लेटेस्ट न्यूज़

नोट कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजे जाने की सिफारिश, उधर बार एसोसिएशन ने ला दिए 11 प्रस्ताव

संजय शर्मा

UP News: जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में 14 मार्च 2025 को आग लगी. इस दौरान उनके घर से भारी मात्रा में नोट बरामद किए गए. इसके बाद से जस्टिस यशवंत वर्मा घेरे में हैं.

ADVERTISEMENT

Judge Yashwant Verma, Cash On Home, SC Collegium, Allahabad High Court, न्यायाधीश यशवंत वर्मा, कैश ऑन होम, एससी कॉलेजियम, इलाहाबाद उच्च न्यायालय
UP News
social share
google news

नोट कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा चर्चाओं में बने हुए हैं. दरअसल 14 मार्च 2025 को उनके घर में आग लगी. इस दौरान भारी मात्रा में कैश मिला. इसके बाद से ही जस्टिस यशवंत वर्मा विवादों में आ गए हैं. अब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस यशवंत वर्मा को लेकर बड़ी सिफारिश की है.

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस यशवंत वर्मा को वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने की सिफारिश की है.  सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक, पिछली कॉलेजियम बैठक में ही जस्टिस वर्मा के तबादले पर सहमति बनी थी. अब कॉलेजियम ने प्रस्ताव पारित कर सरकार को सिफारिश भेज दी है. माना जा रहा है कि सरकार इस मामले में 1-2 दिनों में फैसला ले लेगी. इसी बीच अब इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील जस्टिस यशवंत वर्मा के विरोध में उतर आए हैं.

जस्टिस यशवंत वर्मा का हो रहा विरोध

जस्टिस यशवंत वर्मा को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की जनरल बॉडी की बैठक हुई है.  लाइब्रेरी हॉल में हुई जनरल बॉडी बैठक में 11 प्रस्ताव पास किए गए हैं. इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने सीजेआई से मांग की है कि जस्टिस यशवंत वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट में नहीं किया जाए.  बार एसोसिएशन ने कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई डंपिंग ग्राउंड नहीं है.

यह भी पढ़ें...

बार एसोसिएशन ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाए जाने की भी मांग की है.  प्रस्ताव पास किया गया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ सीबीआई और ईडी को केस रजिस्टर करने की इजाजत दी जाए. बार एसोसिएशन की मांग है कि जिस तरह से राजनेता या सिविल सर्वेट के खिलाफ ट्रायल चलाया जाता है, उसी तरह से जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ ट्रायल चलाया जाए.

जस्टिस यशवंत वर्मा के विरोध में इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने मांग की है कि अगर जरूरत पड़े तो जस्टिस यशवंत वर्मा को सीजेआई की अनुमति से कस्टडी में लिया जाए. बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच को भी खारिज कर दिया है. इसी के साथ जस्टिस जसवंत वर्मा की सफाई को भी खारिज कर दिया गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने ये भी मांग की है कि जस्टिस यशवंत वर्मा द्वारा दिए गए फैसलों की भी समीक्षा की जाए.

    follow whatsapp