UP News: बिजनौर के फूलफंदा गांव का रहने वाला सरफराज अपनी मां के साथ बिजनौर मेडिकल कॉलेज में डायलिसिस करवाने के लिए आया. उसकी मां सलमा पहले भी बेटे को यहां डायलिसिस करवाने के लिए लेकर आ चुकी थी. मगर इस बार सरफराज के साथ कुछ ऐसा हुआ, जो उसकी मां सलमा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा. मां सलमा के सामने ही सरफराज ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया. मां सलमा चीखती रही, मदद मांगती रही. मगर कोई कुछ नहीं कर सका.
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दरअसल सरफराज की जान सिस्टम ने ले ली. बिजनौर मेडिकल कॉलेज में सरफराज के साथ जो खेल खेला गया, उसे जान आप के भी होश उड़ जाएंगे. दरअसल जिस समय सरफराज का डायलिसिस चल रहा था, उसी प्रकिया के बीच में अचानक बिजली चली गई. मेडिकल कॉलेज में जनरेटर भी था. मगर सिस्टम ने सरफराज की मौत तय कर ली थी. दरअसल जनरेटर में डीजल नहीं था. डायलिसिस प्रक्रिया के बीच सरफराज बिस्तर पर लेटा रहा और तड़पता रहा. मगर ना बिजली आई और ना जनरेटर चला और वहीं उसकी मौत हो गई.
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सलमा बेटे की जिंदगी के लिए चीखती रही
सरफराज की मां सलमा ने पूरी कोशिश की कि उसके बेटे की जान बच जाए. मां ने स्टाफ से जनरेटर चलाने के लिए कहा. मगर कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया. कोई जनरेटर चलाता भी कैसे, क्योंकि वहां तेल ही नहीं था. इस दौरान सरफराज की मां सलमा मदद की गुहार लगाती रही. मगर ना तेल आया और ना जनरेटर चलाया गया.
सरफराज की हालत बिगड़ती चली गई. अस्पताल कर्मियों ने उसे सीपीआर दिया. मगर डायलिसिस प्रक्रिया अचानक बीच में बंद होने से सरफराज की हालत खराब होती गई और वहीं उसकी मौत हो गई.
सीडीओ ने भी मदद की कोशिश की मगर नहीं बचा सरफराज
जिस समय मां सलमा बेटे सरफराज की जिंदगी बचाने के लिए गुहार लगा रही थी, चीख रही थी, उस दौरान मेडिकल कॉलेज में सीडीओ पूर्ण बोहरा भी थे. दरअसल उन्हें यहां गंदगी की शिकायत मिली थी. इसकी जांच के लिए वह यहां आए थे. उन्होंने जैसे ही महिला की चीख की आवाज सुनी, वह फौरन डायलिसिस रूम में आ गए.
पूरे मामला का पता चलते ही वह चौंक गए. उन्होंने फौरन जनरेटर चलाने का आदेश दिया. मगर स्टाफ ने कहा कि वहां तेल नहीं है. ये सुन सीडीओ खुद जनरेटर रूम में गए. मगर वहां तेल था ही नहीं. उन्होंने अस्पताल कर्मचारियों को फटकार भी लगाई. मगर कोई कुछ नहीं कर सका.
4 लोगों की जिंदगी भी खतरे में आ गई
बता दें कि जिस समय मेडिकल कॉलेज की लाइट गई, उस समय सरफराज के अलावा अन्य 4 मरीज भी डायलिसिस रूम में लेते हुए थे. ऐसे में सीडीओ को उन 4 मरीजों की चिंता हुई. उन्होंने अपने सहायक को फोन किया और फौरन 50 लीटर डीजल मंगवाया और जनरेटर चलवाया. इसके बाद वहां मौजूद 4 मरीजों का डायलिसिस हो सका. मगर सरफराज को नहीं बचाया जा सका.
डीएम भी पहुंच गईं जिला अस्पताल
मामले की जानकारी मिलते ही हड़कंप मच गया. मौके पर सीएमओ और बिजनौर जिलाधिकारी भी मौके पर पहुंच गईं. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य उर्मिला काले का कहना है कि डायलिसिस का काम संजीवनी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी देखती है. उसी की जिम्मेदारी है. फिलहाल इस घटना से हड़कंप मचा हुआ है. बिजनौर जिलाधिकारी जसजीत कौर ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने मामले की जांच सीडीओ को सौंप दी है.
डीएम क्या बोलीं?
बिजनौर जिलाधिकारी जसजीत कौर ने मामले को लेकर कहा, मामले को लेकर लखनऊ शासन से बात की गई है. कंपनी के खिलाफ केस दर्ज करवाया जा रहा है. मामले की गंभीरता के साथ जांच करवाई जाएगी और कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करवाने की भी कोशिश होगी. मामले की जांच सीडीओ कर रहे हैं.
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