फतेहपुर के जिस मशहूर मकबरे को मंदिर बता हिंदू संगठन के लोगों ने की तोड़फोड़ उसका असल इतिहास इतिहासकार सतीश द्विवेदी से जानिए

फतेहपुर के अबू नगर के मशहूर मकबरे में सोमवार को हिंदू संगठन और बीजेपी जिला अध्यक्ष के आह्वान पर हुई तोड़फोड़ ने राजनीतिक तूल पकड़ रखा है. मंगलवार को समाजवादी पार्टी ने इस मामले को यूपी विधानसभा में चल रहे मॉनसून सत्र में भी उछाला.

Controversy over a temple and a tomb

संतोष शर्मा

12 Aug 2025 (अपडेटेड: 12 Aug 2025, 06:10 PM)

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फतेहपुर के अबू नगर के मशहूर मकबरे में सोमवार को हिंदू संगठन और बीजेपी जिला अध्यक्ष के आह्वान पर हुई तोड़फोड़ ने राजनीतिक तूल पकड़ रखा है. मंगलवार को समाजवादी पार्टी ने इस मामले को यूपी विधानसभा में चल रहे मॉनसून सत्र में भी उछाला. यूपी सरकार लॉ एंड ऑर्डर से जुड़े इस मामले में बैकफुट पर नजर आई और सिर्फ इतना कह पाई कि हिंसा के लिए दोषियों पर नामजद FIR हुई है और कार्रवाई होगी. फतेहपुर पुलिस का दावा है कि मकबरे में तोड़फोड़ के आरोपियों को पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है. इस बीच यूपी Tak भी फतेहपुर में ग्राउंड पर मौजूद है और आपतक पल-पल की सूचनाएं ला रहा है. हमारे रिपोर्टर ने फतेहपुर के इस विवाद के तह तक जाने की कोशिश की. हिंदू संगठन और फतेहपुर के बीजेपी अध्यक्ष मुखलाल पाल इसे मंदिर बता रहे हैं. पर असल में ये क्या है? इसे जानने के लिए हमने बात की इतिहासकार सतीश द्विवेदी से. 

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फतेहपुर के मकबरे को लेकर क्या बोले इतिहासकार सतीश द्विवेदी? 

इतिहासकार सतीश द्विवेदी इस मकबरे को मुगल बादशाह औरंगजेब से जुड़ा बताते हैं. उनके मुताबिक फतेहपुर के अबू नगर में बना यह मकबरा औरंगजेब के फौजदार अब्दुस समद का है. वह बताते हैं कि खजुआ के युद्ध में औरंगजेब ने भाई शुजा को हराया था. उस समय औरंगजेब की सेना ने फतेहपुर में ही डेरा डाला था. बाद में औरंगजेब इस सैन्य छावनी के रूप में डेवलप करने लगा. बाद में उसने अब्दुल समद को फतेहपुर में ही बसा दिया. 1699 में अब्दुल समद की मौत हो गई तो उसके बड़े बेटे अबू बकर ने यह मकबरा बनवाया. इसी मकबरे में अब्दुस समद के साथ अबू बकर की भी मजार है. अब्दुल समद के इसी बेटे अबू बकर के नाम पर अबू नगर भी बसा है. 

इतिहासकार सतीश द्विवेदी साफ कहते हैं कि यह मकबरा है. जिस समय अबू बकर फतेहपुर का सूबेदार था उस समय फतेहपुर में दो ही मोहल्ले थे. एक अबू नगर और दूसरा खेलदार. सरकारी दस्तावेजों में 1850 के नक्शे में भी इस पूरे इलाके में सिर्फ यही दो मोहल्ले थे बाकि पूरा इलाका झील थी. 

मकबरे पर बनाए गए कमल, कलश जैसे हिंदू चिन्हों पर इतिहासकार सतीश द्विवेदी का कहना है कि मकबरा भले ही अबू बकर ने अपने पिता अब्दुस समद के लिए बनवाया लेकिन बनाया उस समय के हिंदू कारीगरों ने ही होगा. इसकी वजह से कमल जैसे चिन्ह का मिलना आम बात है.

यहां नीचे देखिए इतिहासकार सतीश द्विवेदी संग पूरी बातचीत

क्या है पूरा मामला

आपको बता दें कि सोमवार को फतेहपुर में सांप्रदायिक तनाव फैलाने की खुलेआम कोशिशें देखी गईं. बीजेपी के जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल के आह्वान पर हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने फतेहपुर के मशहूर मकबरे को मंदिर बताकर यहां तोड़फोड़ की. अब पुलिस ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और शांति भंग करने के आरोप में 150 से अधिक लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. 

BJP जिला अध्यक्ष का नाम FIR से गायब

फतेहपुर विवाद में पुलिस की कार्रवाई को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. हैरत ये है कि बीजेपी के जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल कैमरे पर खुलेआम कह रहे हैं कि उन्होंने 11 अगस्त को फतेहपुर के इस मकबरे पर पहुंचने का आह्वान किया था, लेकिन उनका नाम पुलिस की FIR में नहीं है. इस सवाल पर एसपी अनूप सिंह का कहना है कि पुलिस अभी जांच कर रही है और लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने में जुटी है. 

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