उत्तर प्रदेश के आगरा में पंचायत चुनाव के दौरान मताधिकार के प्रयोग से उपजे विवाद में हुई हत्या के करीब 20 साल बाद अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है. बता दें कि कोर्ट ने ये फैसला अगस्त साल 2005 में हुए दो पक्षों के बीच टकराव को लेकर सुनाया है जिसमें धर्मपाल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. वहीं उनके भाई धर्मवीर सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इस मामले में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) आगरा ने दो पक्षों के कुल 11 लोगों को दोषी ठहराते हुए उन्हें अलग-अलग सजा सुनाई है.
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क्या है पूरा मामला?
मामला थाना मलपुरा क्षेत्र के लाडम मंकेड़ा गांव का है, जहां ग्राम प्रधान पद के चुनाव में धर्मपाल सिंह और उनके भाई धर्मवीर ने आरोपियों के समर्थित उम्मीदवार को वोट देने से इनकार कर दिया था. इसे लेकर दोनों पक्षों में हिंसक झड़प हुई. संघर्ष के दौरान धर्मपाल को गोली मार दी गई जिससे उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई. जबकि उसका भाई धर्मवीर गंभीर रूप से घायल हो गया. वहीं दूसरे पक्ष के जितेंद्र, पवन और गुलकंदी भी घायल हुए थे.
घटना के बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए थे. धर्मवीर पक्ष की ओर से हत्या का मुकदमा अपराध संख्या 318/2005, धारा 147, 149, 302 IPC में दर्ज हुआ था, जबकि दूसरे पक्ष की ओर से 318A/2005, धारा 147, 149, 307, 504, 506 IPC में एफआईआर हुई थी.
करीब दो दशकों तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने शुक्रवार को फैसला सुनाया. जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) बसंत गुप्ता ने बताया कि हत्या के मामले में जितेंद्र, बबलू, पवन, गिरिराज, गोविंद और बलबीर उर्फ दलवीर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. इनमें से एक अभियुक्त पत्तों की मृत्यु हो जाने से उसका मुकदमा अवमुक्त कर दिया गया. बसंत गुप्ता ने यह भी बताया है कि हत्या के प्रयास के मामले में अभियुक्त मुकेश नाबालिग होने के कारण उसका ट्रायल जेजे बोर्ड में जारी है. शेष पांच अभियुक्त – सूर्य उर्फ सूरज, बदन सिंह, गंभीर सिंह, राकेश और खजान सिंह को अदालत ने पांच-पांच साल की सजा सुनाई है. अदालत के आदेश के बाद सभी दोषियों को जेल भेज दिया गया है.
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