कन्नौज से अखिलेश ने लड़ा था पहला चुनाव तब साथ थे अमर सिंह, उस डिनर का किस्सा जिसने सब बदला

आयुष अग्रवाल

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UP News: साल 2000 में कन्नौज लोकसभा सीट (Kannauj Lok Sabha) पर हुए उपचुनाव से समाजवादी पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष और संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने अपने बेटे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की सियासत में एंट्री करवाई. तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि अखिलेश यादव, उत्तर प्रदेश और भारत की राजनीति में एक प्रमुख चेहरे के तौर पर उभर के सामने आएंगे. अब एक बार फिर साल 2024 लोकसभा चुनाव में अखिलेश ने कन्नौज सीट पर वापसी की है और अखिलेश यहां से चुनावी मैदान में खड़े हो गए हैं.

इसी बीच सपा मुखिया ने अपने सोशल मीडिया X पर एक फोटो शेयर किया है. इस फोटो को साल 2000 का 2002 चुनाव के नामांकन के दौरान का बताया जा रहा है. खास बात ये है कि इस फोटो में अखिलेश यादव के बराबर में कभी य़ूपी की सियासत के एक और दिगग्ज और मुलायम-अखिलेश के काफी करीब रहे अमर सिंह (Amar Singh) खड़े हैं. 

फोटो में अमर सिंह बिल्कुल अखिलेश यादव के बराबर में खड़े हैं. फोटो देखकर साफ अंदाजा लग सकता है कि उस वक्त दोनों में कितनी करीबियां हुआ करती थी. बता दें कि अब ये फोटो सुर्खियों में आ गया है और इसी के साथ अमर सिंह और अखिलेश के बीच हुए कई रोचक किस्से चर्चाओं में आ गए हैं. 

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दरअसल माना जाता है कि अखिलेश यादव की राजनीति में एंट्री से लेकर अखिलेश यादव की डिंपल यादव से शादी तक, अमर सिंह का असर अखिलेश यादव की जिंदगी पर काफी रहा. अमर सिंह ने ही अखिलेश यादव का उस-उस समय साथ दिया, जिसने अखिलेश यादव की जिंदगी में काफी असर डाला. अमर सिंह, अखिलेश यादव को अपना मुंहबोले भतीजा भी बोलते थे और उन्हें प्यार से टीपू भी कहते थे. उस समय अमर सिंह अखिलेश के सबसे बड़े पैरवीकार में से एक हुआ करते थे. मगर फिर साल 2018 का वह दौर भी आया, जब अमर सिंह ने अखिलेश पर हमला बोलते हुए कहा कि अखिलेश समाजवादी नहीं, बल्कि नमाजवादी पार्टी के अध्यक्ष हैं.

जब अमर सिंह ने करवाई अखिलेश यादव की राजनीति में एंट्री

आज हम आपको साल 2007 में ले चलते हैं. अखिलेश यादव 3 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके थे. मगर अभी तक उन्हें पार्टी में वह खास जगह नहीं मिल रही थी, जो वह चाहते थे. माना जाता है कि अखिलेश पार्टी का अध्यक्ष बनने की फिराक में थे. मगर मुलायम सिंह यादव इसके लिए तैयार नहीं थे. 

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प्रिया सहगल ने अपनी किताब ‘द कंटेंडर्स: हू विल लीड इंडिया टुमॉरो’ में जो किस्सा बयां किया है, उसे हम आपको अपने शब्दों में बताते हैं. साल 2007 में मायावती ने विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी को काफी बुरी तरह से हराया. इस हार के बाद एक दिन अमर सिंह के तब दिल्ली के लोदी रोड स्थित आवास पर सपा के कई दिग्गज एकत्र हुए और साथ में डिनर किया गया. डिनर में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव भी थे. साथ में सपा के कई अन्य दिग्गज नेता भी थे. तभी अमर सिंह ने कुछ ऐसा कहा, जिससे वहां सभी सन्न रह गए. अमर सिंह ने मुलायम सिंह से कहा कि नई पीढ़ी की राजनीति के लिए नई पीढ़ी के नेता की जरूरत है. इसके लिए अमर सिंह ने मुलायम सिंह के सामने टीवी सीरियल का जिक्र किया.


अमर सिंह ने वहां बैठी अपनी दोनों बेटियों से पूछा कि वो टीवी पर कौन सा सीरियल देखती हैं? जवाब मिला, हैना मॉन्टेना. अमर सिंह ने मुलायम से कहा कि देखिए अखिलेश की बेटियां भी इसी उम्र की होंगी और अपने बच्चों के जरिए उन्हें पता चलता होगा कि युवा क्या देखते और क्या चाहते हैं. ये बात करते-करते अमर सिंह ने मुलायम सिंह यादव को प्रस्ताव दिया कि वह अखिलेश को पार्टी का अध्यक्ष बना दें. 

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मुलायम सिंह यादव नहीं हुए राजी

किताब के मुताबिक, अमर सिंह ने ये प्रस्ताव मुलायम सिंह यादव के सामने पेश तो किया. मगर मुलायम सिंह यादव इसपर राजी नहीं हुई. मगर वहां बैठे सपा के अन्य नेता इस पर राजी हो गए. ये देख मुलायम सिंह यादव ने कहा कि वह इस बारे में पार्टी के विचारक जनेश्वर मिश्र से बात करेंगे. 

किताब के मुताबिक, जब छोटे लोहिया के नाम से मशहूर जनेश्वर मिश्र से मुलायम ने उनकी राय मांगी तो उन्होंने तुरंत हामी भर दी. साल 2009 में अखिलेश यादव को मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी का अध्यक्ष बना दिया. बताया जाता है कि वह अमर सिंह की थे, जिन्होंने अखिलेश यादव को पार्टी का अध्यक्ष बनवाया और साल 2012 में अखिलेश का यूपी के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता खुला.

डिंपल के साथ शादी में भी अमर सिंह ने निभाई थी अहम भूमिका

माना जाता है कि डिंपल के साथ अखिलेश की शादी के खिलाफ पूरा यादव परिवार था. मगर उस समय अमर सिंह ही थे, जिन्होंने अखिलेश यादव का साथ दिया. खुद अमर सिंह ने कहा था कि पूरे परिवार के खिलाफ होने के बाद भी उन्होंने अखिलेश का साथ दिया और डिंपल-अखिलेश की शादी में अहम किरदार निभाया. 

बता दें कि समय के साथ अमर सिंह और अखिलेश में दूरियां बढ़ती चली गई और जिंदगी के आखिर में अमर सिंह सपा और अखिलेश के खिलाफ काफी मुखर रहने लगे. 

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