दूसरी बार प्रेग्नेंसी कंसीव ना कर पाने की क्यों लगातार बढ़ रही महिलाओं में परेशानी, क्या बन रही इसकी वजह
भारत में महिलाएं अब दूसरी बार गर्भधारण (Secondary Infertility) को लेकर कई तरह की परेशानियों का सामना कर रही हैं.
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भारत में महिलाएं अब दूसरी बार गर्भधारण (Secondary Infertility) को लेकर कई तरह की परेशानियों का सामना कर रही हैं. पहली बार आसानी से मां बनने के बावजूद दूसरी बार कंसीव करने में दिक्कत आ रही है. यह समस्या पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है जिसका कारण बदलती लाइफस्टाइल, बढ़ता तनाव और हेल्थ रिलेटेड प्रॉब्लम्स.

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सेकेंडरी इनफर्टिलिटी एक ऐसी स्थिति होती है जब कोई महिला पहली बार आसानी से गर्भधारण कर चुकी होती है. लेकिन दूसरी बार कंसीव करने में उसे कठिनाई हो रही होती है. यह समस्या पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकती है.

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इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें हार्मोनल असंतुलन, उम्र बढ़ना, जीवनशैली में बदलाव, स्वास्थ्य समस्याएं और प्रजनन अंगों से जुड़ी दिक्कतें शामिल हैं. भारत में इस समस्या की बढ़ती दर परेशान करने वाली है.

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30-35 की उम्र के बाद महिलाओं की फर्टिलिटी धीरे-धीरे कम होने लगती है. ओवेरियन रिजर्व घटने के कारण दूसरी बार गर्भधारण मुश्किल हो सकता है. हार्मोनल असंतुलन, खासकर पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) और थायरॉयड की समस्या भी सेकेंडरी इनफर्टिलिटी का एक कारण बन रही है. इससे ओव्यूलेशन अनियमित हो सकता है जिससे दूसरी बार गर्भधारण में दिक्कत आती है. पहली डिलीवरी के बाद कई महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस, यूटेरस इंफेक्शन या सी-सेक्शन की जटिलताओं का सामना करना पड़ता है, जिससे दूसरी बार कंसीव करना मुश्किल हो सकता है.

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सेकेंडरी इनफर्टिलिटी सिर्फ महिलाओं की समस्या नहीं है बल्कि पुरुषों में स्पर्म काउंट और क्वालिटी में गिरावट भी इसका एक बड़ा कारण है. बढ़ता वजन, तनाव और हॉर्मोनल असंतुलन पुरुषों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है.

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दूसरी बार जल्दी कंसीव करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं. नियमित व्यायाम और मेंटल हेल्थ पर ध्यान दें. अपनी मेंस्ट्रुअल साइकिल और ओव्यूलेशन के दिनों की जानकारी रखें.

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अगर 6-12 महीने तक कोशिश के बाद भी प्रेग्नेंसी नहीं हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें. मेडिटेशन और रिलैक्सेशन टेक्निक्स अपनाएं. जरूरत से ज्यादा गर्भनिरोधक पिल्स का उपयोग न करें.