उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण और 'जनसांख्यिकी संतुलन' को लेकर एक बार फिर बहस तेज होती नजर आ रही है. लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक राजेश्वर सिंह ने इस बहस को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश में 'एरिया-वाइज़ डेमोग्राफिक पॉलिसी' (Area-wise Demographic Policy - ADP) लागू करने की मांग की है. ED के पूर्व अधिकारी और सुप्रीम कोर्ट के वकील रहे राजेश्वर सिंह ने इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक चिट्ठी लिखी है. इसमें उन्होंने राज्य में हिंदू और मुस्लिम आबादी के आंकड़ों में तुलनात्मक असंतुलन को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है.
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पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक राजेश्वर सिंह ने अपने पत्र में 1951 और 2011 की जनगणना के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक गंभीर दावा किया है. उन्होंने कहा कि बीते छह दशकों में राज्य में हिंदू आबादी में 5 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि इसी अवधि में मुस्लिम आबादी में उतनी ही (5 प्रतिशत) की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. विधायक का साफ कहना है कि उत्तर प्रदेश भारत के जनसांख्यिकी संतुलन के केंद्र में है और अगर यह संतुलन अनियंत्रित रूप से बिगड़ा, तो इससे सामाजिक सद्भाव और विकास दोनों को भारी नुकसान पहुंचेगा.
किसी समुदाय विशेष के खिलाफ नहीं ये प्रस्ताव: राजेश्वर सिंह
राजेश्वर सिंह ने अपने पत्र में साफ किया कि यह प्रस्ताव किसी समुदाय विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य 'शिक्षित, न्यायसंगत और सद्भावपूर्ण उत्तर प्रदेश' का निर्माण करना है. राजेश्वर सिंह का कहना है कि 'एरिया-वाइज डेमोग्राफिक पॉलिसी' (ADP) का उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवार नियोजन और पलायन प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में टारेगेटेड हस्तक्षेप कर 'संतुलित' जनसंख्या वृद्धि, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सद्भाव सुनिश्चित करना है.
विधायक ने इस पॉलिसी को लागू करने के लिए एक ज़ोनिंग सिस्टम का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने सुझाव दिया कि चिह्नित ज़िलों और ब्लॉकों को पांच मुख्य संकेतकों के आधार पर 'ग्रीन', 'एम्बर' और 'रेड' ज़ोन में बांटा जाए. ये संकेतक हैं:
TFR (कुल प्रजनन दर)
बाल विवाह का प्रचलन
पहली संतान के जन्म के समय महिला की आयु
महिला शिक्षा का स्तर
पलायन संतुलन (Migration Balance)
लागू करने के लिए इंसेटिव वाले प्लान का दिया सुझाव
राजेश्वर सिंह ने इस पॉलिसी को सफल बनाने के लिए प्रोत्साहन (Incentives) और सीमित प्राथमिकता (Limited Priority) के प्रावधान सुझाए हैं. जैसे टोटल फर्टिलिटी रेट (TFR) को 2.1 प्रतिशत से कम या बाल विवाह को 10 प्रतिशत से कम करने वाले ज़िलों को 5 प्रतिशत अतिरिक्त विकास निधि दी जाए. जिन परिवारों में लड़कियां 12वीं कक्षा तक की शिक्षा पूरी करेंगी, उन्हें 10000 रुपये डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के रूप में दिए जाएं.
उत्कृष्ट परिवार नियोजन परिणाम वाली पंचायतों को "जनसंख्या संतुलन पुरस्कार" दिया जाए. दो या उससे कम बच्चों वाले परिवारों को आवास/कर लाभों में 'प्राथमिकता' दी जाए. वहीं, उच्च TFR वाले परिवारों के लिए आवास और डीबीटी-आधारित कल्याणकारी योजनाओं में 'सीमित' प्राथमिकता रखी जाए. राजेश्वर सिंह ने कहा है कि इन कदमों से 'संतुलित जनसांख्यिकी', मातृ-शिशु स्वास्थ्य में सुधार, लड़कियों की शिक्षा में तेजी से वृद्धि, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सामंजस्य बढ़ेगा.
अब ये देखना होगा कि राजेश्वर सिंह के इस पत्र पर योगी सरकार क्या कदम उठाती है. इसकी सियासत पर भी नजर बनी रहेगी. ऐसा इसलिए क्योंकि हिंदू-मुस्लिम आबादी का प्रश्न अक्सर भारतीय जनता पार्टी उठाती है और समाजवादी पार्टी जैसे विपक्षी दल इसे लेकर बीजेपी पर सांप्रदायिक राजनीति का आरोप भी लगाते हैं.
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