अखिलेश पहली बार करेंगे कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण, ‘दलित कार्ड’ से मिलेगी सत्ता?

कुमार अभिषेक

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UP Politics: निकाय चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर इस समय उत्तर प्रदेश कि सियासत गरम है. सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियां और रणनीतियों में जुटे हुए हैं. इस सियासी रण में कोई भी सियासी दल नहीं चाहता कि उससे किसी भी तरह की चूक हो जाए. इसी बीच समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भी कांशीराम के जरिए सपा के दलित एजेंडे को साधने जा रहे हैं. बता दें कि आज यानी 3 मार्च को अखिलेश यादव, रायबरेली (Raebareli ) में कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण करने जा रहे हैं. ये पहला मौका है जब अखिलेश यादव, कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण करने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि अखिलेश के इस कदम के अहम सियासी मायने हैं.

दलितों को देना चाहते हैं बड़ा संदेश

सपा मुखिया अखिलेश यादव, रायबरेली के ऊंचाहार में स्थित एक कॉलेज में कांशीराम की प्रतिमा का उद्घाटन करने जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि दलित वोट बैंक को साधने के लिए पूरी रणनीति के तहत अखिलेश यह कदम उठा रहे हैं. सपा का लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा दलित वर्ग को सपा के पक्ष में किया जाए, जिससे निकाय चुनावों में और 2024 में भाजपा से सीधी टक्कर ली जा सके.

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सपा में अंबेडकरवादियों की बड़ी फौज

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समाजवादी पार्टी में अब अंबेडकरवादियों की बड़ी फौज है. इनमें से काफी लोग वह हैं जिन्होंने बहुजन समाज पार्टी से निकलकर सपा का दामन थामा है. ये लोग कांशीराम की राजनीतिक विचारधारा और अंबेडकरवादी राजनीतिक स्कूल से निकले हैं, ऐसे में अखिलेश इनका ज्यादा से ज्यादा सियासी लाभ लेना चाहते हैं.

बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव अपने इस कदम से सपा के दलित एजेंडे को धार देने की कोशिश करेंगी. इसी के साथ सपा अंबेडकरवादियों और लोहिया वादियों को जोड़ने की भी कवायद करेगी.

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सपा के पास हैं कभी बसपा में रहे ये बड़े दलित चेहरे

बता दें कि सियासी रणनीति के तहत समाजवादी पार्टी ने बसपा के कई बड़े नेताओं को अपने साथ जोड़ा है, जिससे सपा दलित वर्ग में अपनी पकड़ को मजबूत कर सके. इंद्रजीत सरोज, केके गौतम, राम अचल राजभर, स्वामी प्रसाद मौर्य, अवदेश प्रसाद, ये वो चेहरे हैं जिनके ऊपर दलित वर्ग को साधने की जिम्मेदारी है.

अखिलेश यादव ने दलित विधायक अवधेश प्रसाद को न सिर्फ विधानसभा में अपने बगल की सीट दी बल्कि वह राष्ट्रीय अधिवेशन में भी अखिलेश यादव के बिल्कुल साथ नजर आए. संदेश दिया गया कि उनका दर्ज प्रदेश में नंबर 1 या 2 का है.

इसी के साथ अखिलेश यादव ने हाल ही में बाबा साहब वाहिनी का गठन भी किया है. ये संगठन सपा का दलित समाज के लिए फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन होगा. इसके माध्यम से भी सपा दलित वर्ग को अपने साथ जोड़ेगी. अब देखना यह होगा कि सपा अपनी इस रणनीति में कितनी कामयाब हो पाती है.

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