मिशन 'बूढ़ी राप्ती' में जुटे श्रावस्ती के कलक्टर अजय द्विवेदी, फरसा उठा कर मारी पहली चोट! क्या है पूरा प्लान?

यूपी तक

श्रावस्ती में शुरू हुआ बूढ़ी राप्ती नदी का पुनर्जीवन अभियान. डीएम अजय द्विवेदी ने खुद फरसा चलाकर की शुरुआत. जानिए मिशन की पूरी योजना, कितने गांवों को होगा फायदा और कब तक बहने लगेगी नदी.

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Ajay Dwivedi DM Shravasti on Budhi Rapti River Revival Mission
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Restoration of Budhi Rapti river: उत्तर प्रदेश में नदियों को पुनर्जीवित करने का अभियान जोर-शोर से चल रहा है. गोंडा में मनोरमा नदी के बाद अब श्रावस्ती जिले में बूढ़ी राप्ती नदी को उसका पुराना जीवन लौटाने का काम शुरू हो गया है. यह पहल यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार के उन प्रयासों का हिस्सा है जिसमें राज्य की लुप्त या विलुप्त होती नदियों को फिर से जीवित कर उनका प्राकृतिक प्रवाह और पारिस्थितिक संतुलन बहाल किया जा रहा है. इस मिशन में खुद जिलाधिकारी अजय द्विवेदी भी फरसा उठाकर श्रमदान करते हुए नजर आए. 

मनरेगा के तहत मिलेगा नदियों को नया जीवन

बूढ़ी राप्ती नदी का पुनरुद्धार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) के तहत किया जा रहा है. इसका मकसद जनभागीदारी से नदी के अवरुद्ध हिस्सों को खोलना और इसके बहाव में सुधार लाना है. जिलाधिकारी अजय कुमार द्विवेदी के अनुसार, इस पहल का उद्देश्य पानी की कमी को दूर करना और पर्यावरणीय संतुलन को बहाल करना है.

देखिए डीएम अजय द्विवेदी ने कैसे चलाया फरसा

बूढ़ी राप्ती का भूगोल और रुकावटें

डीएम अजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि बूढ़ी राप्ती नदी की कुल लंबाई 67.03 किलोमीटर है और इसका जलग्रहण क्षेत्र 18,356.64 हेक्टेयर है. इसमें से 16.91 किलोमीटर का हिस्सा ऐसा है, जहां नदी का प्रवाह बाधित है. नदी के बहाव को फिर से सामान्य करने के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग करके इसके मार्ग का नक्शा तैयार किया गया है, और पुनरुद्धार का काम जारी है.

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4 पॉइंट में समझिए बूढ़ी राप्ती की स्थिति

  • कुल लंबाई: 67.03 किलोमीटर
  • कैचमेंट एरिया: 18,356.64 हेक्टेयर
  • अवरोधित धारा: 16.91 किलोमीटर
  • प्रभावित गांव: 54

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क्या है पूरा प्लान और कैसे होगा फायदा?

सरकार की योजना के मुताबिक मॉनसून के बाद बड़े पैमाने पर गाद निकालने और प्रवाह बहाली की गतिविधियां शुरू की जाएंगी, ताकि अगले साल तक बूढ़ी राप्ती नदी अपने प्राकृतिक मार्ग पर लौट सके. सर्वेक्षणों से पता चला है कि नदी के प्राकृतिक मार्ग में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है. सफाई प्रक्रिया के दौरान मिट्टी की मात्रा का आकलन किया जाएगा.

इस पहल से श्रावस्ती जिले के लिए कई बड़े फायदे होंगे:

  • आसपास के 54 गांवों में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता में काफी सुधार होगा.
  • यह क्षेत्र में सतत कृषि विकास सुनिश्चित करेगा.

यह अभियान न केवल पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय कृषि अर्थव्यवस्था और जल सुरक्षा को भी सीधे तौर पर प्रभावित करेगा, जिससे किसानों और ग्रामीणों को बड़ा लाभ मिलेगा.

गोंडा में भी चल रहा है ऐसा ही अभियान

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते गोंडा जिले में मनोरमा नदी को पुनर्जीवित करने के लिए भी इसी तरह का अभियान शुरू किया गया था. यूपी सरकार का यह कदम राज्य भर में जल संरक्षण और पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.

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