अनीता यादव के पति की हुई मौत तो मकान मालिक पुरुषोत्तम साहू ने शव के साथ सामान बाहर निकाला, दर्दनाक है कहानी!

उन्नाव में अनीता यादव को उनके पति विनोद के शव के साथ घर से बाहर निकाल दिया गया. साथ ही महिला के सारे सामान को भी घर के बाहर फेंक दिया गया. मकान मालिक ने बेरहमी दिखाते हुए उसका सामान भी सड़क पर फेंक दिया. इस दौरान घर के बाहर बेसहारा पड़ी अनीता यादव की स्थिति को देखकर मोहल्ले वाले फरिश्ता बन गए.

Anita with her husband

सूरज सिंह

27 Dec 2025 (अपडेटेड: 27 Dec 2025, 06:15 PM)

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कहते हैं कि दुख की घड़ी में दुश्मन भी साथ दे देते हैं. लेकिन उन्नाव के शुक्लागंज से एक ऐसी खबर आई है जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया.यहां एक बेबस विधवा अनीता यादव को अपने पति विनोद के शव के साथ घर से बाहर निकाल दिया गया. साथ ही महिला के सारे सामान को भी घर के बाहर फेंक दिया गया. मकान मालिक ने बेरहमी दिखाते हुए उसका सामान भी सड़क पर फेंक दिया. इस दौरान घर के बाहर बेसहारा पड़ी अनीता यादव की स्थिति को देखकर मोहल्ले वाले फरिश्ता बन गए. उन्होंने अनीता यादव के पति के शव का अंतिम संस्कार कर उनके लिए कमरा और खाने पीने की व्यवस्था भी करवाई. 

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उन्नाव की ये कहानी दर्दनाक है

गंगाघाट थाना क्षेत्र के इंदिरा नगर में 60 साल के रिक्शा चालक विनोद यादव अपनी पत्नी अनीता के साथ पिछले 20 साल से किराए पर रह रहे थे. बुधवार को कानपुर के हैलट अस्पताल में इलाज के दौरान विनोद की मौत हो गई. जब बदहवास अनीता एम्बुलेंस से अपने पति का शव लेकर घर पहुंची तो मकान मालिक पुरुषोत्तम साहू की इंसानियत मर चुकी थी. उसने शव को घर के अंदर ले जाने से साफ मना कर दिया और अनीता का सारा सामान निकालकर सड़क पर फेंक दिया. एक तरह अनीता अपने पति की मौत से टूट चुकी थीं. वहीं दूसरी ओर वह घर के बाहर बिना छत के बेबस पड़ी सिर्फ आंसू बहा रही थीं.अनीता का कोई संतान भी नहीं था ऐसे में उन्हें पति के अंतिम संस्कार की भी चिंता सता रही थी. लेकिन उनकी हालत को देखकर मोहल्ले के लोग मानों फरिस्ता बन गए. इस दौरान संजय सिंह नाम के एक व्यक्ति ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए विनोद यादव के शव का अंतिम संस्कार किया. इसके साथ ही उन्होंने नगरपालिका अध्यक्ष से अनीता यादव की मदद भी करवाई.

हरदोई से उन्नाव कमाने आए थे विनोद यादव

मृतक विनोद कुमार यादव मूल रूप से हरदोई के मल्लावां के रहने वाले थे.साल 2005 में फतेहपुर की अनीता के साथ उनकी शादी हुई. इसके बाद यह वह खुशहाल भविष्य के सपनों के साथ शुक्लागंज के इंदिरा नगर में आकर बस गए. विनोद पहले एक दवा मार्केट में प्राइवेट नौकरी करते थे.लेकिन वक्त की मार ऐसी पड़ी कि बीमारी की वजह से उनकी नौकरी छूट गई और घर की आर्थिक स्थिति पूरी तरह बिगड़ गई. कोई संतान न होने के कारण बुढ़ापे की लाठी बनने वाला भी कोई नहीं था. जब दूसरी नौकरी नहीं मिली तो पेट पालने के लिए विनोद ने रिक्शा चलाना शुरू किया. लेकिन किस्मत ने यहां भी साथ नहीं दिया. बीमारी ने दोबारा घेरा तो रिक्शा चलाना भी बंद हो गया. पैसों की तंगी इस कदर बढ़ी कि उन्हें बार-बार किराए के घर बदलने पड़े.पिछले चार सालों से वे एक पुलिसकर्मी के घर में किराए पर थे. लेकिन यहां भी हालात ने उनका पीछा नहीं छोड़ा. गरीबी और बीमारी के बोझ तले दबे विनोद जब तीन हजार रुपये का किराया नहीं चुका पाए तो पिछले मकान मालिक ने उनका कुछ सामान अपने पास रखते हुए मकान खाली करने को कह दिया. साथ ही ये शर्त भी रखी कि जब पैसे लेके आना तो समान ले जाना. 

अनीता के लिए फरिश्ताॉ बन गए मोहल्ले के लोग

अनीता ने अभी 3 दिन पहले ही 2000 रुपये महीने के किराए पर पुरुषोत्तम साहू के यहां एक छोटा सा कमरा लिया था. उन्हें उम्मीद थी कि यहा से नई शुरुआत होगी. लेकिन पति की तबीयत और बिगड़ गई. अनीता उन्हें लेकर पहले केपीएम कानपुर और फिर हैलट अस्पताल भागी. लेकिन इलाज के दौरान विनोद की मौत हो गई.ऐसे में जब वह शव लेकर लौटीं तो नए मकान मालिक ने उन्हें घर की दहलीज तक पार नहीं करने दी. इस कठिन समय में दूसरे मोहल्ले के रहने वाले अयोध्या प्रसाद कौशल ने अनीता के लिए अपने मकान में किराए पर कमरा दिया. वहीं नगरपालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि संदीप पांडेय ने मकान मालिक को 1800 रुपये प्रति माह की दर से अगले 6 महीने का एडवांस जमा कर दिया ताकि अनीता को रहने की चिंता न रहे. इतना ही नहीं उन्होंने महिला के लिए राशन और अन्य जरूरी घरेलू सामान की भी पूरी व्यवस्था की.साथ ही महिला को आश्वाशन दिया की उसकी हालत ठीक होने के बाद उसे रोजगार भी दिलवाया जाएगा .
 

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