करणी सेना और जान से मारने की धमकी पर अखिलेश यादव ने दिया तगड़ा रिएक्शन

UP News: भीमराव अंबेडकर की जयंती पर समाजवादी पार्टी प्रमुख और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने करणी सेना, राणा सांगा विवाद और खुद को धमकी मिलने पर तगड़ा रिएक्शन दिया है.

Akhilesh Yadav

यूपी तक

14 Apr 2025 (अपडेटेड: 14 Apr 2025, 04:02 PM)

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अंबेडकर जयंती के मौके पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद करणी सेना के हालिया प्रदर्शन के दौरान उन्हें दी गई जान से मारने की धमकी और हाल में हुई घटनाओं पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि यह वही लोग हैं जो न तो बाबा साहेब को मानते हैं, न ही संविधान को, और न ही लोकतंत्र में भरोसा रखते हैं.

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करणी सेना के प्रदर्शन और उस दौरान मिली धमकी को लेकर बोले अखिलेश

यूपी में इस वक्त समाजवादी पार्टी के दलित सांसद रामजी लाल सुमन के एक बयान को लेकर बवाल छिड़ा हुआ है. राणा सांगा पर दिए इस बयान के बाद रामजीलाल सुमन के घर पर हमले की कोशिश भी हुई थी. इसमें उनकी तरफ से करणी सेना पर आरोप लगाए गए थे. इस बीच शनिवार को पीले और केसरिया रंग के स्कार्फ पहने और ‘‘तलवारें लहराते हुए’’ करणी सेना और अन्य 40 क्षत्रिय समूहों के लोगों ने आगरा में प्रदर्शन किया. 

इसी प्रदर्शन के दौरान एक शख्स ने अखिलेश यादव को गोली मारने की धमकी भी दे डाली. अब अखिलेश यादव ने करणी सेना के बर्ताव पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, "मैंने कई मौकों पर कहा है और आज फिर कहता हूँ, ये (करणी सेना) भारतीय जनता पार्टी की ही सेना है. तलवारें लेकर निकलना, जान से मारने की धमकी देना... ये सब प्रशासन और शासन के इशारे पर ही हुआ है." उन्होंने यह भी कहा कि जिन विजुअल्स में तलवारें और लाठियां लहराते लोग दिख रहे हैं, वे हिंसा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं और यह सब बीजेपी की शह पर हुआ.

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संविधान को बताया ढाल और संजीवनी

अंबेडकर जयंती पर उन्होंने बाबा साहेब को याद करते हुए कहा कि "ये वही संविधान है जो हमें शिक्षा, आरक्षण और सम्मान का अधिकार देता है. यही हमारी ढाल है, यही संजीवनी है. अगर इसे कमजोर किया गया तो लोकतंत्र भी कमजोर होगा." उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के संविधान ने ही वंचितों को आगे बढ़ने का अवसर दिया है, और आज की सरकारें इसी संविधान को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं.

दलितों और वंचितों के खिलाफ अत्याचार पर चिंता

अखिलेश ने कहा कि समय-समय पर बाबा साहेब की प्रतिमा के अपमान की घटनाएं होती रहती हैं, और ये एक मैसेज देने की कोशिश होती है कि ताकतवर लोग वंचितों को अपमानित करेंगे. उन्होंने कहा, "ये वही प्रभुत्ववादी लोग हैं जिन्होंने सदियों से शोषण किया है और आज भी बाबा साहेब के विचारों के खिलाफ काम कर रहे हैं." उन्होंने यह भी कहा कि दलित समाज आज भी शादी में घोड़ी पर नहीं चढ़ सकता, पानी नहीं पी सकता, और अगर छू ले तो उसे अपमानित किया जाता है. उन्होंने जोर देकर कहा, "ये लड़ाई लंबी है और हम पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) परिवार के लोग मिलकर संविधान की रक्षा करेंगे."

प्रयागराज की घटना पर भी बोले अखिलेश

अखिलेश यादव ने प्रयागराज में दलित युवक की हत्या पर भी सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि "ये वही लोग हैं जो सत्ता के दम पर दलितों को जिंदा जला देते हैं और फिर सरकार खामोश रहती है. अगर बीजेपी 400 सीटें जीत जाती तो प्रेस के लोग भी सवाल नहीं पूछ सकते थे." उन्होंने कहा कि प्रयागराज की घटना मामूली बात पर नहीं, बल्कि एक मानसिकता का परिणाम है जो बाबा साहेब के विचारों से नफरत करती है.

सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर ऐसे मुद्दे उठाती है जिससे जनता का ध्यान बुनियादी सवालों से हट जाए. उन्होंने कहा, "आज सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या संविधान सुरक्षित है? क्या ये सरकार संविधान के अनुसार चल रही है?" अखिलेश यादव ने कहा कि "हम गांव-गांव जाकर संविधान और बाबा साहेब के विचारों को आम लोगों तक पहुँचाएँगे. चाहे जितना भी जोखिम उठाना पड़े, संविधान की रक्षा के लिए संघर्ष करेंगे."

क्या है राणा सांगा और करणी सेना से जुड़ा विवाद? 

राणा सांगा को लेकर सपा सांसद रामजीलाल सुमन द्वारा राज्यसभा में की गयी एक टिप्पणी को लेकर क्षत्रिय संगठनों ने नाराजगी जाहिर की है. यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब सुमन ने 21 मार्च को संसद में कहा कि राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को भारत आमंत्रित किया  था.  उन्होंने कहा था कि अगर भारतीय मुसलमानों को बाबर का वंशज बताया जाता है तो इसी तरह दूसरे समुदायों को भी राणा सांगा जैसे गद्दार के वंशज के तौर पर देखा जा सकता है.     राजपूत विरासत पर सवाल खड़ा करने वाले इस बयान से ‘अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा’ और करणी सेना सहित राजपूत संगठन भड़क उठे.  इसके बाद, ‘करणी सेना’ के सदस्यों ने 26 मार्च को आगरा में रामजी लाल सुमन के आवास पर हमला कर तोड़फोड़ की. इसी क्रम में शनिवार को भी करणी सेना ने आगरा में  ‘रक्त स्वाभिमान सम्मेलन’ का आयोजन किया था.

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