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सत्यपाल मलिक को पता चल गया था कि अंतिम पल करीब! अपने आखिरी X पोस्ट में 4 बड़ी बातें बता गए

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Satyapal Malik Death News: जजम्मू और कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन हो गया है. दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. यहां देखें उन्होंने अपने लास्ट X पोस्ट में क्या लिखा था?

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File Photo: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक
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Satyapal Malik Last X Post Details: जम्मू और कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मालिक का आज यानी 5 अगस्त को दिल्ली के RML अस्पताल में निधन हो गया. वह 78 साल के थे. सत्यपाल मालिक पिछले काफी दिनों से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे. गंभीर बीमारी के दौरान भी सत्यपाल मालिक X पर अपनी बात लगतार रख रहे थे. कुछ अपडेट्स वह खुद दे रहे थे, बाकी सूचना उनके तीमारदार द्वारा साझा की जा रही थी. सत्यपाल मालिक ने अपने निधन से पहले जो अपना लास्ट पोस्ट X पर लिखा था, वह काफी विस्फोटक था. 7 जून 2025 को सत्यपाल मालिक की ओर से आखिरी पोस्ट X पर लिखा गया था. इसके बाद या तो उनकी टीम या किसी तीमारदार की तरफ सी सूचना दी गई. इस खबर में आप उस आखिरी पोस्ट की जानकारी हासिल कीजिए, जो सत्यपाल मालिक ने 7 जून को साझा की थी.  

7 जून को सत्यपाल मालिक ने क्या कहा था?

7 जून को अपने आखिरी X पोस्ट में सत्यपाल मालिक ने कहा था, "नमस्कार साथियों. मैं पिछले लगभग एक महीने के करीब से अपस्ताल में भर्ती हूं और किड़नी की समस्या से जूझ रहा हूं. परसों सुबह से मैं ठीक था लेकिन आज फिर से मुझे ICU में शिफ्ट करना पड़ा. मेरी हालत बहुत गंभीर होती जा रही है. मैं रहूं या ना रहूं इसलिए अपने देशवासियों को सच्चाई बताना चाहता हूं."
 
उन्होंने आगे कहा, "जब गवर्नर के पद पर था तो उस समय मुझे 150-150 करोड़ रूपए की रिश्वत की पेशकश भी हुई. परंतु मैं  मेरे राजनीतिक गुरु किसान मसीहा स्वर्गीय चौधरी चरणसिंह जी की तरह ईमानदारी से काम करता रहा ओर मेरा ईमान वो कभी डिगा नहीं सकें."

बकौल सत्यपाल मालिक,

  • "जब मैं गवर्नर था उस समय किसान आंदोलन भी चल रहा था, मैंने बग़ैर राजनीतिक लोभ लालच के पद पर रहते हुए किसानों की मांग को उठाया."
  • "फिर महिला पहलवानों के आंदोलन में जंतर-मंतर से लेकर इंडिया गेट तक उनकी हर लड़ाई में उनके साथ रहा."
  • "पुलवामा हमले में शहीद वीर जवानों के मामले को उठाया, जिसकी आज तक इस सरकार ने कोई जांच नहीं करवाई है.
  • सरकार मुझे CBI का डर दिखाकर झूठे चार्जशीट में फंसाने के बहाने ढूंढ रही है. जिस मामले में मुझे फंसाना चाहते हैं उस टेंडर को मैंने खुद निरस्त किया था, मैंने खुद प्रधानमंत्री जी को बताया था इस मामले में करप्शन है और उन्हें बताने के बाद में मैंने खुद उस टेंडर को कैंसिल किया. मेरा तबादला होने के बाद में किसी अन्य के हस्ताक्षर से यह टेंडर हुआ."

उन्होंने आखिर में कहा था, "मैं सरकार को और सरकारी एजेंसियों को बताना चाहता हूं कि मैं किसान कौम से हूं, मैं ना तो डरने वाला हूं ओर ना ही झूकने वाला हूं. सरकार ने मुझे बदनाम करने में पुरी ताकत लगा दी, अंत में मेरा सरकार से ओर सरकारी एजेंसियों से अनुरोध है कि मेरे प्यारे देश की जनता को सच्चाई जरूर बताना कि आपको छानबीन में मेरे पास मिला क्या? हालांकि सच्चाई तो यह है कि 50 साल से अधिक लंबे राजनीतिक जीवन में बहुत बड़े-बड़े पदों पर देशसेवा करने का मौका मिलने के बाद आज भी मैं एक कमरे के मकान में रह रहा हूं ओर कर्ज में भी हूं. अगर आज मेरे पास धन दौलत होती तो मैं प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करवाता."

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यहां देखें सत्यपाल मालिक की पूरी राजनितिक यात्रा

1965-66: लोहिया की समाजवादी विचारधारा से प्रेरित होकर राजनीति में प्रवेश. 

1966-67: मेरठ कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया.

1968-69: तत्कालीन मेरठ विश्वविद्यालय (अब चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय) के छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए.

1974: भारतीय क्रांति दल के टिकट पर बागपत विधानसभा क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गए और पार्टी के मुख्य सचेतक नियुक्त हुए.

1975: नवगठित 'लोक दल' के अखिल भारतीय महासचिव बने.

1980: 'लोक दल' से राज्यसभा के सदस्य नामित हुए.

1984: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के सदस्य बने.

1986: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में राज्यसभा के लिए चुने गए और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त हुए.

1987: 'बोफोर्स घोटाले' से नाराज होकर, राज्यसभा और INC की सदस्यता से इस्तीफा दिया और 'जन मोर्चा' नामक एक राजनीतिक दल का गठन किया, जिसका 1988 में जनता दल में विलय हो गया. बाद में, विश्वनाथ प्रताप सिंह के साथ मिलकर, उन्होंने देश भर में कई जनसभाओं को संबोधित किया.

1987-91: 'जनता दल' के सचिव और प्रवक्ता नियुक्त हुए.

1989: जनता दल के टिकट पर अलीगढ़ से लोकसभा के लिए चुने गए.

2004: भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और बागपत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा.

2005-06: उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष नियुक्त हुए.

2009: भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चा के अखिल भारतीय प्रभारी नियुक्त हुए.

2012: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त हुए.

2014: लोकसभा चुनाव से पहले कृषि मुद्दों पर 'घोषणापत्र' की उप-समिति के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण सेवाएं दीं. 

2014: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में पुनः नियुक्त हुए और पार्टी तथा उसके सहायक संगठनों द्वारा आयोजित किसान रैलियों को संबोधित किया.

2017: बिहार के राज्यपाल नियुक्त हुए.

2018: 23 अगस्त, 2018 को जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल के रूप में शपथ ली.

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