इम्पैक्ट फीचर: कमर्शियल व्हीकल प्रीमियम को ये बड़े कारण करते हैं प्रभावित, विस्तार से सभी को जानिए
कमर्शियल व्हीकल इंश्योरेंस उन वाहनों के लिए जरूरी है जिनका इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए होता है. इस खबर में वाहन की आयु, IDV, क्लेम रिकॉर्ड और वाहन के प्रकार जैसे कारकों पर चर्चा की गई है जो आपके प्रीमियम की कीमत को प्रभावित करते हैं. सही जानकारी के साथ आप उचित प्रीमियम पर सही पॉलिसी चुन सकते हैं.
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कमर्शियल व्हीकल इंश्योरेंस उन वाहनों के लिए जरूरी है जिनका इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए होता है. ट्रक, बस, टैक्सी जैसे वाहनों की सुरक्षा के लिए अक्सर लोग यह पॉलिसी लेते हैं. लेकिन प्रीमियम की सही कीमत जानने से अनजान रहते हैं. चाहे आप ट्रक, बस या किसी भी व्यावसायिक वाहन के ओनर हों आपके प्रीमियम की कीमत पर कई महत्वपूर्ण बातें असर डालती हैं. इन कारणों को जानना बहुत जरूरी है. यह आपको सही इंश्योरेंस प्लान चुनने में मदद करेगा. आप अनावश्यक खर्चों से बच सकते हैं. इससे आपके व्यवसाय को आर्थिक सुरक्षा भी मिलेगी. आइए आपको खबर में एक-एक कर सभी कारक विस्तार से बताते हैं.
पहला कारक: वाहन की आयु और IDV की गणना
कमर्शियल व्हीकल इंश्योरेंस जैसे ट्रक इंश्योरेंस के प्रीमियम को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले सबसे प्रमुख कारक हैं वाहन की आयु और आईडीवी (IDV) की गणना. अगर आपका वाहन नया है तो उसका इंश्योरेंस प्रीमियम थोड़ा ज्यादा होगा क्योंकि उसकी कीमत और रिस्क दोनों ज्यादा होते हैं. वहीं अगर वाहन पुराना हो जाता है तो डेप्रिसिएशन के कारण आपके वाहन की असल वैल्यू कम होने लगती है जिससे प्रीमियम भी धीरे-धीरे कम होने लगता है. लेकिन ध्यान रखें, बहुत ज्यादा पुरानी गाड़ियों पर इंश्योरेंस क्लेम भी मुश्किल हो सकता है.
भारतीय इंश्योरेंस विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा कमर्शियल वाहनों के लिए वाहन की उम्र के आधार पर डेप्रिसिएशन की दरें निर्धारित की गई हैं जो कुछ इस प्रकार है:
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| वाहन की उम्र | डेप्रिसिएशन की दर |
| 6 महीने के कम | शून्य |
| 6 महीने से अधिक और 1 वर्ष के कम | 5% |
| 1 वर्ष से अधिक और 2 वर्ष से कम | 10% |
| 2 वर्ष से अधिक और 3 वर्ष से कम | 15% |
| 3 वर्ष से अधिक और 4 वर्ष से कम | 25% |
| 4 वर्ष से अधिक और 5 वर्ष से कम | 35% |
| 5 वर्ष से अधिक और 10 वर्ष से कम | 40% |
| 10 वर्ष से अधिक | 50% |
IDV (इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू) डेप्रिसिएशन घटने के बाद आपके वाहन की मौजूदा मार्केट वैल्यू होती है. यानी अगर आपके वाहन का एक्सीडेंट हो जाए और वह पूरी तरह से खराब हो जाए, तो इंश्योरेंस कंपनी आपको उतना ही पैसा देगी जितना उसका IDV है. IRDAI द्वारा वाहनों के IDV की गणना के लिए भी वाहन की उम्र के आधार पर IDV में कटौती की दरें निर्धारित की गई हैं:
| वाहन की उम्र | IDV में कटौती की दर |
| 6 महीने के कम | 5% |
| 6 महीने से 1 वर्ष | 15% |
| 1 वर्ष से 2 वर्ष | 20% |
| 2 वर्ष से 3 वर्ष | 30% |
| 3 वर्ष से 4 वर्ष | 40% |
| 4 वर्ष से 5 वर्ष | 50% |
| 5 वर्ष के अधिक | इंश्योरेंस कंपनी और पॉलिसीहोल्डर के समझौते के आधार पर निर्धारित |
जब आप इंश्योरेंस खरीदते हैं, तो IDV जितना ज्यादा होगा, प्रीमियम भी उतना ही ज्यादा देना पड़ेगा। वहीं अगर आप IDV बहुत कम रखते हैं, तो प्रीमियम तो कम होगा लेकिन क्लेम मिलने पर नुकसान ज्यादा हो सकता है.
दूसरा कारक: वाहन का प्रकार, इंजन की क्षमता और इस्तेमाल
आपके कमर्शियल व्हीकल इंश्योरेंस प्रीमियम को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले दूसरे कारक हैं वाहन का प्रकार और उसका इस्तेमाल. अगर आपका वाहन ट्रक, बस, टैक्सी, या माल ढोने वाला है और रोजाना ज्यादा इस्तेमाल होता है तो इंश्योरेंस कंपनियां प्रीमियम रेट थोड़ा ज्यादा तय कर सकती हैं. क्योंकि ऐसे वाहनों में सफर और सामान आना-जाना ज़्यादा होता है तो दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है.
अगर वाहन बस शहर के अंदर कम चलता है या ज्यादा भारी सामान लाना ले जाना नहीं होता है तो उसका इंश्योरेंस प्रीमियम हल्के वाहन की तरह कम होता है. वहीं, जो वाहन रोज़ यात्रा में या सामान लाने और ले जाने के लिए ज्यादा काम आते हैं उन पर इंश्योरेंस प्रीमियम ज़्यादा चार्ज होता है. पैसेंजर वाहन, ट्रांसपोर्ट वाहन, स्कूल बस, टैक्सी सबका प्रीमियम उनके इस्तेमाल और मॉडल के हिसाब से अलग-अलग तय होता है.
इसके अलावा, अगर आपके वाहन में इंजन की क्षमता (CC या क्यूबिक कैपेसिटी) ज्यादा है, तो उसका प्रीमियम कम इंजन वाले वाहन की तुलना में अधिक होगा. मान लीजिए, कोई स्मॉल वैन या मिनी ट्रक कम पावर के साथ चला रहे हैं, उसका प्रीमियम भारी ट्रक या हाई पावर वाले वाहन से कम ही रहेगा.
सामान्य रूप से, भारी वाहन (जैसे ट्रक, बस) के लिए इंश्योरेंस रेट छोटे वैन या लाइट वाहनों की तुलना में अधिक होते हैं. वित्तीय वर्ष 2023-24 के आकड़ों के मुताबिक, 7500 किलोग्राम से अधिक वजन वाले कमर्शियल वाहनों के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम 27,186 से 44,242 रुपये तक दर्ज किए गए.
तीसरा कारक: क्लेम रिकॉर्ड और NCB लाभ
कमर्शियल व्हीकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर तीसरा बड़ा असर डालता है आपका क्लेम रिकॉर्ड और नो क्लेम बोनस (NCB). जब आप इंश्योरेंस कंपनी के पास अपने कमर्शियल वाहन का इंश्योरेंस करवाते हैं, तो आपके पिछले क्लेम की जानकारी इंश्योरेंस कंपनी देखती है. यदि आपके वाहन पर पिछले कुछ सालों में ज्यादा क्लेम हुए हैं, तो इंश्योरेंस कंपनी प्रीमियम ज्यादा रखेगी क्योंकि यह जोखिम बढ़ाने वाला कारक माना जाता है. दूसरी ओर, यदि आपने इंश्योरेंस अवधि में कोई दावा नहीं किया है, तो आपको नो क्लेम बोनस के रूप में प्रीमियम पर छूट मिलती है.
नो क्लेम बोनस (NCB) एक तरह का डिस्काउंट है, जो इंश्योरेंस कंपनी बिना किसी क्लेम फाइल के सुरक्षित ड्राइविंग करने पर देती है. यह छूट आपके अगले इंश्योरेंस प्रीमियम में 20% से लेकर 50% तक हो सकती है, जो आपके प्रीमियम को काफी कम करता है.
कमर्शियल वाहनों के लिए यह और भी जरूरी होता है, क्योंकि ट्रक, बस या टैक्सी जैसे वाहन ज्यादा जोखिम में होते हैं. इसलिए, ट्रक इंश्योरेंस में क्लेम कम होने पर NCB मिलना अच्छा होता है जिससे प्रीमियम में बचत होती है. लेकिन, अगर आपके वाहन को कोई नुकसान होता है तो आपको तुरंत क्लेम फाइल करना चाहिए न कि सिर्फ NCB लाभ के बारे में सोचना चाहिए.
निष्कर्ष
कमर्शियल व्हीकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर असर डालने वाले कारक जैसे वाहन का प्रकार, उसकी उम्र, IDV की सही गणना और क्लेम हिस्ट्री को समझकर आप न सिर्फ सही पॉलिसी चुन सकते हैं, बल्कि भविष्य में होने वाले बड़े खर्चों से भी बच सकते हैं. याद रखें, इंश्योरेंस में थोड़ी सी जागरूकता आपके वाहन और आपके व्यवसाय दोनों के लिए लंबे समय तक फायदेमंद साबित हो सकती है. इसलिए अगली बार पॉलिसी खरीदते समय हर फैक्टर को ध्यान से देखें और समझदारी से निर्णय लें.











