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73 करोड़ से बनी फॉरेंसिक साइंस लेब्रोटरी मिली, यूपी में आठ साल में बढ़कर 12 हुए लैब, क्रिमिनल्स को पकड़ने में मिलेगी खूब मदद

यूपी तक

गोरखपुर में 72.78 करोड़ रुपये से बनी आधुनिक क्षेत्रीय फॉरेंसिक साइंस लैब (RFSL) का सीएम योगी आदित्यनाथ ने उद्घाटन किया. यूपी में फॉरेंसिक लैब की संख्या 8 साल में 4 से बढ़कर 12 हो गई है.

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में 72.78 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला (RFSL) की नई और आधुनिक सुविधाओं से लैस नई बिल्डिंग का उद्घाटन किया है. सीएम ने कहा कि यह मॉडर्न फॉरेंसिक लैब आधुनिक पुलिसिंग के लिए गेम चेंजर साबित होगी. इसकी मदद से अपराधियों की पहचान कर उन्हें जल्द से जल्द अदालतों के जरिए सजा दिलाई जा सकेगी. यह प्रयोगशाला पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए भी एक बड़ी सौगात मानी जा रही है. इसके फंक्शन होने के बाद अब डीएनए जांच जैसी हर तरह की फॉरेंसिक जांच की सुविधा यहां मिल सकेगी. 

लैब की संख्या 4 से बढ़कर हुई 12

सीएम ने बताया कि वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने की दिशा में सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं. इसी की वजह से 08 सालों में यूपी में फॉरेंसिक लैब की संख्या 4 से बढ़कर 12 हो गई है. सरकार का टारगेट है कि हर मंडल में अत्याधुनिक विधि विज्ञान प्रयोगशाला की व्यवस्था की जाए. इसी क्रम में 6 अन्य लैब को भी स्वीकृति दी गई है. ये सभी बन रही हैं. 

सीएम योगी ने बताया कि नए कानूनों भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023—में 7 वर्ष से ऊपर की सजा वाले अपराधों में फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाने की व्यवस्था की गई है. इसके पीछे का कॉन्सेप्ट ये है कि हर व्यक्ति को तेजी से न्याय मिल सके. इनकी मदद से अब अपराध होने के कुछ ही घंटों में अपराधी के खिलाफ ठोस सबूत तैयार हो सकेंगे. इसी के लिए हर जिले में दो-दो मोबाइल फॉरेंसिक वैन भी उपलब्ध कराई गई हैं.

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गोरखपुर लैब में उपलब्ध होंगी ये सुविधाएं

गोरखपुर की इस 'ए-श्रेणी' की अपग्रेड लैब में तेजी से, सटीक और पुख्ता साक्ष्य आधारित जांच होगी. यहां ये जांचें की जा सकेंगी- 

- बायोलॉजिकल/डीएनए जांच: डीएनए जांच की सुविधा उपलब्ध कराई गई है.

- डिजिटल साक्ष्य: डाटा स्टोरेज (मोबाइल, लैपटॉप, सीसीटीवी आदि) और रिकवरी.

- बैलेस्टिक/हथियार: विस्फोटक पदार्थ एवं आग्नेयास्त्र (बुलेट) संबंधी जांच.

- अन्य जांचें: आवाज मिलान संबंधी जांच, अपराध संबंधी झूठ पकड़ने, फॉरेंसिक सिद्धांतों के इंजीनियरिंग में उपयोग.

सीएम ने कहा कि अब कोई भी अपराधी अपराध करके बच नहीं पायेगा. अपराधियों में यह भय है कि अगर अपराध किया, तो उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी. सीएम योगी ने पुलिस बल के आधुनिकीकरण और रूल ऑफ लॉ लागू करने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की जानकारी भी दी. पिछले 8 सालों में उत्तर प्रदेश पुलिस में 2 लाख 19 हजार कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न की गई है. ट्रेनिंग क्षमता 6000 से बढ़ाकर वर्तमान में 60244 पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित करने के स्तर पर पहुंचाई गई है.

2020 से प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए यूपी के 7 जिलों में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया गया है. 17 नगर निगमों और नोएडा-ग्रेटर नोएडा को इंटिग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (ICCC) से जोड़कर 'सेफ सिटी' के रूप में विकसित किया गया है. 13 लाख से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाकर पूरी व्यवस्था को सुरक्षित बनाया गया है. समाप्त की गई पीएसी कंपनियों का पुनर्गठन कर महिला पीएसी बटालियनों का गठन किया गया. इनके नाम वीरांगना झलकारी बाई कोरी (गोरखपुर), वीरांगना ऊदा देवी पासी (लखनऊ) और वीरांगना अवन्तीबाई लोधी (बदायूं) के नाम पर रखे गए हैं. सीएम ने यह भी बताया कि युवाओं को फॉरेंसिक तकनीक के माध्यम से अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराने के लिए लखनऊ में यूपी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज स्थापित की गई है.

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