UPSC की परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में गिनी जाती है. इस परीक्षा में हर साल लाखों उम्मीदवार बैठते हैं. लेकिन केवल कुछ ही सफल हो पाते हैं. आपको बता दें कि अब इसके सिलेक्शन पैटर्न में एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है. लोकसभा में पेश किए गए नए सरकारी आंकड़े इस बार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (CSE) के नतीजों में एक बड़ा बदलाव दिखा रहे हैं. लंबे समय से इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों का इस परीक्षा में दबदबा रहा है. लेकिन अब ये तस्वीर धीरे-धीरे बदल रही है. ह्यूमैनिटीज और साइंस स्ट्रीम के छात्रों ने उम्मीद से कहीं ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है जबकि इंजीनियरिंग में हल्की गिरावट देखी गई है.
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ह्यूमैनिटीज स्ट्रीम में आई 65% की बड़ी छलांग
ह्यूमैनिटीज स्ट्रीम में पिछले पांच सालों में नोटेबल बढ़त देखी गई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2019 की तुलना में 2023 में ह्यूमैनिटीज बैकग्राउंड वाले सिलेक्टेड उम्मीदवारों की संख्या में 65% तक की वृद्धि देखि गई है. बता दें कि 2019 में जहां 223 उम्मीदवार चुने गए थे, वहीं 2023 में यह संख्या बढ़कर 368 हो गई है. इसमें सबसे बड़ा उछाल 2022 में देखने को मिला, जब ह्यूमैनिटीज स्ट्रीम से 296 उम्मीदवार फाइनल सूची में पहुंचे. यह बदलाव सफ तौर पर संकेत देता है कि UPSC की तैयारी का रुझान बदल रहा है और ह्यूमैनिटीज के उम्मीदवार अब लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं.
इंजीनियरिंग में आई हल्की गिरावट
आपको बता दें कि इंजीनियरिंग स्ट्रीम अभी भी UPSC में सबसे बड़ा समूह बनी हुई है लेकिन इसके चयन आंकड़ों में हल्की गिरावट दर्ज की गई है. 2019 में इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से 582 उम्मीदवार सेलेक्ट हुए थे जबकि 2023 में यह संख्या घटकर 554 रह गई. यह लगभग 4.8% की कमी है. इसके बावजूद इंजीनियर अब भी हर हर साल सबसे ज्यादा सेलेक्ट होने वाले उम्मीदवारों का सबसे बड़ा समूह बना हुआ है.
साइंस और मेडिकल साइंस में भी मजबूत बढ़त
साइंस और मेडिकल साइंस दोनों स्ट्रीम्स ने पिछले पांच सालों में मजबूत बढ़त दर्ज की है. साइंस स्ट्रीम में सिलेक्टेड उम्मीदवारों की संख्या 2019 के 61 से बढ़कर 2023 में 137 हो गई. वहीं मेडिकल साइंस स्ट्रीम ने भी स्थिर और लगातार सुधार दिखाया है. 2019 में 56 उम्मीदवार सेलेक्ट हुए थे, जबकि 2023 में यह संख्या बढ़कर 73 पहुंच गई है.
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि UPSC का चयन प्रक्रिया अब पहले से कहीं ज्यादा विविध हो गई है. ह्यूमैनिटीज और साइंस जैसी स्ट्रीम्स धीरे-धीरे इंजीनियरिंग के अंतर को कम कर रही हैं और लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं.
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