पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 109वीं जयंती पर BHU में विशेष व्याख्यान का हुआ आयोजन
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 109वीं जयंती पर 'एकात्म मानववाद' पर विशेष व्याख्यान का आयोजन हुआ. जानें इस कार्यक्रम की मुख्य बातें और उनके विचारों की प्रासंगिकता.
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काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 109वीं जयंती के अवसर पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया. इस खास आयोजन में उनके जीवन, दर्शन और एकात्म मानववाद की विचारधारा पर गहन चर्चा हुई. यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के वेदिक साइंस सेंटर के सम्मेलन कक्ष में आयोजित किया गया था और इसे सामाजिक विज्ञान संकाय के पंडित दीनदयाल उपाध्याय पीठ के तत्वावधान में संचालित किया गया.
कार्यक्रम की शुरुआत महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने, दीप प्रज्ज्वलन और विश्वविद्यालय के गान के साथ हुई. पं. दीनदयाल उपाध्याय पीठ के शोध छात्र शुभम मिश्रा और परियोजना अधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार गुप्ता ने स्वागत भाषण दिया और मुख्य अतिथियों का परिचय कराया.
BHU के कुलपति प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी ने अपने संबोधन में कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार ज़माने के साथ प्रासंगिक हैं और हमें केवल कार्यक्रमों तक सीमित नहीं रहकर उनके सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसी गतिविधियां केवल काशी तक सीमित न होकर ग्रामीण क्षेत्रों और अन्य भागों तक पहुंचनी चाहिए. कुलपति ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय पीठ को शोधकर्ता समुदाय और शैक्षणिक जगत से जोड़ने और उनके विचारों का प्रचार-प्रसार करने पर ज़ोर दिया.
मुख्य वक्ता और समाजसेवी डॉ. वीरेंद्र जायसवाल ने अपने संबोधन में दीनदयाल उपाध्याय के जीवन और उनके "एकात्म मानववाद" दर्शन पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि न तो समाजवाद और न ही पूंजीवाद किसी राष्ट्र को बदल सकता है, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपराएं ही राष्ट्रीय प्रगति की कुंजी हैं. उपाध्याय जी ने राजनीति को समाज एवं संस्कृति से जोड़ा और राष्ट्र को नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी.
इतिहास विभाग के प्रो. प्रवेश भारद्वाज ने एकात्म मानववाद को मानवता का दर्शन बताया और कहा कि भारतीय दृष्टिकोण में जहां भी जल है, वहां शांति की बात होती है. उन्होंने महान विभूतियों के विचारों को बार-बार याद रखने और प्रभावी रूप से फैलाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया.
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कार्यक्रम के संयोजक, प्रो. तेज प्रताप सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन में बताय़ा कि BHU भारत का पहला ऐसा विश्वविद्यालय है जहां पंडित दीनदयाल उपाध्याय पीठ की स्थापना हुई है. उन्होंने पीठ की अब तक की गतिविधियों, पिछले कार्यक्रमों और भविष्य की योजनाओं की जानकारी साझा की. उन्होंने कहा कि इस पीठ का मुख्य उद्देश्य केवल विचार-विमर्श ही नहीं बल्कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांतों को प्रशासन व शोध कार्यों के माध्यम से समाज और शिक्षा जगत तक पहुंचाना है.
कार्यक्रम का संचालन शोध छात्रा कृति त्रिपाठी ने किया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, शोधकर्ता और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे और उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की प्रासंगिकता और उनकी शिक्षा को समकालीन समाज में अपनाने पर विस्तृत चर्चा की.
यह आयोजन पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दार्शनिक एवं सामाजिक योगदान को याद करते हुए युवाओं में उनके आदर्शों को जागृत करने का महत्वपूर्ण प्रयास माना गया. इसका उद्देश्य था कि आने वाली पीढ़ी उपाध्याय जी के विचारों, सिद्धांतों और उनके जीवन के आदर्शों को समझे और अपने जीवन में उतारे.