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अखिलेश को जवाब देने के बाद सपा ने बढ़ा दी बाराबंकी DM शशांक त्रिपाठी की मुश्किलें! मांग लिया ये एफिडेविट

देशभर में कथित वोटचोरी का मामला सुर्खियों में बना हुआ है. इस मुद्दे को लेकर अखिलेश यादव लगातार चुनाव आयोग के सामने सवाल उठा रहे हैं.इस बीच सपा नेता राकेश वर्मा ने चुनाव आयोग से एफिडेविट के साथ जवाब देने की बात कही है.

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Akhilesh VS Barabanki DM
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देशभर में कथित वोटचोरी का मामला सुर्खियों में बना हुआ है. इस मुद्दे को लेकर अखिलेश यादव लगातार चुनाव आयोग के सामने सवाल उठा रहे हैं. बता दें कि बीते दिनों अखिलेश यादव ने एक्स पर ट्वीट करते हुए जानकारी दी थी कि उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनावों में मतदाता सूची की गड़बड़ियों की 18000 शिकायतें शपथपत्र पर दी थीं. उनके इस ट्वीट के जवाब में निर्वाचन आयोग ने संबंधित जिलों के डीएम से एक्स पर ट्वीट करवा दिया जिसमें सपा की कुछ शिकायतों को गलत पाया गया. इसी के विरोध में बाराबंकी में सपा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है.

बता दें कि समाजवादी पार्टी के कुर्सी विधानसभा के सपा प्रत्याशी राकेश वर्मा सपा सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री थे और पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे हैं. राकेश वर्मा करीब 250 वोट से हार गए थे. ऐसे में उन्होंने इस मामले को लेकर कहा कि चुनाव आयोग अपनी गलती छुपाने के लिए ऐसे उल्टे-सीधे बयान दे रहा है. अगर चुनाव आयोग सही है तो अपने एफिडेविट के साथ हमें जवाब दे.

राकेश वर्मा ने क्या कहा

सपा नेता राकेश वर्मा का कहना है कि 2022 चुनाव में नसरीन बानो और फुरकान का नाम मतदाता सूची से डिलीट कर दिया गया था. इनको मृत दिखा दिया गया. बाद में जब जांच हुई तो 4 महीने बाद दोबारा आईडी कार्ड इश्यू कर दिया गया और फरवरी 2022 में हुए चुनाव में वोट देने से वंचित कर दिया गया. इसी तरह के हमारी विधानसभा में लगभग 10 हजार ऐसे मामले थे जिनमें यादव और मुस्लिम के वोट काट दिए गए थे. कुर्सी विधानसभा से लगभग 11 शिकायतें की गई हैं.

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वहीं पूर्व एमएलसी राजेश यादव ने बताया कि नसरीन का वोटर आईडी कार्ड 2016 में बना था. इसके बाद 2022 चुनाव में नसरीन बानो को मृतिका दिखाकर उनका नाम डिलीट कर दिया गया और जब इसकी शिकायत की गई तो चुनाव के बाद जून 2022 में दूसरे एपिक नंबर के साथ इनको आईडी दी जाती है. इसी तरह इसी कुर्सी विधानसभा में फुरकान के साथ भी हुआ. उन्हें भी मृत दिखाकर वोटर लिस्ट से नाम काट दिया गया.

पूर्व सपा एमएलसी राजेश यादव उर्फ राजू यादव ने बताया कि चुनाव आयोग अपनी गलती छुपाने के लिए ऐसे उलटे सीधे बयान दे रहा है. अगर चुनाव आयोग सही है तो अपने एफिडेविट के साथ हमें जवाब दे. वहीं सपा जिलाध्यक्ष हाफिज अयाज ने बताया कि सपा की सरकार न बने इसलिए चुनाव आयोग द्वारा मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से काटे गए हैं. हमारे सपाई वोटरों के नाम कटने से हमारी सरकार नहीं बन पाई. राष्ट्रीय नेतृत्व की तरफ से आदेश होगा तो आंदोलन होगा.

अखिलेश ने उठाए थे ये सवाल

अखिलेश यादव ने बीते दिनों अपने ऑफिशियल एक्स हैंडल पर ये जानकारी दी थी कि उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनावों में मतदाता सूची की गड़बड़ियों की 18000 शिकायतें शपथपत्र पर दी थीं. ये भी जानना यहां जरूरी है कि चुनाव आयोग विपक्षी दलों पर आरोप लगाता रहता है कि वे बिना शपथपत्र के शिकायत कर रहे हैं. अखिलेश यादव ने बकायदा चुनाव आयोग को भेजी गई शिकायत की पावती दिखाकर दावा किया कि शपथपत्र देने के बावजूद ECI ने कोई ऐक्शन नहीं लिया.

इस मामले में तीन जिलों के डीएम का आया जवाब

इस मामले में असली ट्विस्ट तो तब आया जब जौनपुर, कासगंज और बाराबंकी के जिला मजिस्ट्रेटों ने 2022 के विधानसभा चुनावों से जुड़े उनके आरोपों का जवाब दे दिया. जैसा कि होना ही था, तीनों जिलों के डीएम ने 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में अनियमितताओं के आरोपों का खंडन किया हैं. तीनों डीएम ने एक्स पर अखिलेश यादव के 17 अगस्त के पोस्ट का हवाला देते हुए उनके आरोपों का जवाब दिया है.

अखिलेश यादव ने फिर किया पलटवार

तीनों डीएम की पोस्ट सामने आने के बाद अखिलेश यादव ने एक बार फिर पलटवार किया है. सपा चीफ ने एक्स पर लिखा है, 'उप्र में 2022 के विधानसभा चुनावों में नाम काटने को लेकर हमने जो 18000 शपथपत्र दिये थे, भाजपा सरकार उनमें से एक का भी जवाब सही तरीक़े से देना नहीं चाहती है. ज़िलाधिकारी को आगे करके चुनाव आयोग बच नहीं सकता. इस मामले की गहन जांच-पड़ताल हो. डीएम साहब दिखाएं कि नाम काटते समय जो ‘मृतक प्रमाणपत्र’ लगाए गये थे वो कहां हैं. अगर ये झूठ नहीं है तो ये सफ़ाई देने में इतने साल क्यों लग गये?'

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