गाजियाबाद की अपाला मिश्रा को UPSC में मिली थी 9वीं रैंक, इनकी मार्कशीट और नंबर देख चौंक जाएंगे

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साल 2020 की UPSC की परीक्षा में 9वीं रैंक हासिल करने वाली अपाला मिश्रा उन सभी अभ्यार्थियों के लिए एक मिसाल हैं, जो इस परीक्षा में सफल होने के लिए लगातार प्रयास करते हैं. गाजियाबाद की रहने वाली अपाला ने अपने इंटरव्यू राउंड में सबसे अधिक नंबर हासिल किए थे. बता दें कि अपाला को मेंस की परीक्षा में 816 नंबर मिले थे. जबकि उन्हें इंटरव्यू राउंड में 215 अंक मिले थे.  अपाला को शुरूआती 2 प्रयासों में सफलता हाथ नहीं लगी, लेकिन उन्होंने मेहनत जारी रखी और तीसरे प्रयास में शानदार रैंक के साथ परीक्षा क्लियर की. लेकिन उन्होंने अच्छी रैंक के बावजूद भी आईएएस की बजाए इंडियन फॉरेन सर्विसेज यानी (IFS) को चुना. 


बता दें कि अपाला मूल रूप से यूपी के गाजियाबाद की रहने वाली हैं. उनकी मां अल्पना मिश्रा दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं. वहीं उनके पिता कर्नल हैं. एक इंटरव्यू के दौरान अपाला की मां ने बताया कि अपाला ने UPSC एक्जाम देने से एक साल पहले अपने कमरे में एक पोस्टर चिपकाया था, जिसपर लिखा था  ‘आई विल बी अंडर 50’. हालांकि उन्होंने अपनी सोच से आगे बढ़कर इस कठिन परीक्षा में 9वीं रैंक हासिल कर ली. बता दें कि अपाला ने साल 2020 की UPSC परीक्षा के इंटरव्यू राउंड में सबसे अधिक नंबर 215 स्कोर किए थे. बता दें कि इंटरव्यू राउंड में अपाला से तरह-तरह के सवाल पूछे गए थे जिनमें से उन्होंने लगभग सभी सवालों का जवाब दिया था.

अपाला मिश्रा ने बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में काफी दिलचस्पी रखती थीं.  इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद उन्होंने बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (BDS) की डिग्री हासिल की. साल 2018 में पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. उन्हें शुरूआती दो साल में सफलता नहीं मिली. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने तीसरे प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 9 हासिल कर ली.

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अच्छी रैंक के बाद किया IFS बनने का फैसला

UPSC क्लियर करने के बाद अपाला ने आईएएस की बजाए इंडियन फॉरेन सर्विसेज यानी (IFS) को चुना. इसके पीछे की वजह बताते हुए अपाला मीडिया इंटरव्यूज में कहती हैं कि, यूपीएससी निकालने के बाद आपको अगले 30 साल वही काम करना होता है, ऐसे में जरूरी है कि आप अपने पसंद का ही काम करें. उस काम के लिए आपके अंदर जूनून होना चाहिए.अपाला कहती हैं कि उनकी हमेशा से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में दिलचस्पी रही है, ये विषय पढ़ने पर उन्हें मजा भी बहुत आता था, ऐसे में उन्हें लगा कि वह अपनी इस रुचि का इस्तेमाल देश सेवा में भी कर सकती हैं, इसलिए उन्होंने आईएफएस पोस्ट चुनी.

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