गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में पिछले 11 सालों से MBBS फर्स्ट ईयर में ही है छात्र, SC कोटे के इस स्टूडेंट के साथ क्या हुआ?

UP News: छात्र ने साल 2014 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में एडमिशन लिया था. मगर वह अभी तक फर्स्ट ईयर में ही अटका हुआ है. अब उसे मेडिकल कॉलेज में दारोगा भी कहने लगे हैं. जानिए इस छात्र की कहानी.

UP News (प्रतीकात्मक फोटो)

रवि गुप्ता

28 Dec 2025 (अपडेटेड: 28 Dec 2025, 11:45 AM)

follow google news

UP News: गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक छात्र ने एससी (SC) कोटे से साल 2014 में एमबीबीएस में एडमिशन लिया. उसके एमबीबीएस का 5 साल का कोर्स 2018 में खत्म होना था. मगर अब हम आपको जो बताने जा रहे हैं, उसे जान आप भी हैरान रह जाएंगे. 2025 चल रहा है और कुछ ही दिन में नया साल यानी 2026 लगने वाला है. मगर ये छात्र अभी तक अपना एमबीबीएस पूरा नहीं कर सका है. यहां तक की ये छात्र अभी तक एमबीबीएस प्रथम वर्ष में ही अटका हुआ है.

यह भी पढ़ें...

फर्स्ट ईयर भी पास नहीं हुआ

बता दें कि ये एमबीबीएस छात्र अभी तक पहले ही साल यानी अपने फर्स्ट ईयर में अटका हुआ है. छात्र अभी तक फर्स्ट ईयर भी पास नहीं कर सका है. बता दें कि इसका एडमिशन सीपीएमटी के जरिए एससी कोटे में हुआ था. मगर ये छात्र ना तो परीक्षा दे रहा है और ना ही मेडिकल कॉलेज का अपना हॉस्टल छोड़ रहा है. फिलहाल इस छात्र को लेकर गोरखपुर मेडिकल कॉलेज का प्रशासन परेशान है.

सभी पेपरों में हो चुका है फेल

बताया जा रहा है कि छात्र ने मेडिकल कॉलेज में हॉस्टल में रहते हुए सिर्फ एक ही बार एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की परीक्षा दी थी. मगर वह सभी में फेल हो गया था. इसके बाद से उसने कभी परीक्षा नहीं दी और वह एग्जाम से भाग ही रहा है. यहां तक की मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर्स ने उसे अलग से पढ़ाई कराने का ऑफर भी दिया. मगर छात्र ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.

दारोगा ने नाम से जाना जाता है छात्र

बताया जा रहा है कि छात्र आजमगढ़ का रहने वाला है. उसके पिता दारोगा हैं. ऐसे में छात्र मेडिकल कॉलेज में दारोगा के नाम से ही जाना जाता है. यहां तक की मेडिकल कॉलेज के जूनियर छात्र और मेडिकल कॉलेज का स्टाफ, शिक्षक भी उसे दारोगा की बुलाते हैं.

प्रोफेसर ने छात्र को लेकर ये बताया

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. रामकुमार ने बताया, छात्र का नाम श्रीकांत सरोज है. उसकी कई बार काउंसलिंग की गई है. मगर वह पढ़ाई से भागता ही है. मामले को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के यहां उठाया जाएगा, जिससे छात्र के भविष्य को लेकर कुछ फैसला किया जा सके.

    follow whatsapp