पिछले डेढ़ दशक के दौरान चुनाव दर चुनाव उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन गंवा रही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने क्या वापसी की तैयारी कर ली है? क्या जब बारिश के मौसम के बाद गुनगुनी ठंड अपना पैर पसारने की तैयारी में है, तो 9 अक्टूबर को लखनऊ से मायावती कम से कम उत्तर प्रदेश की सियासी आबोहवा में गर्मी लाने की तैयारी में हैं? इन सवालों के जवाब आने वाले हैं क्योंकि 9 अक्टूबर को मायावती की लखनऊ रैली की तैयारियों की एक झलक सामने आई है. बसपा के नेशनल जनरल सेक्रेटरी सतीश चंद्र मिश्रा ने एक्स पर पोस्ट कर एक नया नारा भी दिया है.
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बसपाइयों की अपील- लखनऊ चलो, लखनऊ चलो
सतीश चंद्र मिश्रा ने एक्स हैंडल पर एक पोस्टर शेयर किया है. नीले रंग और बसपा के चिन्हों से रंगे पोस्टर के साथ सतीश चंद्र मिश्रा ने एक नया नारा भी दिया है. उन्होंने लिखा है, 'अब समय हमारा है, बहुजन का नारा है! प्रातः आठ बजे लखनऊ चलो, चलो लखनऊ.'
आपको बता दें कि 9 अक्टूबर को बसपा संस्थापक कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर लखनऊ में मायावती ने एक बड़ी रैली का ऐलान किया है. ये रैली कांशीराम स्मारक स्थल पर सुबह 8 बजे से आयोजित की जाएगी. प्रदेशभर में बसपा का कैडर इस रैली को सफल बनाने में जुटा हुआ है.
फिर से सक्रियता दिखा रही हैं मायावती
बसपा सुप्रीमो मायावती इन दिनों सियासी तौर पर काफी सक्रिय नजर आ रही हैं. लगातार बसपा की बैठकों के अलावा उन्होंने हालिया मुद्दों और चुनावों को लेकर कुछ ऐलान किए हैं. सोमवार को बिहार चुनावों के ऐलान के बाद मायावती ने कहा कि बीएसपी बिहार विधानसभा का यह चुनाव अकेले अपने बलबूते पर लगभग सभी सीटों पर लड़ेगी. उन्होंने अपने भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद को क्रेडिट देते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में बिहार में सर्वजन हिताय जागरण यात्रा का भी सफल आयोजन हो चुका है.
इसके बाद उन्होंने भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर कोर्ट सुनवाई के दौरान वकील के ओर से हमला करने की कोशिश पर भी तीखी टिप्पणी की. मायावती ने लिखा कि, 'भारत के प्रधान न्यायाधीश श्री बी. आर. गवई के साथ आज कोर्ट में सुनवाई के दौरान उन पर अभद्रता करने की कोशिश अति-दुखद तथा इस शर्मनाक घटना की जितनी भी निन्दा की जाये वह कम है. सभी को इसका उचित व समुचित संज्ञान ज़रूर लेना चाहिये.'
यूपी में लगातार गिरा है बसपा का ग्राफ
2007 में उत्तर प्रदेश में अकेले दम पर सरकार बनाने वाली मायावती की राजनीतिक स्थिति इस महत्वपूर्ण प्रदेश में लगातार कमजोर हुई है. 2012 के विधानसभा चुनावों में 25.9 फीसदी वोट पाकर 80 सीटें जीतने वाली बसपा को 2022 के चुनावों में महज 13 फीसदी वोट और एक सीट नसीब हुई. यही हाल लोकसभा चुनावों में हुआ. 2024 के लोकसभा चुनावों में यूपी की 80 सीटों में से बसपा एक भी नही जीत पाई. उसका वोट शेयर महज 9.39 फीसदी रह गया. अब मायावती के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपना दलित जनाधार बचाने का है. इंडिया गठबंधन में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी, दोनों ने खुद को दलित हितों का बड़ा पैरोकार साबित कर मायावती के इस सॉलिड वोट बैंक में जबर्दस्त सेंधमारी कर रखी है. अब देखना होगा कि मायावती की नई सियासी कवायदें क्या उनका जनाधार वापस ला पाती हैं या नहीं.
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