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बनारस में खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंगा, बाढ़ ने घाट का कर दिया ये हाल

रोशन जायसवाल

वाराणसी में गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिससे मणिकर्णिका घाट समेत कई घाट जलमग्न हो गए हैं. शवयात्रियों को नाव से अंतिम संस्कार के लिए जाना पड़ रहा है, लेकिन प्रशासनिक व्यवस्था नदारद है और नाविक मनमानी वसूली कर रहे हैं.

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वाराणसी में गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और 84 पक्के घाटों समेत घाट किनारे के कई मठ-मंदिर डूब चुके हैं.
 

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बता दें कि गंगा के बढ़ते जलस्तर से वाराणसी के कई इलाकों के साथ वरुणा नदी के डूब क्षेत्र की दर्जनों बस्तियां प्रभावित हुई हैं, जहां हजारों लोग रह रहे हैं.
 

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बाढ़ के चलते महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पूरी तरह जलमग्न हो गया है. बता दें कि यहां शवदाह के सभी प्लेटफॉर्म डूब चुके हैं और बाढ़ का पानी गलियों तक पहुंच गया है.
 

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मृतकों के शवों को नाव पर रखकर बाढ़ के पानी से ऊंची बनी छतों तक पहुंचाया जा रहा है जहां अंतिम संस्कार किया जाता है.
 

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शवयात्रियों को प्रशासन की ओर से कोई उचित व्यवस्था नहीं मिली है जिससे उन्हें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
 

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नाविक इस स्थिति का फायदा उठाकर शवयात्रियों से मनमाने दाम वसूल रहे हैं, जिससे लोगों की आर्थिक स्थिति भी प्रभावित हो रही है.
 

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मणिकर्णिका घाट के डोम समुदाय के सदस्य महेश चौधरी ने बताया कि बाढ़ के कारण जगह कम हो गई है. उनका कहना है कि प्रशासन को विश्वनाथ कॉरिडोर से शमशान घाट का रास्ता खोलना चाहिए.
 

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वही मिर्जापुर से आए एक शवयात्री ने बताया प्रशासन की तरफ से महाशमशान मणिकर्णिका घाट पर कोई भी व्यवस्था नहीं की गई है. वहां चारों तरफ बहुत ज्यादा गंदगी फैली हुई है और दुर्व्यवस्था से होते हुए उन्हें आना पड़ रहा है.

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