बार में 3 बजे भोर तक पी शराब, नशे में चूर हो गई फिर हुआ रेप! इस केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया ऐसा फैसला हर कोई चौंक गया

पंकज श्रीवास्तव

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रेप केस में आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि पीड़िता भी घटना के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार है. कोर्ट ने परिस्थितियों और आरोपी के आपराधिक रिकॉर्ड न होने को देखते हुए यह फैसला सुनाया, जो अब चर्चा का विषय बन गया है.

ADVERTISEMENT

UP Tak
social share
google news

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रेप के एक चर्चित मामले में आरोपी को जमानत देते हुए ऐसी टिप्पणी की है, जिसकी जबर्दस्त चर्चा हो रही है. कोर्ट ने कहा कि अगर पीड़िता के आरोपों को सही भी मान लिया जाए, तब भी यह कहा जा सकता है कि उसने “खुद आफत मोल ली” और इस घटना के लिए “वह खुद भी जिम्मेदार है.”  यह आदेश जस्टिस संजय कुमार सिंह की एकल पीठ ने आरोपी निश्चल चांडक की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. अदालत ने इस मामले में पीड़िता के बर्ताव, परिस्थितियों और घटनाओं की श्रृंखला को ध्यान में रखते हुए आरोपी को जमानत दे दी.

क्या है पूरा मामला?

यह घटना गौतमबुद्ध नगर की है, जहां पीड़िता ने सेक्टर 126 थाने में आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. एफआईआर के मुताबिक, पीड़िता दिल्ली के एक बार “दि रिकॉर्ड रूम बार एंड रेस्टोरेंट” में अपनी तीन महिला मित्रों और आरोपी के साथ गई थी, जहां सभी ने शराब पी. पीड़िता ने खुद यह स्वीकार किया कि वह नशे की हालत में थी और करीब 3 बजे सुबह आरोपी ने उसे अपने घर चलने के लिए कहा.

पीड़िता के अनुसार, आरोपी ने उसे अपने घर के बजाय एक रिश्तेदार के फ्लैट में ले जाकर उसके साथ दो बार रेप किया. मेडिकल जांच में पीड़िता का “शीलभंग” पाया गया, लेकिन डॉक्टर ने यौन हमले को लेकर कोई स्पष्ट विशेषज्ञ राय नहीं दी.

यह भी पढ़ें...

आरोपी की ओर से क्या कहा गया?

आरोपी की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि यह घटना आपसी सहमति से बने संबंधों की है, जिसे बाद में रेप का रूप दे दिया गया. उन्होंने कहा कि पीड़िता न केवल बालिग है, बल्कि एमए की छात्रा भी है और पीजी हॉस्टल में रहती है. नियम तोड़कर उसने बार में शराब पी और फिर नशे में खुद आरोपी के साथ फ्लैट तक गई. ऐसे में उसे अपने निर्णयों के कानूनी और नैतिक परिणामों की जानकारी होनी चाहिए थी.

कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा, “यह निर्विवाद है कि दोनों पक्ष बालिग हैं. पीड़िता पढ़ी-लिखी है और उसे अपने कार्यों की नैतिकता और कानूनी परिणामों को समझने की क्षमता है. अगर उसके आरोपों को सही भी मान लिया जाए, तब भी यह निष्कर्ष निकलता है कि उसने खुद ही इस मुसीबत को न्योता दिया है और इसके लिए वह स्वयं भी जिम्मेदार है.”

कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, वह कई महीनों से जेल में बंद है, और उसके द्वारा न्यायिक प्रक्रिया से भागने या गवाहों से छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है. इन तथ्यों के आधार पर अदालत ने आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.

इससे पहले भी इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक फैसला रहा खूब चर्चित

इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले से कुछ ही दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने इसी अदालत के एक अन्य विवादित आदेश पर रोक लगाई थी. उस आदेश में जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र ने कहा था कि किसी महिला की छाती दबाना और पायजामे की डोरी खींचना रेप की कोशिश नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे "असंवेदनशील और अमानवीय" करार दिया था और तत्काल प्रभाव से उस आदेश पर रोक लगा दी थी.

    follow whatsapp