आंकड़ों से समझिए कैसे मुस्लिम बाहुल्य रामपुर में जीत गए BJP के आकाश, आजम कहां हुए फेल?

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Rampur by election result analysis: यूपी के उपचुनावों में मैनपुरी लोकसभा संग रामपुर और खतौली विधानसभा के परिणामों ने सबको चौंकाया है. अब इन परिणामों की अलग-अलग व्याख्याएं हो रही हैं. रामपुर उपचुनाव की चर्चा सभी कर रहे हैं, क्योंकि करीब 65 फीसदी मुस्लिम वोटर्स वाली इस सीट पर आजादी के बाद पहली बार कोई हिंदू प्रत्याशी जीता है. हेट स्पीच मामले में सजा पाने के बाद आजम खान की विधायकी खत्म होने के बाद बीजेपी ने यहां से आकाश सक्सेना को प्रत्याशी बनाया था. आकाश सक्सेना वही हैं जिन्होंने आजम खान के खिलाफ मोर्चा कर उन्हें सजा दिलाने में अहम भूमिका निभाई. आजम खान ने यहां से अपने करीब आसिम राजा को टिकट दिलवाया था. आसिम रजा इससे पहले रामपुर लोकसभा उपचुनाव भी लड़कर हार चुके हैं.

ऐसे में अब हर कोई यह जानना चाह रहा है कि आखिर आजम खान के इस किले को बीजेपी ने कैसे ध्वस्त कर दिया. वैसे आजम खान और यहां से सपा कैंडिडेट आसिम राजा ने चुनावों के दौरान प्रशासन पर गड़बड़ी के तमाम आरोप भी लगाए. आइए रामपुर उपचुनाव की जीत और हार को आंकड़ों से समझते हैं.

मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में पोलिंग हुई कम

रामपुर उपचुनाव में बीजेपी के आकाश सक्सेना ने आसिम राजा को 34136 वोटों से हराया. सक्सेना को 81 हजार 432 वोट मिले जबकि राजा को 47296 वोट हासिल हुए. भाजपा आजादी के बाद पहली बार रामपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीता. इससे पहले करीब 40 साल से यहां सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां ही विधायक रहे. उनसे पहले इस क्षेत्र में कांग्रेस का वर्चस्व रहा था. सपा उम्मीदवार आसिम राजा ने परिणामों पर निराशा जाहिर करते हुए कहा था कि मतगणना के 19वें चक्र तक वह करीब सात हजार मतों से आगे थे, लेकिन अचानक 21वें चक्र में आकाश सक्सेना को 12 हजार मतों से आगे कर दिया गया.

इंडियन एक्सप्रेस ने रामपुर में हुए उपचुनाव के आंकड़ों को लेकर एक विस्तृत पड़ताल की है. रामपुर उपचुनावों में महज 33 फीसदी वोटिंग देखने को मिली है. सपा ने प्रशासन पर आरोप लगाए हैं कि प्रशासन ने खासकर मुस्लिम इलाकों के वोटर्स को बाहर निकल मतदान नहीं करने दिया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक आकाश सक्सेना को 62 फीसदी वोट मिले, जबकि आसिम राजा को 36 फीसदी वोट मिले.

आइए बूथ वाइज समझते हैं कि आखिर कहां हुआ खेल

रिपोर्ट के मुताबिक रामपुर के शहरी इलाकों में मुस्लिम बाहुल्य बूथों पर हिंदू बाहुल्य बूथों की तुलना में आधे के करीब वोटिंग हुई है. ग्रामीण इलाकों में भी ऐसा ही हुआ है. ग्रामीण इलाकों में 46 फीसदी वोटिंग हुई, लेकिन यहां भी मुस्लिम बाहुल्य बूथों पर महज 28 फीसदी वोटिंग ही देखी गई.

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रामपुर में 65 फीसदी वोटर्स मुस्लिम पर यूं हार गए आजम

रामपुर विधानसभा सीट पर करीब 65 फीसदी मुस्लिम वोटर्स हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिमों की 80 फीसदी आबादी रामपुर के शहरी इलाकों में रहती है, जबकि ग्रामीण इलाकों में हिंदुओं की आबादी अधिक है. रामपुर के करीब 3.8 लाख वोटर्स में से 2.7 लाख शहरी इलाकों में हैं. माना जाता है कि शहरी मुस्लिम वोटर्स ही आजम खान की यहां लगातार जीतों की वजह रहे.

अब यहां बूथों पर कैसे खेल हुआ इसे समझिए. रामपुर शहरी इलाके के कुल 325 बूथों में से 77 हिंदू बाहुल्य बूथों पर करीब औसतन 46 फीसदी पोलिंग हुई. बाकी मुस्लिम बाहुल्य बूथों पर सिर्फ औसतन 23 फीसदी पोलिंग हुई. रामपुर शहरी इलाके के 90 ऐसे बूथों पर जिनपर 20 फीसदी से कम पोलिंग हुई, उनमें अधिकतर मुस्लिम बाहुल्य थे. रामपुर शहरी इलाके में मुस्लिम बाहुल्य किसी बूथ पर सर्वाधिक वोटिंग 39 फीसदी रही, जबकि हिंदू बाहुल्य बूथ के लिए यह आंकड़ा 74 फीसदी का रहा.

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अब रामपुर के ग्रामीण इलाकों का आंकड़ा समझिए जहां बीजेपी को पहले से मजबूत माना जाता रहा है. यहां अच्छी वोटिंग देखी गई. कुछ बूथों पर तो 80 फीसदी तक भी वोटिंग होई. हिंदू बाहुल्य समझे जाने वाले गांव स्तर के 32 बूथों पर 60 फीसदी से अधिक वोटिंग हुई. वहीं मुस्लिम बाहुल्य गांवों में 30-40 फीसदी वोटिंग ही देखने को मिली.

बीजेपी कैंडिडेट का दावा- मुस्लिमों ने भी दिया पार्टी को वोट

आपको बता दें कि वोटिंग के दौरान आजम खान और आसिम राजा ने प्रशासन पर मुस्लिमों को वोटिंग से रोकने के तमाम आरोप लगाए थे. वहीं रामपुर में नया कीर्तिमान रचने के बाद आकाश सक्सेना ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा था कि रामपुर के मुस्लिम मतदाताओं ने भाजपा को जिताकर यह साबित कर दिया है कि वे भाजपा की कल्याणकारी नीतियों के जरिये अपने जीवन में बदलाव लाना चाहते हैं. अब रामपुर को एक औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित किया जाएगा.

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