बिहार की सियासत में इन दिनों पावरस्टार पवन सिंह के नाम की गूंज एक बार फिर सुनाई दे रही है. बिहार विधानसभा चुनाव के बाद अब राज्यसभा की खाली हो रही सीटों को लेकर सियासी गलियारों में पवन सिंह का नाम तेजी से उछल रहा है. इस बीच भोजपुरी एक्टर और बीजेपी नेता मनोज तिवारी के उस पुराने बयान ने इस चर्चा को और हवा दे दी है जिसमें उन्होंने कहा था कि 'पवन सिंह के लिए बीजेपी में सब कुछ सेट है'. अप्रैल 2026 में होने वाले राज्यसभा चुनाव को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी अपने कोटे से पवन सिंह को सदन भेज सकती है. आखिर पवन सिंह पर बीजेपी इतना मेहरबान क्यों है और इसके पीछे की असली 'चुनावी गणित' क्या है?
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पवन सिंह की वजह से बीजेपी को मिल सकता है ये बड़ा फायदा
विधानसभा चुनाव में पवन सिंह का प्रभाव साफ तौर पर देखने को मिला. एनडीए को जिस तरह से उनके चेहरे का फायदा मिला माना जा रहा है कि उसका रिटर्न गिफ्ट उन्हें राज्यसभा की सीट के तौर पर मिल सकता है. पवन सिंह की फैन फॉलोइंग सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं है बल्कि हिंदी पट्टी के राज्यों में उनका बड़ा जनाधार है जो वोट बैंक में बदलने की क्षमता रखता है. बीजेपी की नजर सिर्फ बिहार पर नहीं बल्कि आने वाले बंगाल और असम विधानसभा चुनावों पर भी है.
लोकसभा चुनाव के दौरान पवन सिंह को आसनसोल से टिकट दिया गया था जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था. अब पार्टी चाहती है कि उन्हें राज्यसभा भेजकर सम्मान दिया जाए और फिर बंगाल चुनाव में स्टार प्रचारक के रूप में उनका इस्तेमाल किया जाए. बंगाल के कई इलाकों में भोजपुरी भाषियों की बड़ी तादाद है जहां पवन सिंह का सिक्का चलता है. असम में भी भोजपुरी गानों और संस्कृति का बड़ा बाजार है. पवन सिंह वहां सबसे लोकप्रिय चेहरों में से एक हैं जिसका फायदा बीजेपी चुनाव में उठाना चाहती है.
नितिन नवीन या पवन सिंह किसपर भरोसा जताएगी बीजेपी
भले ही पवन सिंह का नाम चर्चा में हो. लेकिन बीजेपी के सामने एक बड़ी चुनौती जातीय संतुलन की है. चर्चा है कि राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन का राज्यसभा जाना लगभग तय है. अगर पवन सिंह (सवर्ण) को भी भेजा जाता है तो दो अगड़े नेताओं को एक साथ भेजना बिहार की जातीय संरचना के लिहाज से बीजेपी के लिए जोखिम भरा हो सकता है. ऐसे में कयास हैं कि बीजेपी किसी चौंकाने वाले नाम को सामने ला सकती है. अगर राज्यसभा का रास्ता साफ नहीं होता तो दूसरा विकल्प एमएलसी (MLC) का है. अगले साल बिहार में एमएलसी की कई सीटें खाली हो रही हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पवन सिंह को विधान परिषद भेजकर भी एडजस्ट किया जा सकता है. हालांकि सवाल यह है कि क्या विधानसभा चुनाव लड़ने और बड़ी जीत की उम्मीद रखने वाले पवन सिंह एमएलसी बनना स्वीकार करेंगे?
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