खौफनाक बिकरू कांड को आज हुए 2 साल, विकास दुबे की मौत के बाद क्या कुछ बदला? यहां जानिए

संतोष शर्मा

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उत्तर प्रदेश और देश के इतिहास में पुलिस पर हुए हमलों में गिना जाने वाले बिकरू कांड (Bikru Kand) को 2 साल पूरे हो चुके हैं. 2 जुलाई की ही वह तारीख थी, जब कानपुर (Kanpur News) में गैंगस्टर विकास दुबे (Vikas Dubey) ने दबिश देने गई पुलिस टीम को गोलियों से छलनी कर दिया और 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए. 2 साल बाद कहां तक पहुंची विकास दुबे गैंग पर पुलिसिया कार्रवाई और क्या है विकास दुबे के खात्मे के बाद बिकरू गांव का हाल आइए जानते हैं.

आपको बता दें कि 2 जुलाई 2020 रात करीब 12:15 बजे का वो वक्त था जब तत्कालीन कानपुर जिले के चौबेपुर थाने में अचानक पुलिस की गाड़ियों और वायरलेस सेट पर हलचल बढ़ गई. विकास दुबे और पंडित जी को पकड़ने गई पुलिस पर हमला हो गया. तत्कालीन सीओ (बिल्लौर) देवेंद्र मिश्रा की अगुवाई में गई पुलिस पार्टी को विकास दुबे और उसके गैंग ने घेर लिया और छतों से फायरिंग शुरू कर दी.

जब तक पुलिस कंट्रोल रुम को इसकी सूचना मिलती, पुलिस फोर्स मौके पर जाती तब तक बहुत-बहुत देर हो चुकी थी. सीओ देवेंद्र मिश्रा, एसओ महेश यादव, सब इंस्पेक्टर अनूप सिंह, नेबू लाल और कॉन्स्टेबल जितेंद्र पाल, सुल्तान सिंह, बबलू कुमार और राहुल कुमार शहीद हो चुके थे.

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बिकरू कांड से जुड़ी सभी घटनाओं में कुल 80 एफआईआर दर्ज की गईं, जिनमें से 45 एफआईआर सिर्फ चौबेपुर थाने में दर्ज करवाई गईं. पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में प्रमुख एफआईआर क्राइम नंबर 192 /20 थी जिसमें पुलिस ने विकास दुबे और उसके गैंग पर पुलिसकर्मियों की हत्या का मुकदमा दर्ज किया था.

अब तक नहीं शुरू हो सका कोर्ट में ट्रायल

बिकरू कांड को 2 साल पूरे हो चुके हैं. पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में दर्ज किए केस में 2 साल बाद भी ट्रायल नहीं शुरू हो सका है. पुलिस ने इस मामले में 5 हिस्सों में चार्जशीट दाखिल की है. पहली चार्जशीट 35 आरोपियों के खिलाफ दाखिल हुई है. दूसरी तीसरी और चौथी चार्जशीट में एक एक आरोपी जबकि आखिरी चार्जशीट में 6 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है. बता दें कि अब तक कोर्ट में खुशी दुबे को छोड़कर किसी भी आरोपी के खिलाफ आरोप तय नहीं हो पाए हैं. जब आरोप ही तय नहीं हो पाए है, तो कोर्ट में ट्रायल भी शुरू नहीं हो सका है.

कोर्ट में आरोप तय नहीं हो पाने पर बचाव पक्ष के वकील शिवाकांत दीक्षित कहते हैं कि हर आरोपी को अपना बचाव करने का अधिकार है. पुलिस ने जो चार्जशीट लगाई है, वह झूठे दस्तावेज और कहानी के आधार पर लगाई है.

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उन्होंने कहा कि ‘कोई सुबूत नहीं हैं. यही वजह है कि पुलिस की तरफ से लगाए आरोप पर ऑब्जेक्शन हो रहे हैं और आरोप तय नहीं हो पा रहे हैं. खुशी दुबे के मामले में ट्रायल चल रहा है, लेकिन पुलिस की तरफ से गवाही नहीं हो पा रही है.’ आपको बता दें कि कानपुर देहात जेल में बंद खुशी दुबे की जमानत याचिका हाईकोर्ट से खारिज हो चुकी है और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है.

सनद रहे कि विकास दुबे को ढेर करने के बाद पुलिस ने उसके गैंग को रजिस्टर किया और अब पुलिस के दस्तावेजों में हीरू दुबे को नया गैंग लीडर बताया गया है. मिली जानकारी के अनुसार, विकास गैंग में अब 12 मेंबर जिंदा बचे हैं, जो जेल में हैं.

पुलिस ने कैसे तोड़ा ‘आर्थिक साम्राज्य’?

पुलिस ने कानूनी कार्रवाई करते हुए आरोपियों को जेल भेजने के साथ-साथ उनके आर्थिक साम्राज्य पर भी शिकंजा कसना शुरू किया. विकास दुबे के फाइनेंसर जय बाजपेई समेत उसके तमाम गुर्गों पर गैंगस्टर एक्ट लगाया गया. चौबेपुर थाने में गैंगस्टर के 2 मुकदमे दर्ज हुए. वहीं नजीराबाद और बजरिया थाने में गैंगस्टर एक्ट का एक मुकदमा दर्ज हुआ. गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई करते हुए विकास दुबे की संपत्ति को तो कुर्क किया ही गया है, साथ ही उसके फाइनेंसर जय बाजपेई की करोड़ों की गाड़ियां फ्लैट, संपत्ति कुर्क की जा चुकी है. कानपुर पुलिस अब तक जो बाजपेई की 52 संपत्तियों को चिह्नित कर चुकी है, जिनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.

कानपुर पुलिस कर रही जय बाजपेई की मदद?

विकास दुबे गैंग के फाइनेंसरों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर मुहिम चला रहे सामाजिक कार्यकर्ता सौरभ भदोरिया कहते हैं,

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“पुलिस सिर्फ दिखावे की कार्रवाई कर रही है. कानपुर पुलिस जय बाजपेई की मदद कर रही है. पुलिस दिखावे के लिए जय बाजपेई की 6 संपत्ति कुर्क कर रही है, लेकिन 52 संपत्तियों का ब्यौरा उसके पास है जिनके खिलाफ कोई कारवाई नहीं हुई है.”

सौरभ भदोरिया

भदोरिया ने आगे कहा, “पुलिस के द्वारा दर्ज करवाए गए गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में 31 लोग आरोपी हैं लेकिन संपत्ति सिर्फ 10 आरोपियों की ही सीज की गई है. अरविंद त्रिवेदी और गुड्डन प्रशांत शुक्ला समेत कई आरोपियों की संपत्ति कुर्क नहीं की गई है. पुलिस जिन 31 लोगों पर मेहरबान है, उनकी 982 संपत्तियों का ब्योरा पुलिस को दिया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही.

हालांकि इस संबंध में कानपुर पुलिस कमिश्नर का कहना है सभी आरोपियों के खिलाफ सबूत के आधार पर कार्रवाई की जा रही है. पुलिस गहनता से हर पहलू की जांच कर रही है.

बिकरू गांव में आए क्या बदलाव?

वहीं, बिकरू कांड के 2 साल बीतने के बाद गांव में भी धीरे-धीरे सब बदल रहा है. जिस गांव में विकास दुबे की मर्जी के बिना कोई ग्राम प्रधान नहीं बन पाता था, आज उस गांव में मधु चुनाव जीतकर ग्राम प्रधान हैं.

मधु कहती हैं कि पहले सरकारी योजनाओं का लाभ गांव वालों को मिलता ही नहीं था. गांव में राशन 1 महीने बंटता था, दूसरे महीने नहीं बांटा जाता था. सरकारी योजनाओं की आधी रकम ही लोगों को मिल पाती थी, उसमें भी पक्षपात होता था. लेकिन विकास दुबे के खात्मे के बाद पंचायत के लोगों ने निर्भीक होकर वोट डाले वो चुनाव जीतकर प्रधान बनी और अब गांव में विकास भी हो रहा है.

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