जगह- पीलीभीत, समय- शुक्रवार आधी रात…4 दोस्त कार में सवार होकर जा रहे थे. मगर घने कोहरे में उनकी कार नदी में जा गिरी. तेज बहाव की वजह से चारों की जान बुरी तरह से फंस गई. चारों जिंदगी बचाने के लिए तड़पने लगे और जिंदगी के लिए कोशिश करने लगे. मगर किसी को कोई खास सफलता नहीं मिली. मगर तभी आधी रात कल्पवास कर रहे कुछ साधु इनके लिए नई जिंदगी लेकर आए. साधुओं ने चारों की जिंदगी बचाने के दौड़ पड़े और आखिर में बबलू मांझी का सहारा लेकर, चारों की जिंदगी बचा ली. जानिए पीलीभीत में आधी रात क्या-क्या हुआ?
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खटीमा से लौटते वक्त हुआ हादसा
जानकारी के मुताबिक, हजारा थाना क्षेत्र के गांव शांतिनगर के रहने वाले अभिषेक कुमार अपने तीन दोस्तों अर्जुन गुप्ता, आदित्य वर्मा और अनंत रघुवंशी के साथ खटीमा में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होकर वापस घर लौट रहे थे. चारों युवक पूरनपुर से सम्पूर्णानगर की ओर शारदा पार अपने घर जा रहे थे. शुक्रवार देर रात जैसे ही उनकी ईको कार धनाराघाट के पास पहुंची, अचानक घना कोहरा छा गया. दृश्यता बेहद कम हो जाने के कारण चालक को आगे का रास्ता दिखाई नहीं दया और कार अनियंत्रित होकर नदी की ओर बढ़ते हुए सीधे शारदा नदी में जा गिरी.
शीशा तोड़कर कार की छत पर चढ़े युवक
नदी में गिरते ही कार में सवार चारों युवक दहशत में आ गए. हालात को भांपते हुए युवकों ने हिम्मत दिखाई और कार का शीशा तोड़कर एक-एक कर बाहर निकले. इसके बाद सभी युवक कार की छत पर चढ़ गए और जोर-जोर से मदद के लिए चिल्लाने लगे.
चारों युवकों की चीख-पुकार सुनकर नदी किनारे कल्पवास कर रहे साधु तुरंत घटनास्थल की ओर दौड़ पड़े. साधुओं ने घाट पर तैनात बबलू मांझी को आवाज दी. बिना समय गंवाए बबलू मांझी ने अंधेरे और तेज बहाव के बीच नदी में छलांग लगा दी. जोखिम उठाते हुए उन्होंने एक-एक कर चारों युवकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया. इस दौरान साधुओं और अन्य कर्मचारियों ने भी बचाव कार्य में पूरा सहयोग किया.
मौके पर पहुंची पुलिस
घटना की सूचना मिलते ही हजारा थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिस ने सभी युवकों को सुरक्षित बाहर निकालकर प्राथमिक उपचार दिलाया और उनके परिजनों को सूचना दी. बाद में सभी को सुरक्षित उनके घर भेज दिया गया. राहत की बात यह रही कि इस हादसे में किसी को भी गंभीर चोट नहीं आई है.
पांटून पुल और कोहरा बना हादसे की वजह
बताया जा रहा है कि धनाराघाट पांटून पुल पर दो दिन पहले ही वाहनों का आवागमन शुरू हुआ था. घने कोहरे के कारण संकेतक और मार्ग स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहे थे, जिससे इस तरह के हादसे की आशंका पहले से बनी हुई थी. बता दें कि ईको कार को क्रेन की मदद से शारदा नदी से बाहर निकाल लिया गया है.
कार में मौजूद अभिषेक ने कही ये बात
कार चालक अभिषेक कुमार ने बताया कि “घना कोहरा होने की वजह से रास्ता बिल्कुल दिखाई नहीं दे रहा था. अचानक हमारी कार नदी में गिर गई. हम लोगों ने शीशा तोड़कर मदद मांगी. पास में साधुओं की कुटिया थी, उन्हीं की वजह से आज हमारी जान बची.”
वहीं कल्पवास कर रहे एक साधु ने बताया कि “हमें शोर सुनाई दिया तो तुरंत बबलू मांझी को बुलाया गया. सभी लोगों ने मिलकर चारों युवकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया.”
प्रशासन ने दिए सतर्कता के निर्देश
एसडीएम अजीत सिंह ने बताया कि यह मार्ग रात के समय वाहनों के लिए सुरक्षित नहीं है. एहतियात के तौर पर यहां झंडियां और संकेतक लगाए जाएंगे ताकि आने-जाने वाले वाहन चालकों को मार्ग स्पष्ट दिखाई दे और भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके.
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