69000 शिक्षक भर्ती से जुड़ी चयन सूची पर हाई कोर्ट के नए फैसले को समझिए, किसपर क्या असर?
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कल यानी 14 मार्च को 69,000 हजार सहायक शिक्षक भर्ती मामले में बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश…
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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कल यानी 14 मार्च को 69,000 हजार सहायक शिक्षक भर्ती मामले में बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा-2019 के लिए जारी चयन सूची पर फिर से विचार करने के निर्देश दिए. कोर्ट ने राज्य सरकार को 3 महीनों के अंदर नई भर्ती सूची जारी करने का आदेश भी दिया.
बता दें कि 1 जून 2020 को सहायक शिक्षक भर्ती सूची जारी हुई थी. तभी से शिक्षकों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा था. इसी के साथ कोर्ट ने भर्ती परीक्षा के क्रम में आरक्षित वर्ग के अलावा 6800 अभ्यर्थियों की चयन सूची को भी पूरी तरह से खारिज कर दिया है. बता दें कि 5 जनवरी 2022 को यह सूची जारी हुई थी.
69,000 सहायक शिक्षक भर्ती सूची को लेकर उत्तर प्रदेश में पिछले कई महीनों से शिक्षक सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. मामला कोर्ट तक जा पहुंचा था. इस मामले को लेकर सियासत भी हो रही थी. मगर अब सहायक शिक्षक भर्ती सूची मामले में आखिरकार कोर्ट का बड़ा और अहम फैसला आ ही गया.
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ताजा फैसले में कोर्ट ने क्या कहा
बता दें कि कोर्ट में दायर की गई याचिकाओं में सहायक शिक्षक भर्ती को चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि भर्ती लिस्ट में आरक्षित श्रेणी के उन अभ्यर्थियों को भी आरक्षित श्रेणी में ही जगह दी गई है, जिन्होंने अनारक्षित वर्ग के लिए तय कट ऑफ मार्क्स प्राप्त किए हैं.
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बता दें कि हालिया आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ल की एकल पीठ ने दिया है. यह आदेश कोर्ट ने महेंद्र पाल व अन्य की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है.
अनारक्षित वर्ग के अभ्यार्थियों ने भी दायर की थी याचिका
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इसी के साथ अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल याचिकाओं में कहा गया था कि आरक्षित वर्ग के उन अभ्यर्थियों को गलत तरीके से अनारक्षित वर्ग में रखा गया, जिन्होंने टीईटी व सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में आरक्षण का लाभ ले लिया था.
बता दें कि एक बार आरक्षण का लाभ लेने के बाद अनारक्षित वर्ग में अभ्यर्थियों का चयन करना कानून और नियमों के खिलाफ है. इसी के साथ दो अन्य याचिकाओं में 5 जनवरी, 2022 को आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों की जारी चयन सूची को भी चुनौती दी गई थी. याचिका दायर करते हुए कहा गया था कि इसे बिना विज्ञापन के ही जारी किया गया था.
जो शिक्षक इस भर्ती से नौकरी कर रहे हैं, अब उनका क्या होगा
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जो शिक्षक चयनित होकर नौकरी कर रहे हैं, अब उनका क्या होगा? सूची जारी होने के बाद उनके साथ क्या किया जाएगा? आपको बता दें कि भर्ती में पुराने चयनित शिक्षक जो नौकरी कर रहे हैं, वो अभी तो नौकरी करते रहेंगे. इसके लिए कोर्ट की तरफ से ऐसे शिक्षकों को तीन महीने का समय दिया गया है. तीन महीने बाद जो नई भर्ती लिस्ट जारी होगी, तब फैसला होगा कि कितने शिक्षकों को रखा जाएगा और कितनों को नहीं रखा जाएगा.
आपको यह भी बता दें कि कोर्ट ने 6800 शिक्षकों की लिस्ट को भी पूरे तरीके से खारिज कर दिया है. इसी के साथ कोर्ट ने ये भी आदेश दिया है कि जो नई भर्ती लिस्ट बनाई जाएगी, उसमें ये भी हो कि सरकार ने किस तरह से आरक्षण दिया है. इसी के साथ नाम के आगे चयनित अभ्यार्थी के प्राप्त नंबर प्रतिशत भी अंकित करने होंगे.
नहीं होगा आरक्षण में कोई बदलाव
बता दें कि नई भर्ती लिस्ट में आरक्षण में भी कोई बदलाव नहीं होगा. जनरल कैटेगरी का 67.11 कटऑफ था ओबीसी का 66.73 कटऑफ था तो वहीं एससी-एसटी का 66.73 कटऑफ था. इन लिस्ट में भी ये कटऑफ ऐसी ही रहेगा.
कैसे हुई थी भर्ती की शुरुआत
आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की सरकार द्वारा शिक्षा मित्रों का समायोजन सहायक शिक्षा मित्र पर किया गया था. मगर कोर्ट ने इस समायोजन को रद्द कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि 1 लाख 26 हजार पदों पर भर्ती की जानी चाहिए, क्योंकि यह पद खाली हो गए है.
इस पर सरकार ने कहा था कि इतनी बड़ी भर्ती एक साथ नहीं हो सकती है. इसलिए एक बार में 69 हजार पदों तो दूसरी बार में 68 हजार पदों पर सहायक शिक्षक भर्ती करने का फैसला लिया गया था.
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