आजम खान की विधायकी जाने पर जयंत ने विस अध्यक्ष को घेरा, पूछा- MLA विक्रम सैनी कैसे बच गए?

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UP Political News: भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई थी. इसे लेकर अब राजनीति तेज हो गई है. आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी के सहयोगी और राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी ने आजम खान की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने के विरोध में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र लिखा है.

पत्र में रालोद मुखिया ने कहा,

“स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट में हेट स्पीच मामले में आपके कार्यालय द्वारा त्वरित फैसला लेते हुए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री मोहम्मद आजम खान की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गई है. जनप्रतिनिधित्व कानून लागू करने की आपकी सक्रियता की यद्यपि प्रशंसा की जानी चाहिए किन्तु जब पूर्व में घटित हुए ऐसे ही मामले में आप निष्क्रिय नजर आते हैं, तो आप जैसे त्वरित न्याय करने वाले की मंशा पर सवाल खड़ा होता है कि क्या कानून की व्याख्या व्यक्ति और व्यक्ति के मामले में अलग-अलग रूप से की जा सकती है?”

जयंत चौधरी

चौधरी ने आगे कहा, “महोदय, इस संदर्भ में आपका ध्यान में खतौली (मुजफ्फरनगर) से भाजपा विधायक श्री विक्रम सैनी के प्रकरण की ओर आकृष्ट करना चाहूंगा. जिन्हें 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के लिए स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा 11 अक्टूबर 2022 को जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत दो साल की सजा सुनाई गई है. उस प्रकरण में आपकी ओर से आज तक कोई पहलकदमी नहीं ली गई. सवाल यह है कि क्या सत्ताधारी दल और विपक्ष के विधायक के लिए कानून की व्याख्या अलग-अलग तरीके से की जा सकती है? यह सवाल तब तक अस्तित्व में रहेगा, जब तक आप भाजपा विधायक के मामले में ऐसी ही पहलकदमी नहीं लेते.”

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बकौल चौधरी, “आशा है कि आप मेरे पत्र का संज्ञान लेते हुए न्याय की स्वस्थ परंपरा के लिए श्री विक्रम सैनी के प्रकरण में शीघ्र ही कोई ऐसा निर्णय अवश्य लेंगे, जो सिद्ध करेगा कि न्याय की लेखनी का रंग एक-सा होता है, भिन्न-भिन्न नहीं.”

आपको बता दें कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम कहता है कि दो साल या उससे अधिक की सजा पाने वाले किसी भी व्यक्ति को ‘‘ऐसी सजा की तारीख से’’ अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और जेल में समय बिताने के बाद छह साल के लिए अयोग्यता बरकरार रहेगी.

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गौरतलब है कि आजम खान पर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मिलक कोतवाली इलाके के खातानगरिया गांव में जनसभा को संबोधित करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के प्रति अपमानजनक भाषा का इस्‍तेमाल करने और जिला प्रशासन के वरिष्‍ठ अधिकारियों को भला-बुरा कहने पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था. खान के इस बयान का वीडियो भी वायरल हुआ था.

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