उत्तर प्रदेश में नए साल 2026 के आगाज से पहले सियासी पारा सातवें आसमान पर है. एक ओर विधानसभा का शीतकालीन सत्र जारी है जिसमें सदन के भीतर पक्ष और विपक्ष में वार-पलटवार चल रहा है. लेकिन इसी गहमागहमी के बीच 23 दिसंबर की शाम लखनऊ में एक ऐसी बैठक हुई जिसने सत्ता के गलियारों में हलचल मचा दी है. कुशीनगर के विधायक पीएन पाठक के आवास पर करीब 52 ब्राह्मण विधायकों और एमएलसी का डिनर के लिए एकजुट हुए. हैरानी की बात ये भी रही कि इसमें बीजेपी के अलावा दूसरी पार्टी के भी ब्राह्मण नेता शामिल रहे. ऐसे में लोग इस बैठक को लेकर चर्चा कर रहे हैं कि आखिर इसके पीछे की असली कहानी क्या है.
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उत्तर प्रदेश की राजनीति में मॉनसून सत्र के दौरान क्षत्रिय विधायकों की 'कुटुंब' बैठक ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं. अब उसी तर्ज पर ब्राह्मण विधायकों ने भी एकजुटता दिखानी शुरू कर दी है. मंगलवार शाम को हुई इस बंद कमरे की बैठक में बीजेपी सहित अन्य दलों के ब्राह्मण नेता शामिल हुए. सूत्रों की मानें तो यह बैठक ब्राह्मण समाज के राजनीतिक रसूख को लेकर अपनी शक्ति प्रदर्शन की एक कोशिश है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि सत्तासीन पार्टी के भीतर कुछ ब्राह्मण विधायक और नेता अपनी अनदेखी से नाराज हैं. खबरों के अनुसार उन्हें महसूस हो रहा है कि शासन और संगठन में उन्हें वह तवज्जो नहीं मिल रही है जिसके वे हकदार हैं. ऐसे में हाशिए पर जाने के डर ने इन विधायकों को एक मंच पर आने के लिए मजबूर किया है. हालांकि सार्वजनिक तौर पर कोई भी विधायक खुलकर नाराजगी जाहिर नहीं कर रहा है.
इस बैठक को लेकर मिर्जापुर नगर से विधायक रत्नाकर मिश्रा से बातचीत की गई तो उन्होंने किसी भी तरह की गुटबाजी से साफ इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि 'यह सिर्फ एक चाय पार्टी थी. हम लोग साथ बैठे, खाया-पिया और गपशप की. इसमें कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई. हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पूरी तरह सुरक्षित हैं और अगला चुनाव भी उन्हीं के नेतृत्व में लड़ेंगे. चर्चा केवल समाज में संस्कार देने के विषय पर हुई थी. सीएम को लेकर कोई बात नहीं हुई.'
यहां देखें पूरी वीडियो रिपोर्ट
बीजेपी विधायक अनिल त्रिपाठी ने बताई मीटिंग के अंदर की बात
इस बैठक में शामिल हुए भाजपा विधायक अनिल त्रिपाठी ने कहा कि कल शाम 7 बजे से शुरू हुई यह बैठक रात 11 से 12 बजे तक चली. यह एक सहभोज था जिसमें सभी आमंत्रित थे. करीब 4 से 5 घंटे तक चले इस कार्यक्रम में 40 से ज्यादा विधायक शामिल हुए जिनमें सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष के विधायक भी मौजूद थे. इस दौरान जब उनसे पूछा गया कि सरकार उनकी है फिर भी वे चिंतित क्यों हैं. इसपर उन्होंने कहा कि अपमानित करने का काम सरकार नहीं समाज के कुछ वर्गों द्वारा किया जा रहा है. आज हर जगह ब्राह्मणों को निशाना बनाया जा रहा है और उनके खिलाफ समाज को भड़काया जा रहा है.यह अपमानजनक व्यवहार अब बर्दाश्त से बाहर है.' वहीं सपा द्वारा इस बैठक को सरकार के खिलाफ गुटबाजी बताए जाने पर अनिल त्रिपाठी ने कहा कि इसे राजनीतिक चश्मे से देखना गलत है.'
इस बैठक को लेकर चल रही ये चर्चा
भले ही विधायक इसे पारिवारिक मिलन बता रहे हों. लेकिन विधानसभा सत्र के दौरान इतनी बड़ी संख्या में एक ही जाति के विधायकों का जुटना कई सवाल खड़े करता है. विधायक रत्नाकर मिश्रा का तर्क है कि अपने समाज में बैठना और परिचय करना कोई गुनाह नहीं है और इसे गुटबाजी से जोड़ना गलत है. लेकिन जानकारों का मानना है कि 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले अपनी बारगेनिंग पावर बढ़ाने के लिए यह एक सोची-समझी रणनीति हो सकती है. बता दें कि 2026 के शुरूआत में ही पंचायत चुनाव होने हैं. यहां से शुरू होने वाली चुनावी सरगर्मी 2027 के विधानसभा चुनाव पर जाकर थमेगी. यही वजह है कि ब्राह्मण नेताओं की इस बैठक की चर्चा दिल्ली तक हो रही है.
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