कौन हैं अफसर ADM संतोष बहादुर सिंह जिनपर इकरा हसन से बदसलूकी का लगा आरोप?

राहुल कुमार

ADM Santosh Bahadur Singh and MP Ikra Hasan Controversy: कैराना सांसद इकरा हसन का आरोप है कि सहारनपुर के ADM संतोष बहादुर सिंह ने उनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया और 'गेट आउट' कहकर उनकी इंसल्ट की. जानें कौन हैं ADM संतोष सिंह?

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ADM Santosh Kumar Singh
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ADM Santosh Bahadur Singh and MP Ikra Hasan Controversy: कैराना सांसद इकरा हसन से विवाद के बाद सहारनपुर के ADM संतोष बहादुर सिंह चर्चरों में आ गए हैं. दरअसल, कैराना सांसद इकरा हसन का आरोप है कि ADM संतोष बहादुर सिंह ने उनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया और 'गेट आउट' कहकर उनकी इंसल्ट की. इकरा हसन के इन आरोपों को ADM ने निराधार बताया है. मगर इस बीच सांसद इकरा हसन से विवाद होने के बाद ADM  संतोष सिंह के सोशल मीडिया पर खूब चर्चा है. ऐसे में आइए आज हम आपको ADM संतोष सिंह की पूरी प्रोफाइल बताते हैं.   

कौन हैं ADM संतोष बहादुर सिंह?

यूपी सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, ADM संतोष बहादुर सिंह साल 2011 बैच के पीसीएस अफसर हैं. मूल रूप से यूपी के बलिया के रहने वाले संतोष बहादुर सिंह जा जन्म 24 जुलाई साल 1974 को हुआ था. 

देखें अब तक ADM संतोष सिंह की कहां-कहां रही है तैनाती?
 

इकरा हसन की ADM से विवाद की क्या है वजह?

 बता दें कि सांसद इकरा हसन ने एडीएम पर अपमानजनक व्यवहार और 'गेट आउट' कहने का आरोप लगाते हुए प्रमुख सचिव और मंडल आयुक्त से शिकायत की है. यह मामला 1 जुलाई 2025 का है, जब सांसद नगर पंचायत छुटमलपुर की शिकायत लेकर एडीएम कार्यालय पहुंची थीं. वहीं, दूसरी तरफ एडीएम संतोष बहादुर सिंह ने इन सभी आरोपों को निराधार बताया है. कमिश्नर ने डीएम को मामले की जांच के आदेश दिए हैं. 

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सांसद इकरा हसन ने क्या आरोप लगाए

कैराना सांसद इकरा हसन ने अपनी शिकायत में सहारनपुर के अपर जिलाधिकारी (एडीएम) संतोष बहादुर सिंह पर बेहद असम्मानजनक और अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया है. सांसद के मुताबिक, 1 जुलाई 2025 को वह नगर पंचायत छुटमलपुर की अध्यक्षा के साथ उनकी समस्याओं के समाधान के लिए संतोष बहादुर सिंह के कार्यालय पहुंची थीं. इससे पहले उनके कार्यालय द्वारा दोपहर 1:00 बजे संपर्क करने पर एडीएम ने बताया था कि वह लंच के लिए जा चुके हैं और पत्राचार द्वारा समस्या बताने को कहा. 

सांसद की शिकायत के अनुसार, लंच टाइम के बाद जब वे कार्यालय पहुंचीं, तो एडीएम ने फोन कॉल्स का जवाब नहीं दिया. जब वे काफी देर बाद कार्यालय पहुंचे और मुलाकात हुई, तो उनका व्यवहार अत्यंत अपमानजनक था. सांसद ने आरोप लगाया कि एडीएम ने नगर पंचायत अध्यक्षा को डांटा. इस पर जब सांसद ने प्रशासनिक दृष्टिकोण से समस्या सुनने का अनुरोध किया, तो एडीएम अप्रत्याशित रूप से भड़क गए. इकरा हसन का आरोप है कि ADM ने उनसे कहा, "इस कार्यालय का मालिक मैं हूं और मैं अपने मन से जो चाहे करने के लिए स्वतंत्र हूं." सांसद का दावा है कि एडीएम ने उनके प्रति अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया और उन्हें "गेट आउट" कहकर अपमानित किया. बकौल सांसद, " मेरे विरोध करने पर बाद में उन्होंने इसे "टंग ऑफ स्लिप" कहकर टालने का प्रयास किया, जो उनके असम्मानजनक रवैये को और उजागर करता."

एडीएम संतोष बहादुर सिंह ने आरोपों का किया का खंडन

दूसरी ओर, एडीएम संतोष बहादुर सिंह ने सांसद इकरा हसन द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को पूरी तरह से निराधार बताया है.  एडीएम संतोष बहादुर सिंह ने अपनी सफाई में कहा कि 1 जुलाई को वह फील्ड में थे. दोपहर लगभग 3 बजे एडीएम फाइनेंस के द्वारा उनके व्यक्तिगत नंबर पर फोन करके बताया गया कि कैराना सांसद उनके ऑफिस में आई हुई हैं. एडीएम ने बताया कि जैसे ही उन्हें पता चला, वह तुरंत फील्ड से अपने ऑफिस पर पहुंचे.

एडीएम के अनुसार, जब वह ऑफिस पहुंचे तो सांसद वहां नहीं थीं. उन्होंने खुद सांसद को फोन करके बताया कि वह ऑफिस आ गए हैं और अब सांसद आ सकती हैं. जब सांसद आईं, तो उन्होंने फोन न उठाने को लेकर सवाल किया. इस पर एडीएम ने स्पष्ट किया कि वह मीटिंग में थे और फिर फील्ड में निकल गए थे, जिससे उनका फोन वाइब्रेशन पर था और वे फोन नहीं उठा पाए. उन्होंने कहा कि इसके अलावा और कोई बात नहीं थी. 

एडीएम ने आगे बताया कि सांसद ने नगर पंचायत छुटमलपुर और वहां की नगर पंचायत अध्यक्ष से संबंधित मामले को उठाया. इस पर उन्होंने सांसद से कहा कि यह मामला व्यक्तिगत है कोई पत्र से संबंधित नहीं है, इसलिए वे इसकी लिखित शिकायत दें और वे इसकी जांच कराएंगे. एडीएम ने जोर देकर कहा कि सांसद ने लिखित शिकायत नहीं दी. एडीएम ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "ऐसी कोई बात नहीं थी कि हमारे द्वारा उनके साथ कोई ऐसी बात हुई हो कि जैसा कि उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने कहा कि गेट आउट, हां मेरे ऑफिस से निकल जाओ, ये मेरा ऑफिस है, मैं इसका मालिक हूं." उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह एक लोक सेवक हैं और उन्हें अपने कर्तव्यों का पूरी तरह से पता है. 

एडीएम ने नगर पंचायत अध्यक्ष के उन आरोपों का भी जिक्र किया कि वह उनके कहने पर नहीं बल्कि अपनी मनमानी करते हैं. इस पर एडीएम ने कहा कि यह कैसे संभव है, क्योंकि सरकार की योजनाएं और प्रस्ताव अध्यक्ष के सिग्नेचर से ही आते हैं और बगैर उनकी सहमति के कोई कार्य हो ही नहीं सकता. एडीएम ने कहा कि बात केवल इतनी ही हुई थी. 

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