मोदी-योगी सरकार का दावा- ‘एशिया में सबसे बड़ा होगा जेवर एयरपोर्ट’, आंकड़े क्या कहते हैं

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 नवंबर को जेवर में जिस नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास किया, उसे केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकारें एशिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट के तौर पर पेश कर रही हैं.

इस दावे की एक झलक उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री कार्यालय के इस ट्वीट में देखी जा सकती है.

बात केंद्र सरकार की ओर से किए गए दावे की करें तो केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस एयरपोर्ट के शिलान्यास समारोह में कहा था,

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”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्देश था कि एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा उत्तर प्रदेश में बनाया जाए. जहां चाह , वहां राह… यह प्रधानमंत्री का महत्वाकांक्षी संकल्प था, जो आज सच हो रहा है.’’

ज्योतिरादित्य सिंधिया

इस बीच सवाल उठ रहा है कि क्या नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट वाकई एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा? इस सवाल के जवाब के लिए कई पैरामीटर अहम हो जाते हैं, जैसे एयरपोर्ट का कुल क्षेत्रफल, साल भर में एयरपोर्ट का इस्तेमाल करने वाले कुल यात्रियों की संख्या, एयरपोर्ट से लोड और अनलोड हुए कार्गो का डेटा, एयरक्राफ्ट मूवमेंट आदि.

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यहां यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि

  • नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के प्रोजेक्ट को लेकर केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय यानी सिविल एविएशन मिनिस्ट्री के एक बयान में बताया गया है कि यह प्रोजेक्ट 4 फेज में पूरा होगा.

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  • प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया है कि इस प्रोजेक्ट के पहले फेज का काम 2024 तक पूरा होना है.

  • सिविल एविएशन सेक्रेटरी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट का आखिरी फेज 2040-50 के बीच पूरा होगा.

  • चलिए अब अलग-अलग पैरामीटर्स और मौजूदा आंकड़ों के हिसाब से नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट और एशिया के दूसरे बड़े एयरपोर्ट्स की स्थिति समझने की कोशिश करते हैं.

    क्षेत्रफल के हिसाब से स्थिति

    सिविल एविशन मिनिस्ट्री के एक बयान की जिस लाइन में क्षेत्रफल का जिक्र है, उसमें कहा गया है कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को जेवर में 1334 हेक्टेयर (13.34 स्क्वॉयर किलोमीटर) क्षेत्रफल में प्लान किया गया है. यहां यह साफ नहीं किया गया है कि आखिरी फेज तक यही क्षेत्रफल रहेगा या फिर उसमें विस्तार होगा.

    हालांकि न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट में संबंधित अधिकारियों के हवाले से इस बात का जिक्र मिलता है कि भविष्य में पूरा प्रोजेक्ट 5000 हेक्टेयर (50 स्क्वॉयर किलोमीटर) में फैला होगा. यह तो हुई नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जुड़ी बात.

    अब बात करते हैं सऊदी अरब के किंग फाहद इंटरनेशनल एयरपोर्ट की. हम इसका जिक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, इसे 12 दिसंबर 2011 को क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट घोषित किया गया था. इसका क्षेत्रफल 780 स्क्वॉयर किलोमीटर बताया गया है.

    चलिए, अब दूसरे पैरामीटर की तरफ बढ़ते हैं.

    कुल यात्री संख्या के हिसाब से स्थिति

    सिविल एविएशन सेक्रेटरी के मुताबिक, पहले फेज में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट सालाना 1.2 करोड़ यात्रियों का परिचालन करने की स्थिति में होगा, जबकि आखिरी फेज पूरा होने के बाद यह क्षमता बढ़कर सात करोड़ यात्रियों तक पहुंच जाएगी.

    अब एयरपोर्ट का इस्तेमाल करने वाले यात्रियों की संख्या को लेकर एशिया के दूसरे कुछ एयरपोर्ट्स के आंकड़े देख लेते हैं.

    एयरपोर्ट्स काउंसिल इंटरनेशनल (ACI) के मुताबिक, 2019 में बीजिंग के एयरपोर्ट – BEIJING, CN (PEK) – से उड़ान भरने वाले और यहां उतरने वाले कुल यात्रियों की संख्या 10 करोड़ से ज्यादा थी, जबकि 2020 के लिए यह आंकड़ा 3.4 करोड़ से ज्यादा था. मगर यहां 2019 का आंकड़ा ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि 2020 में कोरोना वायरस महामारी के चलते दुनियाभर में एयर ट्रैवल पर बुरा असर पड़ा था.

    अब सिर्फ अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की ही बात करें तो ACI के मुताबिक, 2019 में 8.6 करोड़ से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय यात्रियों ने दुबई के एयरपोर्ट -DUBAI, AE (DXB) – का इस्तेमाल किया है, जबकि वहां 2020 में यह आंकड़ा 2.5 करोड़ से ज्यादा रहा था.

    वहीं, कोरोना महामारी के कहर से पहले भारत में दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट की बात करें तो ACI के मुताबिक, 2018 में इस एयरपोर्ट से उड़ान भरने वाले और यहां उतरने वाले यात्रियों की संख्या 6.9 करोड़ से ज्यादा थी. यह संख्या लगभग उस आंकड़े के बराबर ही है, जो नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को उसका आखिरी फेज पूरा होने के बाद हासिल होने की उम्मीद जताई जा रही है.

    कार्गो के हिसाब से स्थिति

    नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में बताया गया है कि इसके डेडिकेटेड कार्गो टर्मिनल की क्षमता 20 लाख मीट्रिक टन होगी, जिसे (बाद में) बढ़ाकर 80 लाख मीट्रिक टन किया जाएगा. हालांकि यहां इस कार्गो कपैसिटी की किसी समय अवधि का जिक्र नहीं किया गया है.

    दूसरे एयरपोर्ट्स की कार्गो कपैसिटी की बात करें तो एयरपोर्ट्स काउंसिल इंटरनेशनल इसे लेकर सालाना आंकड़े जारी करती है. 22 अप्रैल 2021 को पब्लिश हुई इसकी वर्ल्ड एयरपोर्ट ट्रैफिक रैकिंग्स रिपोर्ट के हिसाब से हॉन्ग कॉन्ग (एशिया) का एयरपोर्ट – HONG KONG SAR, HK (HKG) – सबसे ज्यादा कार्गो लोड और अनलोड करने के मामले में 2019 में दुनिया में पहले पायदान पर रहा था, जबकि 2020 में दूसरे स्थान पर. इस एयरपोर्ट से 2019 में 48 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा कार्गो लोड/अनलोड हुआ, वहीं 2020 के लिए यह आंकड़ा 44 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा रहा.

    बात सिर्फ अंतरराष्ट्रीय माल लोडिंग/अनलोडिंग के आंकड़ों की करें तो इस मामले में हॉन्ग कॉन्ग का एयरपोर्ट – HONG KONG SAR, HK (HKG) – 2019 और 2020 दोनों साल ही दुनिया में पहले नंबर पर रहा. यहां से 2019 में 47 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय माल लोड/अनलोड हुआ, जबकि 2020 के लिए यह आंकड़ा 44 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा का रहा.

    इसके बाद एक अहम पैरामीटर एयरक्राफ्ट मूवमेंट का आता है, लेकिन हमें नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को लेकर सरकार की तरफ से जारी बयानों में इस पर कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं मिला. ऐसे में सीमित मौजूद आंकड़े और नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पूरी क्षमता के साथ चालू होने में लंबा वक्त बाकी होने जैसे पहलुओं के मद्देनजर फिलहाल सरकार के दावे पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया जा सकता. मगर ऊपर दिए गए आंकड़ों से तस्वीर बहुत हद तक साफ तो हो ही रही है.

    तस्वीरें: कैसा दिखेगा जेवर में बनने वाला नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट?

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