आउटसोर्सिंग नौकरियों में आरक्षण नहीं होने यूपी में हारी BJP! पार्टी के दलित नेता क्या बता गए?

भाजपा की हार की समीक्षा में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के सामने आउटसोर्सिंग की नौकरियों में आरक्षण का मुद्दा उठाया गया. दलित और ओबीसी नेताओं ने कहा हार की एक बड़ी वजह आउटसोर्सिंग में आरक्षण का ना होना है.

UP News

कुमार अभिषेक

• 09:11 AM • 08 Jul 2024

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UP Political News: उत्तर प्रदेश के भीतर लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन को लेकर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के बीच समीक्षा का दौर जारी है. आपको बता दें लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन न होने के बाद BJP यूपी में होने वाले विधानसभा उपचुनाव में वापसी की कोशिश में है. इसी को लेकर संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने दलित-OBC नेताओं संग बैठक की. मिली जानकारी के अनुसार, हार की समीक्षा में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के सामने आउटसोर्सिंग की नौकरियों में आरक्षण का मुद्दा उठाया गया. दलित और ओबीसी नेताओं ने कहा हार की एक बड़ी वजह आउटसोर्सिंग में आरक्षण का ना होना है.

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भाजपा के दलित और ओबीसी नेताओं ने आउटसोर्सिंग में आरक्षण नहीं होने को रिजर्वेशन खत्म होने की दिशा में एक बड़ा कदम माना है. इन मंत्री और नेताओं ने बताया कि यह बात दलितों के भीतर घर कर गई और उन्हें लगा कि सरकार इस बहाने आरक्षण खत्म कर रही है. बीएल संतोष के साथ मुलाकात में योगी सरकार के मंत्री असीम अरुण, गुलाब देवी और प्रदेश महामंत्री प्रियंका रावत शामिल थीं. सभी मंत्रियों ने एक सुर में यह बात बीजेपी राष्ट्रीय संगठन महामंत्री को बताई.

 

 

असीम अरुण को मिली ये जिम्मेदारी

बता दें कि बीजेपी के नेतृत्व ने आउटसोर्सिंग और ठेके की नौकरियों में दलित ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के आरक्षण के नहीं होने को एक बड़ा मुद्दा माना और जल्द ही इसपर एक पूरी रिपोर्ट देने को कहा है. आउटसोर्सिंग में और ठेके पर नौकरी में आरक्षण लागू करने को लेकर एक कार्य योजना तैयार करने की जिम्मेदारी मंत्री असीम अरुण को दी गई है. इसमें आउटसोर्सिंग की नौकरियों में कैसे आरक्षण के रोस्टर को लागू किया जाए, इस पर एक पूरी रिपोर्ट असीम अरुण राष्ट्रीय नेतृत्व को देंगे.

दलित मंत्री और नेताओं ने बीएल संतोष से कहा कि दलित अधिकारियों थानेदारों तहसीलदारों को नौकरियां तो मिलती हैं, लेकिन उन्हें पोस्टिंग में दरकिनार रखा जाता है. इसका भी असर पड़ा है. दलित अधिकारियों को थानों से लेकर तहसील और मुख्यालय में महत्वपूर्ण विभागों में तैनात नहीं करने का मुद्दा भी बीएल संतोष के सामने उठाया गया.

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