अयोध्या: कहां तक पहुंचा राम मंदिर का कार्य, कब तक कर पाएंगे रामलला के दर्शन, जानिए यहां

बनबीर सिंह

• 10:00 AM • 25 Oct 2022

अयोध्या (Ayodhya) में राम जन्मभूमि में राम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को इसके निर्माण कार्य…

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अयोध्या (Ayodhya) में राम जन्मभूमि में राम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को इसके निर्माण कार्य का निरीक्षण भी किया था. वहीं श्री राम जन्म भूमि मंदिर का 45% कार्य पूरा हो चुका है. मंदिर की बुनियाद और जमीन के ऊपर पूरा फाउंडेशन तैयार हो चुका है. 17000 पत्थरों से बुनियाद का पूरा स्ट्रक्चर तैयार किया गया है. इसके ऊपर अब बलुआ पत्थरों जो बंसी पहाड़पुर से लाए गए हैं, उनका प्रयोग हो रहा है.

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राम मंदिर के गर्भ गृह को पत्थर के ब्लाक को सात परतों से तैयार किया गया है. 2024 जनवरी के तीसरे सप्ताह में श्रद्धालुओं को अपने आराध्य श्री राम के दर्शन उनके भव्य और दिव्य मंदिर में हो सकेंगे. इसके बाद निर्माण का कार्य चलता रहेगा और 2025 तक पूरा मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा .

जानकारी के मुताबिक अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर में गर्भ गृह से पहले पूर्व की दिशा में सिंह द्वार से आगे नृत्य मंडप , रंग मंडप और गुड़ी मंडप होगा . गर्भ गृह जहां रामलला विराजमान होंगे उसके परतों तक का काम हो चुका है. 21 फीट लंबा और 21 फीट चौड़ा जो गर्भ गृह है. इसके ऊपर 5 से 6 फीट का एक ऊंचा प्लेटफार्म बनाया स्थान होगा. जिस पर लगभग 5 फीट ऊंची रामलला की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. जिसके कारण दूर से ही श्री राम की मूर्ति श्रद्धालुओं को दिखाई देगी. इसलिए रामलला के दर्शन श्रद्धालुओं को लगभग 30 फीट दूर से होंगे. राम मंदिर के 45% काम हो चुका है, जमीन से ऊपर फाउंडेशन का कार्य पूरा हो चुका है. नींव का काम भी पूरा हो चुका है.

2024 के अंत तक राम मंदिर के प्रथम तल का भी निर्माण हो जाएगा और 2025 की शुरुआत तक प्रथम तल के गर्भगृह में राम दरबार की प्रतिष्ठा भी शुरू हो जाएगी.

निर्माणाधीन राम मंदिर 360 फीट लंबा 250 फीट चौड़ा एवं 161 फीट ऊंचा है. रामलला जिस आधार भूमि पर स्थापित हो रहे हैं वह सतह से 25 से 30 फीट ऊपर है. इस सतह के नीचे 45 से 50 फीट तक गहरी बुनियाद भरी गई है. जानकारी के मुताबिक गर्भगृह में मूर्ति आगे की ओर रहेगी. आगे की ओर रामलला की मूर्ति 4 फीट से 5 फीट की होगी और नीचे 1 मीटर का एक चबूतरा होगा. 2024 तक दर्शन की उम्मीद की जा सकती है. अभी अष्टकोणीय गर्भगृह में काम जारी है. यहां 500 विशाल पत्थर बिछाए जा चुके हैं.

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