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दम्पति के बीच रिश्तों में कड़वाहट इस कदर आई कि एक दूसरे के बिना ही जवानी गुजर गई.
मामला कुशीनगर जनपद के छितौनी कस्बे का है. यहां के निवासी रामजस मद्धेशिया की पहली पत्नी का देहांत हो गया था.
परिवार में दो छोटे बच्चे थे. बेटा दिव्यांग था. बच्चों की परवरिश व घर-गृहस्थी चलाने की जिम्मेदारी रामजस पर थी.
रिश्तेदारों के कहने पर उन्होंने 40 की उम्र में नेपाल के कुसुम्हा की मंश से शादी कर ली.
मंशा दुल्हन बनकर ससुराल आई. तीन माह तक वह पति के साथ रही. फिर गर्भवती होने के बाद मायके गई.
रामजस कई बार ससुराल गए, लेकिन मंशा उनके साथ नहीं आई. दोनों में किसी बात को लेकर मनमुटाव हो गया था.
महराजगंज की रहने वाली रिश्तेदार (रिश्ते में बहू) की पहल पर दोनों मिले और एक दूसरे को देखकर रो पड़े.
फिर एक दूसरे को माला पहनाई और जीवन के अगले पड़ाव में एक साथ चलने का वादा किया.
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