उसकी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी है, इसलिए आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत मामला नहीं बनता. वकील ने यह भी दावा किया कि पति-पत्नी के बीच समझौते की संभावना है. हालांकि, सरकारी वकील ने इस दलील का विरोध किया और कहा कि शादी का यह मतलब नहीं है कि पति को बिना सहमति पत्नी की निजता का उल्लंघन करने का अधिकार मिल जाता है.

कोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट ने पति की याचिका खारिज कर दी और कहा कि, "पति-पत्नी के रिश्ते में सम्मान और विश्वास सबसे महत्वपूर्ण है. इसे तोड़कर निजी पलों को साझा करना अपराध की श्रेणी में आता है."

(स्रोत: PTI)

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