राष्ट्रपति चुनाव: NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को BSP देगी समर्थन, मायावती ने किया ऐलान

शिल्पी सेन

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बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) आगामी राष्ट्रपति चुनावों में विपक्ष के उम्मीदवार के बजाय बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करेगी. शनिवार को बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने यह ऐलान किया है. हालांकि मायावती ने इस ऐलान के साथ स्पष्ट करते हुए कहा है कि यह फैसला बीजेपी-एनडीए के समर्थन या विपक्ष के विरोध में नहीं किया गया है. बीएसपी सुप्रीमो ने कहा है कि उन्होंने यह फैसला अपने दल और बहुजन आंदोलन को ध्यान में रखते हुए किया है.

भारत के नए राष्ट्रपति के चुनाव में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh News) की भूमिका काफी अहम होने जा रही है. आपको बता दें कि वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है. इससे पहले 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान होना है. बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने इस चुनाव में झारखंड की पूर्व राज्यपाल 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों सहित कई विपक्षी दलों ने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है.

बसपा प्रमुख मायावती ने शनिवार को लखनऊ में कहा, ‘‘राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में बसपा अपना फैसला लेने के लिए आजाद है. पार्टी ने आदिवासी समाज को अपने आंदोलन का खास हिस्सा मानते हुए द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का निर्णय लिया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा यह फैसला न तो भाजपा या राजग के समर्थन में है और न ही संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के खिलाफ है. हमने अपनी पार्टी और आंदोलन को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया है.’’

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बसपा ने आदिवासी समाज की एक योग्य एवं कर्मठ महिला को देश की अगली राष्ट्रपति के रूप में देखने के लिए मुर्मू का समर्थन करने का फैसला किया है. हालांकि, वह बिना किसी दबाव के काम कर पाएंगी या नहीं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा.” बसपा सुप्रीमो ने यह भी कहा, “अगर कोई विरोधी पार्टी या उसके नेतृत्व वाली सरकार आदिवासियों के हित में उचित फैसला लेती है तो बसपा बिना किसी हिचक, दबाव या डर के उसका भी समर्थन करती है. फिर चाहे इसके लिए पार्टी को भारी नुकसान ही क्यों न उठाना पड़े.

मायावती.

राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चयन के समय बसपा को परामर्श से दूर रखने के लिए पार्टी अध्यक्ष ने विपक्षी दलों की आलोचना भी की. उन्होंने जोर देकर कहा कि बसपा राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा 15 जून और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार द्वारा 21 जून को बुलाई गई बैठक में बसपा को न आमंत्रित किए जाने का जिक्र करते हुए मायावती ने कहा, “राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा जहां सर्वसम्मति से राजग प्रत्याशी तय करने का दिखावा करती रही, वहीं विपक्षी दल संयुक्त उम्मीदवार चुनने के मामले में मनमानी दिखाते आए.” उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों ने बसपा को राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने की प्रक्रिया से अलग-थलग रखा, जो उनकी जातिवादी मानसिकता नहीं तो और क्या है, जबकि बसपा जनहित के मामले में भाजपा के खिलाफ विपक्ष का सहयोग करती आई है.

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ऐसे में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी एकता का प्रयास लोगों को गंभीर नहीं, केवल दिखावा लगता है, जिसका अंजाम भी सभी को मालूम है.

मायावती.

आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो मुर्मू की जीत की संभावना प्रबल है. यदि वह जीत जाती हैं तो वह देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी. द्रौपदी मुर्मू की दावेदारी को मजबूत करने में सबसे बड़ी भूमिका उत्तर प्रदेश की होने वाली है.

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गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में बसपा के एक विधानसभा और 10 लोकसभा सदस्य हैं, जो राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करेंगे. सत्तारूढ़ राजग की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. वहीं, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा समेत विभिन्न विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा 27 जून को राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने वाले हैं. राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 18 जुलाई को होगा और वोटों की गिनती 21 जुलाई को की जाएगी.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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