उत्तर प्रदेश में लेखपाल भर्ती के विज्ञापन में आरक्षण संबंधी गड़बड़ी के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है. इस मामले में खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने हस्तक्षेप करते हुए राजस्व परिषद को कड़ी चेतावनी दी है. सीएम योगी के कड़े रुख के बाद अब इस भर्ती के आरक्षण ढांचे में बड़ा बदलाव होने जा रहा है.
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राजस्व परिषद को मिली चेतावनी, नया अधियाचन होगा तैयार
राजस्व लेखपाल के 7994 पदों के लिए 16 दिसंबर 2025 को जारी विज्ञापन में आरक्षण संबंधी विसंगतियां होने का दावा किया गया. सीएम योगी ने इन त्रुटियों का कड़ा संज्ञान लेते हुए राजस्व परिषद को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है. सीएम के हस्तक्षेप के बाद अब जिलावार रिक्तियों के आंकड़ों की दोबारा समीक्षा शुरू कर दी गई है. राजस्व परिषद अब एक सप्ताह के भीतर संशोधित अधियाचन तैयार कर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) को भेजेगा, ताकि भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह से नियम सम्मत और पारदर्शी हो सके.
आरक्षण का उल्लंघन सामाजिक न्याय के खिलाफ: सीएम योगी
सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी विभागों को दो टूक संदेश दिया है कि सरकारी भर्तियों में आरक्षण व्यवस्था का अक्षरशः पालन अनिवार्य है. उन्होंने स्पष्ट किया कि भर्तियों में वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल दोनों तरह के आरक्षण प्रावधानों का शत-प्रतिशत पालन सुनिश्चित किया जाए. सीएम ने चेतावनी दी कि अगर आरक्षण संबंधी किसी भी मामले में त्रुटि या लापरवाही पाई गई, तो संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय कर उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. शासन स्तर पर ऐसी गलतियां किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं की जाएंगी.
क्या था पूरा मामला?
16 दिसंबर को जब लेखपाल भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ, तो विभिन्न जिलों से भेजे गए श्रेणीवार रिक्त पदों के आंकड़ों में विसंगतियां पाई गईं. इसके बाद युवाओं और अभ्यर्थियों के बीच असंतोष देखने को मिल रहा था. सीएम योगी तक बात पहुंचते ही उन्होंने तुरंत जांच और सुधार के आदेश दिए. राजस्व परिषद की सचिव कंचन वर्मा ने बताया कि सीएम के निर्देशानुसार सभी आंकड़ों की प्राथमिकता के आधार पर समीक्षा की जा रही है. संशोधित अधियाचन भेजने के बाद भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह विवाद-मुक्त और पारदर्शी होगी.
युवाओं के लिए बड़ा संदेश
प्रदेश सरकार ने यह साफ कर दिया है कि युवाओं के भविष्य और सामाजिक न्याय से जुड़ी भर्ती प्रक्रियाओं में कोई भी मनमानी या लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. लेखपाल भर्ती में यह हस्तक्षेप आने वाली सभी सरकारी भर्तियों के लिए एक नजीर है कि आरक्षण नियमों के पालन में जरा भी ढिलाई अधिकारियों को भारी पड़ सकती है.
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