मुख्तार अंसारी की मौत के बाद सामने आया अखिलेश का रिएक्शन, UP सरकार पर चुन-चुनकर कसे तंज

यूपी तक

29 Mar 2024 (अपडेटेड: 29 Mar 2024, 10:39 AM)

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर मुख्तार की मौत को लेकर सवाल खड़ा किया है. अखिलेश यादव ने कहा है कि 'जो हुकूमत जिंदगी की हिफाजत न कर पाए उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं. उप्र सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. ये यूपी में कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है.'

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Mukhtar Ansari Death News: बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की अचानक तबीयत बिगड़ने से हुई मौत ने हर किसी को हैरान कर दिया है. ऐसे में तमाम राजनीतिक दल से जुडे़ लोग अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. इस बीच समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव का रिएक्शन भी सामने आया है. अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर मुख्तार की मौत को लेकर सवाल खड़ा किया है. अखिलेश यादव ने कहा है कि 'जो हुकूमत जिंदगी की हिफाजत न कर पाए उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं. उप्र सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. ये यूपी में कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है.'

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X पर लिखते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि "हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है. सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या कैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा: 

- थाने में बंद रहने के दौरान 
- जेल के अंदर आपसी झगड़े में 
- ⁠जेल के अंदर बीमार होने पर
- न्यायालय ले जाते समय
- ⁠अस्पताल ले जाते समय
- ⁠अस्पताल में इलाज के दौरान
- ⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर
- ⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर
- ⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर

ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जांच होनी चाहिए. सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर कानूनी हैं. जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं. उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है.''

अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम

साल 1995 में मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया से मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश किया. 1996 में पहली बार मुख्तार अंसारी बसपा के टिकट पर यूपी के मऊ से विधायक चुना गया. उसके बाद मऊ विधानसभा से साल 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर विधायक चुना गया.  नवंबर 2005 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की बीच सड़क पर दर्दनाक हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड का आरोप मुख्तार पर लगा था और पिछले साल इस मामले में मुख्तार दोषी भी करार दिया गया. 2012 में मुख्तार अंसारी और भाई अफजाल अंसारी ने कौमी एकता दल के नाम से पार्टी का गठन किया. 2012 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी कौमी एकता दल से मऊ सीट से लड़ा और जीता.

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