Etawah News: इटावा में कथावाचक मुकुटमणि यादव और उनके सहायक संत यादव के साथ कथित तौर पर जाति पूछकर की गई मारपीट, बाल काटने और उन पर मूत्र छिड़कने का मामला इन दिनों पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस घटना ने तब और तूल पकड़ा जब समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दोनों कथावाचकों को लखनऊ बुलाकर सम्मानित किया. इस मामले में तब ट्विस्ट सामने आया जब गांव की कुछ महिलाओं ने इन कथावाचकों पर छेड़खानी जैसे गंभीर आरोप लगा दिए. इन आरोपों के बीच मुकुट मणि यादव के 2 आधार कार्ड भी सामने आए, जिनकी जांच शुरू हो गई है.
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पीड़ित कथावाचक मुकुटमणि यादव के परिवार की जुबानी
यूपी Tak की टीम जब इस घटना की तह तक जाने के लिए मुकुटमणि यादव के पैतृक गांव, इटावा के थाना सिविल लाइन अंतर्गत जवाहरपुरा पहुंची, तो उनके परिवार से बातचीत की. मुकुटमणि के पिता रामप्रकाश यादव ने बताया कि उनके आठ बच्चे हैं और मुकुटमणि उनमें सबसे बड़े हैं. वह पिछले 15 साल से कथावाचक का काम कर रहे हैं. पिता ने बताया कि मुकुटमणि ने गुरु-शिष्य परंपरा के तहत अछल्दा के पास किसी गांव में अवधेश यादव को अपना गुरु बनाया है और उन्हीं से कथा सीखी है. इसके बाद से वह गांव-गांव जाकर कथा कहते आ रहे हैं. अपने बेटे की चोटी काटने की घटना से वह बहुत आहत और परेशान हैं. रामप्रकाश यादव का कहना है कि "मैं ही नहीं, पूरा गांव इस समय बहुत अचंभित है."
मुकुटमणि के छोटे भाई रंजीत यादव ने भी इस बात की पुष्टि की कि उनके बड़े भाई पिछले 15 साल से कथा कह रहे हैं और उनके साथ ऐसा दुर्व्यवहार पहले कभी नहीं हुआ. रंजीत ने भावुक होते हुए कहा, "उनके साथ हुई इस घटना का वीडियो मैंने जब से मोबाइल पर देखा है, तब से मन परेशान है और सब लोग आक्रोशित हैं."
ये है दिव्यांग सहायक श्याम जी कठेरिया की कहानी
मुकुटमणि यादव के साथ ढोलक बजाने वाले उनके सहायक श्याम जी कठेरिया लगभग एक साल से उनके कार्यक्रमों में साथ हैं. दोनों आंखों से दिव्यांग श्याम जी की माता कुशमा ने बताया कि उनका बेटा जन्म से ही दिव्यांग है. श्याम जी की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही स्कूल से हुई, जिसके बाद उन्हें औरैया में दिव्यांग स्कूल भेजा गया, जहां श्याम जी ने अपनी पढ़ाई की और ढोलक बजाना सीखा. माता कुशमा ने बताया कि "लगभग एक साल से मुकुटमणि के साथ जाकर प्रोग्राम में ढोलक बजाया करते हैं. इसके एवज में मुकुटमणि उनको पैसा देते थे, जिससे उनके घर का खर्चा चलता है."
बीएससी पास संत यादव, जो अब 'आचार्य' कहलाते हैं
मुकुटमणि यादव के सहायक का काम करने वाले संत यादव ने बताया कि उन्होंने बायोलॉजी से बीएससी की है. पहले वह टीचर की जॉब करते थे, लेकिन कोरोना के बाद उन्होंने शिक्षण कार्य छोड़कर कथावाचक मुकुटमणि के संपर्क में आकर उनके सहायक आचार्य बन गए. संत यादव ने कहा, "मुझे संस्कृत पढ़ना आता है, इसलिए मैंने कथा क्षेत्र में आने का निर्णय किया. सरस्वती ज्ञान मंदिर स्कूल में पढ़ाया है, जिसके चलते आचार्य कहलाने लगा, क्योंकि वहां टीचरों को आचार्य ही कहा जाता है." यह बात बोलते हुए संत यादव रो पड़ते हैं कि "मगर कुछ लोगों ने बीते दिनों जो हमारे साथ किया वो ताउम्र याद रहेगा."
अब विस्तार से जानिए पूरा मामला
यह पूरा मामला पिछले दिनों दांदरपुर गांव में हुई घटना से जुड़ा है, जहां यादव कथावाचक मुकुटमणि यादव और उनके सहयोगी संत कुमार यादव के साथ मारपीट की गई थी और संत यादव की चोटी भी काट दी गई थी. इस घटना का आरोप ब्राह्मण समाज के लोगों पर लगा था, जिसके बाद पुलिस ने चार युवकों को गिरफ्तार भी किया था.
इस मामले में एक नया मोड़ तब आया जब कथावाचक और उनके सहयोगी के खिलाफ भी फर्जी आधार कार्ड और धोखेबाजी का केस दर्ज किया गया, जिसके बाद मामला और गहरा गया.
इसी विरोध में, थाना बकेवर क्षेत्र के दांदरपुर गांव में बीते गुरुवार को भारी बवाल हुआ. गांव में घुसने से रोकने पर 'अहीर रेजीमेंट' और 'यादव महासभा' के लोगों ने पुलिसवालों पर पथराव किया, जिसके बचाव में पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी. इस घटना के बाद इलाके का माहौल तनावपूर्ण हो गया है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, अब तक 19 बवालियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और 13 गाड़ियां सीज की गई हैं. इसके साथ ही, दांदरपुर गांव में कई थानों की फोर्स तैनात की गई है, और वीडियो में कैद हुए अन्य बवालियों की तलाश में जगह-जगह छापेमारी की जा रही है. बताया जा रहा है कि 26 जून को बकेवर थाना क्षेत्र इलाके में एकत्रित हुई हजारों की भीड़ में दूसरे जिलों से भी लोग आए थे.
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