गजनवी नष्ट नहीं कर पाया शिवलिंग तो लिखवा दिया ला इलाहा इल्लल्लाह, देखें अनोखा मंदिर

Gorakhpur News: आज देशभर में महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. देशभर के शिव मंदिरों में सुबह से ही…

विनित पाण्डेय

• 05:52 AM • 18 Feb 2023

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Gorakhpur News: आज देशभर में महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. देशभर के शिव मंदिरों में सुबह से ही शिव भक्तों की भारी भीड़ है. आज हम आपको गोरखपुर जिले में विराजमान एक ऐसे शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि महमूद गजनवी ने इसे कई बार तोड़ने की कोशिश की, लेकिन वह हर बार असफल होता रहा. कहा जाता है कि बार-बार असफल होने के बाद गजनवी ने शिवलिंग पर ही उर्दू में कलमा लिखवा दिया. आज भी शिवलिंग पर ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ लिखा हुआ है.

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मुस्लिम धर्मगुरुओं ने गजनवी से किया था मना

कहा जाता है कि मुस्लिम धर्मगुरुओं ने गजनवी को इस शिवलिंग को लेकर आगाह भी किया था. उन्होंने कहा था कि शिवलिंग का तुम कुछ नहीं कर पाओगे. इस शिवलिंग को छोड़ दो. माना जाता है कि कई बार शिवलिंग को जब नष्ट करने में वह असफल होता गया तो उसने शिवलिंग पर ही उर्दू में कलमा लिखवा दिया, जिससे हिंदू इसकी पूजा न कर सके.

झारखंडी महादेव मंदिर में स्थापित है शिवलिंग

बता दें कि यह शिवलिंग आज भी खजनी थाना क्षेत्र के शरया तिवारी गांव में विद्यमान है. इसे झारखंडी शिव कहा जाता है. माना जाता है कि यह शिवलिंग जमीन के अंदर से निकला है. सबसे हैरान करने वाली बात यह भी है कि इस शिव मंदिर में कोई मेला नहीं लगता. कहा जाता है कि जो भी यहां मेला लगाता है उसकी अकाल मौत हो जाती है.

सावन के महीने में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. शिवलिंग का शृंगार होता है और अभिषेक भी. लोगों का कहना है कि यहां का इतिहास भले ही कितना क्रूर रहा हो, गजनवी ने यहां कितनी भी क्रूरता दिखाई हो. मगर यह नीलकंठ महादेव शिवलिंग आस्था का अटल प्रतीक बनकर अभी भी खड़ा है.

शिवलिंग में उर्दू में लिखा है कलमा

शिवलिंग में दो पंक्तियां उर्दू में लिखी हुई हैं. पहली पंक्ति में लिखा है- ‘या अल्लाह’… और दूसरी पंक्ति में लिखा है ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’. कहा जाता है कि यहां गजनवी ने कई बार कोशिश की कि हिंदू यहां पूजा न कर सके लेकिन उसकी सभी कोशिशें, सभी साजिशें नाकाम होती गई. कलमा खुदा होने के बावजूद भी यहां लोगों की आस्था कम नहीं हुई.

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