उत्तर प्रदेश भाजपा में इस वक्त सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. मामला ब्राह्मण बिरादरी के विधायकों की एक बैठक से जुड़ा है जिसने पार्टी के भीतर एक बड़ी दरार पैदा कर दी है. सहभोज के नाम पर हुई ब्राह्मण विधायकों की बैठक ने तब तूल पकड़ा जब भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी ने इसे अनुशासनहीनता बताते हुए फटकार लगा दी.अध्यक्ष के इस फरमान ने सिर्फ विधायकों को नाराज किया है बल्कि सोशल मीडिया पर एक नई बहस छेड़ दी है कि आखिर भाजपा में केवल ब्राह्मणों की एकजुटता पर ही ऐतराज क्यों जताया जा रहा है?
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ब्राह्मण विधायकों की हालिया बैठक में लगगभ 30 विधायक एक साथ जुटे थे. इस बैठक को लेकर कहा गया कि यह सिर्फ एक सहभोज है जहां सामाजिक विषयों पर चर्चा हुई. लेकिन जैसे ही इसकी खबर आलाकमान तक पहुंची प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी ने इसे अस्वीकार्य गतिविधि करार दे दिया. उन्होंने साफ कहा कि इस तरह की जातिगत बैठकें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी. अध्यक्ष की फटकार के बाद जनता और विरोधियों ने भाजपा को घेरना शुरू कर दिया. सवाल उठाए जा रहे हैं कि जब पहले कुर्मी या ठाकुर बिरादरी के नेता इसी तरह एकजुट हुए थे तब ऐसी फटकार क्यों नहीं आई? क्या भाजपा में ब्राह्मणों की आवाज उठाना अब अनुशासनहीनता बन गया है? सपा नेता पवन पांडे और कांग्रेस ने भी इसे ब्राह्मणों का अपमान बताकर मुद्दे को हवा दे दी है.
इस पूरे विवाद में भाजपा के ब्राह्मण नेता ही अब दो गुटों में बंट गए हैं. झांसी से भाजपा विधायक रवि शर्मा ने खुलकर प्रदेश अध्यक्ष के फैसले पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने तर्क दिया कि ऐसी बैठकें तो पार्टी को मजबूत करती हैं. हम जनता की अपेक्षाओं और उनके साथ होने वाले अन्याय पर चर्चा करने बैठे थे. इसमें किसी की खिलाफत नहीं थी. रवि शर्मा का कहना है कि सोशल इंजीनियरिंग के इस दौर में अपनी बिरादरी की बात करना गलत नहीं है.
वहीं दूसरी ओर देवरिया के बरहज से विधायक दीपक मिश्रा शाका ने प्रदेश अध्यक्ष का समर्थन किया है. उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि 'अगर आपको जातिगत राजनीति ही करनी है तो राजनीति छोड़ दीजिए. हम पहले विधायक हैं फिर किसी जाति के.' ऐसे में अब यह चर्चा तेज हो चुकी है कि बीजेपी के बीच सब कुछ ठीक नहीं है. ऐसे में कहीं विपक्ष इसका कितना फायदा उठा पाता है ये भी देखने वाली बात होगी.
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