गांधी परिवार का रायबरेली किला फतह करना भी नहीं है राहुल के लिए आसान, ये आंकड़े बहुत कुछ कहते हैं

आयुष अग्रवाल

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Rahul Gandhi Contest Raebareli Lok Sabha Seat
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Rahul Gandhi Contest Raebareli Lok Sabha Seat: तगड़े सस्पेंस के बाद आखिरकार कांग्रेस ने रायबरेली लोकसभा सीट (Raebareli Lok Sabha Seat) और अमेठी लोकसभा सीटों (Amethi Lok Sabha Seat) को लेकर अपना फैसला ले लिया है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस (Congress) और गांधी परिवार के आखिरी बचे हुए किले रायबरेली को बचाने के लिए खुद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) रायबरेली के सियासी मैदान में उतरे हैं. दूसरी तरफ हाथ से निकल चुके अमेठी लोकसभा सीट को वापस हासिल करने की जिम्मेदारी गांधी परिवार के विश्वासपात्र सिपाही किशोरी लाल शर्मा को मिली है. 

बता दें कि रायबरेली लोकसभा सीट गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही है. साल 2004 से लेकर 2019 तक यहां से सोनिया गांधी सांसद रही. यहां से फिरोज गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक सांसद रह चुकी हैं. साल 2019 में अमेठी से राहुल गांधी के चुनाव हारने के बाद रायबरेली सीट ही यूपी में कांग्रेस का आखिरी किला बचा हुआ है.    

रायबरेली भी नहीं है राहुल गांधी के लिए आसान

रायबरेली में भाजपा ने दिनेश प्रताप सिंह को मैदान में उतारा है. दिनेश प्रताप सिंह साल 2019 में भी रायबरेली सीट से सोनियां गाधी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. ऐसे में एक बार फिर भाजपा ने दिनेश प्रताप सिंह पर अपना भरोसा जताया है. 

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आपको बता दें कि साल 2019 लोकसभा चुनाव में दिनेश प्रताप सिंह ने सोनिया गांधी के सामने मजबूत दावेदारी पेश की थी और पूरा जोर लगाकर चुनाव वहां से चुनाव लड़े थे. उन्होंने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी थी. मगर आखिर में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसी वजह से सियासी हलकों में चर्चाएं हैं कि राहुल गांधी के लिए रायबरेली का किला बचाना इतना आसान नहीं है, जितना माना जा रहा है. दरअसल रायबरेली सीट के पिछले 4 आम चुनावों के आंकड़े काफी कुछ कहानी बयां करते हैं. 

भाजपा का वोट शेयर बढ़ा और कांग्रेस का घटा 

बता दें कि रायबरेली लोकसभा सीट पर लगातार भारतीय जनता पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ रहा है, दूसरी तरफ कांग्रेस का वोट प्रतिशत लगातार कम हो रहा है. भारतीय जनता पार्टी साल 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में रायबरेली लोकसभा सीट पर दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी है. साल 2009 और 2004 में हुए लोकसभा चुनावों में इस सीट पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ही कांग्रेस प्रत्याशी सोनिया गांधी को थोड़ी बहुत टक्कर देती आई थी. मगर जिस तरह से भाजपा ने पिछले 2 लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट पर कांग्रेस को घेरा है, वह वाकई हैरान कर देने वाला है. 

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साल 2014 में भाजपा ने रायबरेली लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से ज्यादा वोट हासिल किए थे. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने रायबरेली सीट पर 21.05 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. दूसरी तरफ 15.15 प्रतिशत वोट कांग्रेस को छोड़कर सभी राजनीति दलों को मिले थे, जिसमें सपा-बसपा जैसे बड़े राजनीतिक दल भी शामिल थे. इसी चुनाव में कांग्रेस को 63.80 प्रतिशत वोट मिले थे और यहां से सोनिया गांधी ने जीत हासिल की थी. 

साल 2019 में कांग्रेस का वोट शेयर हुआ कम

2019 लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने कांग्रेस से उसके रायबरेली और अमेठी के किलों पर फतह हासिल करने की कोशिश की. मगर भाजपा को अमेठी में तो सफलता हासिल हुई. मगर रायबरेली का किला भाजपा फतह नहीं कर सकी. बता दें कि साल 2019 में सोनिया गांधी और दिनेश प्रताप सिंह के बीच कड़ा मुकाबला हुआ. जीत तो इस चुनाव में सोनिया गांधी को मिली. मगर कांग्रेस का वोट प्रतिशत साल 2014 से भी कम हो गया और भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ गया. 

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बता दें कि साल 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जहां रायबरेली में 55.80 प्रतिशत वोट मिले तो वहीं भाजपा को 38.36 प्रतिशत वोट मिले. साल 2014 से साल 2019 आते-आते भाजपा का रायबरेली में वोट शेयर 17.31 प्रतिशत बढ़ गया तो वहीं कांग्रेस का वोट शेयर 8 प्रतिशत तक घट गया. 

राहुल के अमेठी हारने का असर क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पड़ा

बता दें कि भाजपा साल 2019 के बाद भी रायबरेली में काफी एक्टिव रही. दूसरी तरफ राहुल के अमेठी हारने का प्रभाव पूरे क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पड़ा और कांग्रेस की गतिविधियां वहां कम होती चली गईं. ऐसे में अब राहुल गांधी ने अपनी मां सोनिया गांधी की सीट पर चुनाव लड़कर रायबरेली का किला बचाने की जिम्मेदारी उठाई है. मगर ये चुनाव भी राहुल गांधी के लिए आसान नहीं होने वाला है. इस बात की पूरी उम्मीद है कि भाजपा और भाजपा के प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह राहुल को कड़ी से कड़ी टक्कर दे सकते हैं.

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