रायबरेली से जीतेंगे या हार जाएंगे राहुल गांधी? देखिए वोटिंग के बाद वहां के पत्रकार क्या बोले

शैलेंद्र प्रताप सिंह

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Raebareli Lok Sabha
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Raebareli Lok Sabha: उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट पर भी कल यानी सोमवार के दिन मतदान हो गया. इस सीट पर सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की नजर बनी हुई थी. दरअसल रायबरेली सीट सोनिया गांधी ने अपने बेटे राहुल गांधी को दे दी थी. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी लोकसभा सीट से स्मृति ईरानी से हारने के बाद इस बार राहुल गांधी ने रायबरेली सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा. बता दें कि रायबरेली और अमेठी, गांधी परिवार की 2 परंपरागत सीट रही हैं.  

इस बार कांग्रेस ने राहुल गांधी को रायबरेली के चुनावी रण में उतारा तो भाजपा ने दिनेश प्रताप सिंह को राहुल के सामने खड़ा कर दिया. दिनेश प्रताप सिंह ने साल 2019 में भी सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था और उन्हें चुनावी टक्कर दी थी. मगर आखिर में जीत सोनिया गांधी की ही हुई थी. ऐसे में UP Tak ने रायबरेली के पत्रकारों से बात की और जानना चाहा कि रायबरेली में क्या होने जा रहा है? क्या यहां साल 2019 में अमेठी की तरह इतिहास बनने जा रहा है या रायबरेली की जनता राहुल गांधी को अपनाने जा रही है? जानिए रायबरेली के पत्रकारों ने क्या-क्या कहा? 

‘भाजपा ने कांग्रेस को दी पूरी टक्कर’

रायबरेली को कवर करने वाले वहां के स्थानीय पत्रकार पंकज का कहना है कि रायबरेली को कांग्रेस ने बचाने की पूरी कोशिश की है. उन्होंने कहा, रायबरेली में कांग्रेस ने अपने इस गढ़ को बचाने की पूरी कोशिश की है. प्रियंका गांधी ने पूरी ताकत लगा दी है. दूसरी तरफ यहां भाजपा भी काफी मजबूती से लड़ी है. मुख्यमंत्री योगी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की भी रैलियां हुई हैं. वोटिंग से पहले चुनाव  कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा के पक्ष में लग रहा था. मगर अब यहां दोनों के बीच में काफी कांटे की टक्कर मानी जा रही है. यहां जीत किसी की भी हो सकती है.

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‘कांग्रेस के मन में था अमेठी का डर’

पत्रकार पंकज ने कहा, वोटिंग के दिन यहां कभी भी गांधी परिवार का कोई भी सदस्य नहीं रहा है. वह लोग वोटिंग से पहले ही यहां से चले जाते थे. मगर इस बार राहुल गांधी बूथ तक पहुंचे हैं. दरअसल साल 2019 में हुए चुनावों में यहां से सोनिया गांधी सिर्फ 1 लाख 64 हजार के करीब वोटों से ही जीतीं. उस दौरान भी दिनेश प्रताप सिंह ने उन्हें काफी टक्कर दी. जो सोनिया गांधी यहां 4-5 लाख वोटों से विजयी होती थी, ऐसे में उनकी जीत का अंतर लगातार काफी कम होता जा रहा था. दूसरी तरफ यहां भाजपा कार्यकर्ता काफी उत्साहित थे. ऐसे में इस बार गांधी परिवार के मन में डर था. इसलिए चुनाव के दौरान पहली बार गांधी परिवार के सदस्य बूथ तक पहुंचे. यहां कांग्रेस में अमेठी का डर लगातार बना रहा. 

रायबरेली के रहने वाले और क्षेत्र को कवर करने वाले पत्रकार संदीप ने कहा, यहां जैसे ही प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाला तो भाजपा यहां बैकफुट पर आ गई थी. मगर चुनाव प्रचार जैसे ही बंद हुआ, दिल्ली-लखनऊ से आए कांग्रेस की टीम के 40 से 50 लोग उसी शाम वापस दिल्ली-लखनऊ चले गए. इसके बाद बैकफुट पर आए भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह फिर चुनाव में वापस आ गए. संदीप ने कहा, मेरे हिसाब से यहां कांग्रेस 55 प्रतिशत और भाजपा 45 प्रतिशत है. कांग्रेस 55 प्रतिशत भी इसलिए हैं, क्योंकि यह उनका गढ़ है. बाकी टक्कर दोनों के बीच कांटे की ही है.

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‘दोनों के बीच कड़ी टक्कर’

पत्रकार सिद्धार्थ ने कहा, दिनेश प्रताप सिंह यहां के ही रहने वाले हैं. इसका लाभ उन्हें मिलता है. बाकी राहुल गांधी पहली बार खुद चुनाव के दौरान बूथ तक गए, ये बताता है कि यहां लड़ाई दोनों पार्टियों के बीच है. मेरे हिसाब से यहां भाजपा और कांग्रेस दोनों ही 50-50 प्रतिशत पर खड़े हैं और दोनों में से कोई भी जीत सकता है. 
‘यहां कांग्रेस 5 साल गायब रही’

पत्रकार राम सजीवन चौधरी ने कहा, यहां पिछले 5 सालों में कांग्रेस दिखी नहीं. अचानक राहुल के नाम का ऐलान हुआ और कांग्रेस दिखाई देने लगी. दूसरी तरफ भाजपा प्रत्याशी पिछले 5 सालों से लगातार यहां काम करते रहे और हर घर जाकर लोगों से मिलते रहे. मगर जैसे ही सोनिया गांधी ने यहां के लोगों से भावुक अपील की, एक बार फिर यहां कांग्रेस मजबूत हो गई.

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