शर्ट का बटन खोलकर कोर्ट गए थे एडवोकेट अशोक पांडे, HC की लखनऊ बेंच ने सीधे जेल की कैद में ही भेज दिया!

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक वकील को अदालत की अवमानना के एक पुराने मामले में छह महीने की सजा सुनाई है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो)

यूपी तक

11 Apr 2025 (अपडेटेड: 11 Apr 2025, 12:29 PM)

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इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक वकील को अदालत की अवमानना के एक पुराने मामले में छह महीने की सजा सुनाई है. 2021 के इस मामले में वकील अशोक पांडे ने बिना वकीली गाउन और खुले शर्ट के बटन में अदालत में पेश होकर न केवल कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाई, बल्कि जजों से बदसलूकी भी की थी. यह फैसला न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति बीआर सिंह की डिवीजन बेंच ने सुनाया.

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क्या है पूरा मामला?

यह अवमानना का मामला अगस्त 2021 का है. उस समय वरिष्ठ वकील अशोक पांडे बिना वकीली पोशाक के और खुले बटन वाली शर्ट पहनकर अदालत में पेश हुए थे. जब अदालत ने उनकी वेशभूषा पर आपत्ति जताई और बाहर जाने को कहा, तो उन्होंने कथित तौर पर जजों को “गुंडा” कह दिया.

इसके बाद कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की. कोर्ट ने उन्हें कई बार जवाब देने का अवसर दिया, लेकिन अशोक पांडे ने कभी कोई जवाब नहीं दिया.

कोर्ट ने क्या कहा?

फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि इस गंभीर मामले, आरोपी के पूर्व आचरण और अदालती प्रक्रिया में हिस्सा न लेने के कारण "उदाहरणात्मक सजा" जरूरी है. अदालत ने कहा कि पांडे का व्यवहार न्यायालय की गरिमा और अनुशासन के खिलाफ है.

कोर्ट ने अशोक पांडे को छह महीने की कैद की सजा सुनाई है. साथ ही ₹2,000 का जुर्माना भी लगाया गया है. अगर वह यह जुर्माना नहीं भरते हैं, तो उन्हें एक महीने की अतिरिक्त जेल होगी. अदालत ने उन्हें चार हफ्तों के अंदर लखनऊ के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है.

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भविष्य में वकालत पर भी संकट?

अदालत ने अशोक पांडे को नोटिस जारी कर यह भी पूछा है कि क्यों न उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट और उसकी लखनऊ पीठ में वकालत करने से प्रतिबंधित कर दिया जाए. इस नोटिस का जवाब देने के लिए उन्हें 1 मई तक का समय दिया गया है.  यह भी ध्यान देने वाली बात है कि अशोक पांडे पर पहले भी कोर्ट की अवमानना के आरोप लग चुके हैं. 2017 में उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट परिसर से दो साल के लिए प्रतिबंधित किया गया था.

इनपुट: पीटीआई.
 

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